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गुरु दही की भांति है – ओशो

Osho pravachan Hindi “Guru Dahi ke bhati hai” Osho pravachan Hindi : गुरु एक अनूठी घटना है। गुरु इस जगत में सबसे बड़ा चमत्कार है, क्योंकि वह होता है आदमी जैसा और फिर भी उसमें कुछ है जो आदमी जैसा नहीं है। वह किसी दूसरे लोक की खबर ले आया है। उसने कुछ देखा है- […]

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प्रथम आने की दौड़ – ओशो

दूसरा दूसरा है, मैं, मैं हूं। कहां तुलना, कहां संबंध, कहां नाता, कौन-सी प्रतिस्पर्धा? दूसरा दूसरा होगा, मैं, मैं हो पाऊंगा। हर आदमी वही हो पायेगा, जो हो सकता है। दूसरे से लेना-देना कहां है?

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