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कांटों का उपहार – पार्ट 41

……………. सहसा दूसरे कमरे से एक अधेड़ उम्र के पुरुष प्रविष्ट हुए। उनके साथ ही उनकी धर्मपत्नी भी थीं, राधा को समझते देर नहीं लगी कि यही सरोज के माता-पिता हैं। सम्मान में वह झट उठ खड़ी हुई, नमस्ते के लिए हाथ जोड़ दिए तो उन्होंने उसका स्वागत मुस्कराकर करते हुए कहा‒  ‘बैठिए-बैठिए!’ सरोज की […]

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