Posted inहिंदी कहानियाँ

मैं नीम हूं

मुझे तो आज तक समझ ही नहीं आया कि मैं अपने गुणों पर गर्व करूं या मैं उन्हें अपनी कमियां मानकर दुखी होऊं। अब आप ही बताओ यदि मैं वाकई में इतना गुणी हूं तो लोग बाग मुझे अपने घर आंगन से क्यों कटवाते हैं।कभी कहते हैं इतना विशालकाय है कि घर के आंगन की धूप रोकता है हमें धूप नहीं मिलती। कभी कहते हैं,” इसके पत्ते सारे दिन झड़ते रहते हैं और हमारा आंगन गंदा हो जाता है”।

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