Posted inउपन्यास

नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-33

आकाश और अंधकार वियोग के आँसू बहा रहे थे। पौ फटने में चंद ही क्षण शेष थे। ठंडी हवा खिड़की के पर्दों से खेलती हुई कमरे में प्रवेश कर रही थी। बेला को जागे हुए समय हो गया था। दिन-रात लेटे रहना, भूख का अभाव तो नींद क्या करे-वह कब से उजाले और अंधेरे का […]

Gift this article