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कांटों का उपहार – पार्ट 30

 ………….. फादर ने उन्हें गौर से देखा।  ‘फादर!’ विजयभान सिंह ने एक गहरी सांस लेकर कहा‒ ‘मैंने भी अपने पापों से ऐसी ही तौबा की है, बल्कि अब प्रायश्चित भी कर रहा हूं, जिसका जितना बिगाड़ा है, उसकी उतनी भरपाई भी कर रहा हूं और भी अधिक करना चाहता हूं ताकि…ताकि कम-से-कम एक बार ही वह […]

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