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ध्यान की आवश्यकता – स्वामी चिन्मयानंद

ध्यानाभ्यास में मन को समस्त इन्द्रिय विषयों से हटा लिया जाता है। मन पर अंकुश रखने वाली बुद्धि उसे आदेश देती है कि वह अपने समस्त विचारों को समाप्त कर केवल सर्वव्यापी चेतना के बारे में ही सोचे। कठिन साधना के उपरान्त मन एक समय पर एक ही विषय का चिन्तन करने योग्य बन जाता है।

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