Posted inकविता-शायरी

काश! कि एक गृहणी की भी सरकार ने तनख्वाह तय की होती..

    (एक अनुत्तरित सवाल) काश! कि एक गृहणी की भी सरकार ने तनख्वाह तय की होती.._________________   तुम दिन भर करती क्या हो …?हाँ , मैं सचमुच दिन भर करती भी क्या हूँ?मैं एक सामान्य सी गृहणी सुबह से शाम तक जो बिना किसी शुल्क के बनाये रखती है संतुलन सारे परिवार का मैं भला […]

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