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जिन्न नहीं हूं ‘मैं ‘ – गृहलक्ष्मी कहानियां

‘मां आज नाश्ते में आलू के परांठे बना देना, नहीं मां आलू के नहीं प्याज़ के बनाना, रोहन-रिया की फरमाइश अभी सुन ही रही थी कि अजय कहने लगे, ‘क्या तुम लोग भी आलू प्याज करते रहते हो यह भी कोई परांठे हैं, खाने हैं तो गोभी या पनीर के खाओ, मज़ा आ जायेगा।

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रेड जोन – गृहलक्ष्मी कहानियां

येलो जोन और ग्रीन जोन में ठेके खुलने की खबर टीवी पर आते ही रामवीर की आंखें चमकने लगी । इसका मतलब परसों से अलमारी में रखी खाली बोतलों को देखकर लंबी सांस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी ।इस लाक डाउन ने भी कैसे दिन दिखला दिए । एक महीने से एक बूंद भी चखने को तरस गया । कहां हर दिन ना सही मगर हफ्ते में दो -तीन दिन तो शाम रंगीन हो ही जाया करती थी।

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