रामवीर को याद आ रहा था कि लाक डाउन के बाद एक हफ्ता किस हालत में गुजरा था। बिना पिए ना खाना अच्छा लगता था ना पानी ,ऊपर से सारा बदन कितना टूटता था ।दो तीन बार तो वह हिम्मत करके सोमवती के लाख मना करने के बावजूद घर से निकला भी था, कि शायद कहीं से कच्ची पक्की की ही जुगाड़ हो जाए लेकिन लाकडाउन इतना सख्त था कि छुपते छुपाते आधा शहर छान मारने के बावजूद उसे कहीं एक भी पउवे की जुगाड़ नहीं लगी, उल्टे दो-तीन घंटे बाद जब हांफता कांपता वो घर वापस आया, तो थकान के मारे पैर ऐसे टूट गए थे ,कि दूसरे दिन सुबह तक बिस्तर से उठना मुश्किल हो गया ।आज लाकडाउन का 38 वां दिन था और 2 दिन बाद ही रामवीर का दिल एकबारगी तो बल्लियों उछलने लगा। दूसरी बार जब लाकडाऊन बढा था तो सख्ती कितनी बढ़ गई थी। यलो जोन होने के बावजूद पुलिस की गश्त पता नहीं उसकी गली में ही क्यों इतनी ज्यादा थी ,यह उसकी समझ से बाहर था कभी-कभी तो घर से बाहर झांकना तक मुश्किल पड़ जाता था ।शायद बी कॉलोनी में एक साथ एक ही घर में 6 कोरोना पॉजिटिव निकलने के कारण इतनी सख्ती थी। लेकिन अब 2 दिन बाद तो यलो जोन का फायदा मिल ही जाएगा , सोचता हुआ रामवीर बालकनी में आकर खड़ा हो गया। बालकनी से गली के मोड़ पर की कलारी साफ नजर आती थी । वह बड़ी हसरत भरी निगाहों से दूर से साफ नजर ना आने के बावजूद कलारी के बोर्ड को घूरता रहा। थोड़ी देर बाद ही रामवीर को चाय की तलब महसूस होने लगी। इस लाकडाउन में चाय ही तो एकमात्र सहारा बची है।
बालकनी से लगा हुआ ही सोमवती का कमरा था। उसने सोमवती को चाय के लिए कहने को सोचा ही था कि उसे सोमवती नजर आ गई। पता नहीं किस से फोन पर बतिया रही थी। यह औरतें भी जब देखो बस फोन।
दूर से भी रामबीर को सोमवती का स्वर काफी कुछ सुनाई दे रहा था ” हां माया! मैं तो हनुमान जी को पूरे छप्पन भोग लगाऊंगी बस किसी तरह कल तक हमारा एरिया रेड जोन में आ जाए “, सोमवती की आवाज रामवीर के कानों में पड़ी, तो रामवीर के कान खड़े हो गए । क्या कह रही है यह। रामवीर ने बिल्कुल खिड़की के नजदीक पहुंचकर दीवार से कान सटा दिए।” सच्ची माया 30 दिनों में यह कितने बदल गए हैं ।पहले हर दूसरे दिन पीकर कितना ..”,सोमवती की आवाज भर्रा गई वह हिचकियां ले रही थी।
“माया । तुझसे मैंने कभी कहा नहीं ,लेकिन मैं ही जानती हूं ,कि मैंने कैसे -कैसे दिन काटे हैं ।लेकिन सच कहती हूं माया !इस लाकडाउन का किसी पर चाहे जो असर हुआ हो ,लेकिन मेरे घर तो अच्छे दिन आ गए। शादी के बाद एक साल तो ठीक-ठाक गुजरा था ,लेकिन उसके बाद पता नहीं किन दोस्तों से इन्हें पीने की लत लग गई । तीस दिनों से मुझे तो लग रहा था कि इनका दूसरा ही जन्म हुआ है ।
लेकिन माया अगर परसों से ठेके खुल गए तो……” सोमवती की आवाज फिर हिचकियों में बदल गई ।
उधर से पता नहीं माया ने क्या कहा ” हां यह ठीक है ,कुछ ना कुछ ऐसा करती हूं ,कि मुझे कोरोना हो जाए ।अरे मेरा एरिया तो रेड जोन में चला जाएगा । फिर न तो ठेके ही खुल पाएंगे, ना ही इन्हें दोबारा से पीने का मौका मिलेगा और अगर पन्दरह दिन और इन्हें पीने को ना मिली , तो मुझे विश्वास है, कि फिर इनकी लत हमेशा के लिए छूट ही जाएगी ।”सोमवती और न जाने क्या क्या कहे जा रही थी , लेकिन रामवीर को अब कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था ।
कहीं सचमुच सोमवती ने ऐसा कोई कदम उठा लिया तो घर ,चार बच्चे सब कुछ…… रामवीर का सोच सोच कर सर घूमने लगा ।उसकी आंखों की चमक फीकी पड़ गई । इन 30 दिनों में उसे भी तो कितना सुकून मिला है। बिना पिए रह पाना शुरू में जितना मुश्किल लगा था, धीरे-धीरे सब कुछ कैसे सामान्य हो गया, उसे खुद ही पता नहीं चला था । 30 दिनों में बच्चों और सोमवती के साथ पहली बार उसे अपना घर घर लगा था । बदला बदला सा घर ।जिसे खाली बैठे बैठे उसने खुद ही काफी व्यवस्थित कर डाला था ।
अगर सचमुच सोमवती ने कुछ ऐसा कर डाला कि वह कोरोना की शिकार हो जाए तो……. भारी कदमों से वह बालकनी से अपने कमरे की ओर बढ़ने लगा ।आंगन में बिट्टू भी मोबाइल पर आंखें गड़ाए जाने क्या देख रहा था । बच्चे भी क्या करें एक मोबाइल ही तो अब इनका सहारा बना है। “क्या कोई खास मैसेज है, जो इतनी आंखें गड़ा कर देख रहे हो”, उसने वैसे ही पूछ लिया । “हां पापा अभी कोरोना अपडेट आया है । अभी-अभी 10 मिनट पहले हमारे एरिया में भी 2 कोरोना पॉजिटिव निकल आए हैं।” बिट्टू के स्वर में चिंता खुली हुई थी । ” इसका मतलब हमारा यह एरिया भी रेड जोन में गया । ” पता नहीं क्यों रामवीर के स्वर में निश्चिन्तता सी आ गई और वह चुपचाप जाकर अपने कमरे में लेट गया ।
” सोम एक कप चाय तो पिला दो “,लेटे ही लेटे उसने सोमवती को आवाज दी । “मुझे पता था कि तुम चाय के लिए बुलाने की वाले हो “,कहते हुए सोमवती चाय लेकर जैसे ही कमरे में दाखिल हुई, रामवीर उसे देखते ही मुस्कुरा पड़ा ।” सोम मालूम है अपना एरिया भी रेड जोन में आ गया “,कहते-कहते उसने चाय का कप उठा लिया और सोमवती को यह समझ में नहीं आया कि यह सेंटेंस कहते समय रामवीर के चेहरे पर मुस्कुराहट क्यों खेल रही थी ।
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