अजय और अंशु के प्यार की तो अभी शुरुआत ही हुई थी। ये पिकनिक भी मानो उसी एहसास को परवान चढ़ा रही थी। फिर अचानक ये क्या हो गया? क्या अंशु के सारे अरमान इस झरने के पानी में बह जाएंगे?
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बोझिल पलकें, भाग-36
अंशु और अजय के दिल में पलता प्यार अब उन दोनों को एक-दूसरे के नजदीक खींच रहा था। उस पर उस पिकनिक स्पॉट की रोमानी खूबसूरती उनके दिलों में पलते प्यार को और हवा दे रही थी।
बोझिल पलकें, भाग-35
अजय पर जिंदगी ने थोड़ा रहम करना शुरू कर दिया था। अब अंशु का दिल अजय के नाम पर धड़कने लगा था, लेकिन अजय अभी तक कशमकश में उलझा था कि क्या करे, क्या नहीं। क्या होगा अंशु के लिए अजय के दिल का हाल, अभी ये राज़ खुलना बाकी है।
बोझिल पलकें, भाग-34
समय सबसे बड़ा मरहम होता है। यही समय अब अंशु के रूप में अजय के सारे दुखों पर मरहम रखने जा रहा था। अजय को यकीन नहीं हो रहा कि अब जो कुछ उसके साथ हो रहा था, वह सब सपना नहीं, हकीकत है।
बोझिल पलकें, भाग-33
वह चांद जिसे अजय आसमान में देखकर ही सब्र किए बैठा था, अब वह अजय के आंगन में उतरना चाहता था। अजय के दरवाज़े पर नई खुशियां दस्तक दे रही थीं, पर अजय, क्या करेगी अब अजय?
बोझिल पलकें, भाग-32
अंशु के रूप में जिंदगी का खूबसूरत चेहरा सामने था, लेकिन अजय के पांव फिर भी आगे नहीं बढ रहे थे। क्या वजह हो सकती थी इसकी?
बोझिल पलकें, भाग-28
आज अजय ने मानो तय ही कर लिया था कि या तो वह इस मौत जैसी जिंदगी से छुटकारा ही पा लेगा या फिर सीधा मौत को ही चुनेगा। इस रास्ते पर उसका एक-एक कदम उसे सीधा मौत के मुंह के पास ले जा रहा था। क्या था ये कदम?
बोझिल पलकें, भाग-27
चन्दानी की कैद में बंद दीवानचन्द अजय की वह दुखती हुई रग थे, जिसके चलते अजय चन्दानी के इशारों पर न सिर्फ आपराधिक कामों को करने पर मजबूर था, बल्कि उसे ये अपराध भी हंसते-मुस्कुराते करने थे। ऐसा ही मौका इस बार भी उसके सामने आ खड़ा हुआ था। अब आगे अंजाम क्या होने वाला था इन सब का?
