Posted inहिंदी कहानियाँ

जलेबी मांगने चली गई

  मेरे पापा का ट्रांसफर गांव में होने कारण मैं अपने दादा-दादी के पास रहकर पढ़ती थी। घर में तीन बुआ, चाचा, चाची सभी लोग साथ में रहते। मुझे सभी बहुत प्यार करते थे, मैं सभी की दुलारी थी। मेरी गलती पर मुझे कभी डांटा नहीं जाता था। हमारे पड़ोस में एक मिठाई की दुकान थी। रोज उस […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

भैया को बनाया लड़की

  मैं जब छोटी थी तो बहुत शरारती थी। मेरी और मेरे भाई की उम्र में ज्यादा फर्क नहीं था। हम दोनों खूब शरारतें करते रहते थे। एक रोज मैंने अपने भाई से कहा कि वो मेरी कोई ड्रेस पहन ले, मैं उसके कपड़े पहन लूंगी। भैया पहले तो झिझका पर बाद में मान गया और मेरी नई […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

कुत्तों की मम्मी आई हैं

मैं तब पांचवी कक्षा में थी। हमारे पड़ोस में संगीता आंटी रहती थी। उनके दो बेटे विदेश में सैटल थे इसलिए अकेलापन दूर करने के लिए उन्होंने 2 कुत्ते पाले हुए थे। उनका बगीचा हमारी छत से साफ दिखाई देता था। हम छत पर खेलते थे और आंटी बगीचे में कुत्ते के साथ खेलती, उनकी […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

घृतकुमारी से ही शादी करूंगा

  बात उस समय की है जब मैं छोटा बच्चा था। हमारे घर में अक्सर घृतकुमारी की चर्चा होती रहती थी और उसके गुणों की खूब प्रशंसा सब करते थे। मुझे तब यह पता नहीं था कि घृतकुमारी किसी लड़की का नाम नहीं, बल्कि ऐलोवेरा को कहते हैं। मेरे बड़े भैया से उनके पसंद की लड़की का नाम पूछा […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

लाल फूल जैसा ब्लडीफूल

  मैं चौथी क्लास में पढ़ती थी और मेरे भइया सातवीं क्लास में थे। भइया अक्सर ऊट-पटांग हरकतें करते थे और पिताजी की डांट खाते थे। एक दिन पिताजी अधिक गुस्से में थे, क्योंकि भइया ने कुछ गड़बड़ कर दी थी। जैसे ही भइया घर आए तो पिताजी ने कहा, ‘कहां गया था, ब्लडीफूल? गधा […]

Gift this article