एक बार की बात है, एथेंस में एक युवक ने कहीं जाने के लिए एक गधा किराए पर लिया। गधे का मालिक भी साथ-साथ गया। उस दिन बड़ी भीषण गरमी थी। युवक ने सोचा, थोड़ी देर गधे की छाया में लेटकर आराम करना चाहिए। उसने चादर बिछाई और जमीन पर जहाँ गधे की छाया पड़ […]
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न्यू इयर गिफ्ट – गृहलक्ष्मी लघुकथा
‘सॉरी! मेडम! इस शर्ट का एक ही पीस है और ये पीस इन मेडम ने पसंद कर लिया।’
‘ओह! वैसे जो भी है बेटर च्वाइस।’
जब पहियों ने मचाया शोर: ईसप की मनोरंजक कहानियाँ
एक बार एक आदमी बैलगाड़ी में बहुत सारा सामान लादकर ले जा रहा था। जब-जब उसकी बैलगाड़ी के पहिए किसी गड्ढे या दलदल में फँसते, तो वे बड़े जोर की आवाज करने लगते। गाड़ीवान बड़ी देर से यह देख रहा था।आखिर उससे रहा न गया। उसने उन पहियों को फटकारते हुए कहा, “अरे, तुम इतनी […]
कब तक? – गृहलक्ष्मी लघुकथा
उसकी सूनी नज़रें कोने में लगे जाले पर टिकी हुई थीं। तभी एक कीट उस जाले की ओर बढ़ता नज़र आया। वह ध्यान से उसे घूरे जा रही थी।
जादुई चिराग – गृहलक्ष्मी लघुकथा
पिछले कई वर्षो से रत्ना और राजेश की तू-तू, मैं-मैं पर अचानक विराम लग गया आये दिन विवाद, राजेश को रत्ना से कुछ न कुछ शिकायत रहती ही थी जिनकी परस्पर आंख-आंख नही बनती वे अब हाथो में हाथ डाले घूमते नजर आ रहे थे।
मजदूर दिवस – गृहलक्ष्मी लघुकथा
लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद तो थी ही। परिवार के सभी लोग घर में साथ बैठते तो थे किन्तु चिंता की लकीरें सबके चेहरे पर होती थीं, फैक्ट्री नुकसान में जो जा रही थी।
बूढ़ा बच्चा – गृहलक्ष्मी लघुकथा
पुत्र की पुत्रवधु ने बीमार पड़े दादा जी को दूध में ओट्स बनाकर दिया। उन्होंने ओट्स के पूरे कटोरे को खाली कर दिया, तो बहू ने बिस्तर के पास दीवार में ठुकी कील पर लटकते हैंड-टावल से उनका मुंह पोंछा। फिर बोली, ‘दादा जी… अब लेट जाओ… आपका दोपहर का भोजन हो गया है।’
समझौता – गृहलक्ष्मी लघुकथा
पड़ोसी चन्दा के आँगन में खेल रहे बच्चों के शोर को देख उसके चेहरे पर कई दिनों बाद हल्की सी मुस्कुराहट आई और बच्चों को अपने बरामदे से बैठे – बैठे निहारने लगी। कुछ समय पहले की ही बात है जब इन्हीं बच्चों के साथ उसका जग्गू भी खेलता था।
तोहफा – गृहलक्ष्मी लघुकथा
शादी के पच्चीस साल बाद उसने नफ़ासत के साथ पति से कहा-‘स्वीट हार्ट! इन पच्चीस सालों में हम दोनों ने एक-दूसरे को शिद्दत से प्यार किया और दिया। आज एक काम करते हैं, कुछ ऐसा एक-दूसरे से शेयर करते हैं, जो हमने आपस में छिपाया हो, मेरा मतलब एक-दूसरे के सामने कन्फेस। लेकिन शर्त ये है कि कोई भी किसी तरह का गिला-शिकवा नहीं करेगा।
शादी के बाद मेकअप करना
बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 6 साल की थी। उस समय मुझे मेकअप करने का बहुत शौक होता था। अक्सर मम्मी की लिपस्टिक, काजल यहां तक की सिंदूर भी लगा देती थी। मम्मी से बहुत डांट पड़ती, अक्सर मम्मी मुझे समझाने के लिए यह कहती हैं की शादीशुदा औरतें मेकअप करती हैं। […]
