After marriage, it is not easy to connect with new relationships in the in-laws house and adapt to the new environment.
Good Relationship Tips

Good Relationship Tips: सास-बहू के झगड़े जग-जाहिर हैं लेकिन ससुर और बहू के! सुनने में ही थोड़ा अटपटा लगता है। यकीन मानिए कई घर ऐसे हैं जहां सास की जगह केवल ससुर ही होते हैं। कोई भी रिश्ता परस्पर चलता है, तभी ससुर और बहू से पिता और बेटी बनने का सफर आप दोनों तय कर पाएंगे।

शादी के बाद ससुराल में नए रिश्‍तों से जुड़ना और नए माहौल में ढलना आसान नहीं होता है। ऐसे में अगर ससुराल में सिर्फ ससुर ही हैं तो बहू पर घर संभालने और जिम्‍मेदारी निभाने के लिए पहले से ही दबाव रहता है। कल तक जो लड़की गाहे-बगाहे ही घर के कामों में मदद करती थी, आज उसे पूरे घर को संभालने की जिम्मेदारी रहती है। बहू कामकाजी है तो उसे घर और बाहर दोनों ही जगह काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर ससुर आने वाले इस नए सदस्‍य का साथ दें तो बहू के लिए सबकुछ आसान हो जाता है।

Good Relationship Tips: आपसी समझ बढ़ाएं

आपसी समझ बढ़ाएं कहा जाता है कि लड़कियों का पिता के साथ अनोखा रिश्‍ता होता है। इस तरह ससुर भी पिता समान ही होते हैं। ससुर को बहू के साथ आपसी समझ को बढ़ाना चाहिए। समझने का प्रयास करें तो उनके बीच आपसी समझ बढ़ जाती है। ऐसे घर जहां सिर्फ ससुर ही हैं यही नहीं किस तरह इस नए घर में अपनी जगह बनाने या घर को समझने में ससुर अपनी बहू की मदद कर सकते हैं। रिश्ता चाहे जो भी हो, उसमें करीब आने का सबसे पहला कदम एक-दूसरे को समझने का होता है। ससुर जी को भी इससे ही पहल करनी चाहिए।

घर के काम करवाएं

Good Relationship Tips
Father-in-law should help daughter-in-law with household chores

यदि घर में कोई महिला नहीं है तो ससुर को बहू के साथ घर के काम करवाने में मदद करनी चाहिए। उसे आश्‍वासन दें कि आप उसके साथ हैं। यदि घर में कोई महिला नहीं है तो ससुर को बहू के साथ घर के काम करवाने में मदद करनी चाहिए। यदि ससुर रिटायर्ड हैं तो सब्जी काटने से लेकर सौदा लाने तक का काम वे कर सकते हैं। यदि ससुर नौकरी करते हैं तो उन्हें अपने सभी बच्चों में काम बांट देना चाहिए। इससे घर में शांति बनी रहती है। इस तरह घर के अन्‍य सदस्‍य भी उनका साथ देंगे।

बहू-बेटा को एकांत दें

कोई भी लड़की जब शादी करती है तो ससुराल में पहले किसी की पत्नी है। फिर बहू या भाभी है। हर समय उनके साथ जाने की बजाय उन्‍हें अकेले समय बिताने का अवसर देना चाहिए। ताकि उनके रिश्ते में मधुरता आ सके। उनके लिए सरप्राइज ट्रिप प्लान करें या फिर उन्हें खाने पर कहीं बाहर भेजें। ये उन्हें एक-दूसरे के करीब बने रहने में मदद करेगा और जब दोनों खुश रहेंगे तो घर में खुशियां आएंगी ही।

बहू नहीं बेटी समझें

बहू को बेटी समझ कर स्नेह देंगे तो वह भी आपको पिता समझकर ख्याल रखेगी। सबसे पहले उसकी पसंद और नापसंद को जानने का प्रयास करें। घर में उसे सहज करने का प्रयास करें। उन पर अपनी बातें मानने का दबाव न बनाएं। सिर्फ उनके साथ अपनी भावनाएं साझा करें।

रोक-टोक करने से बचें

हर बात पर रोक-टोक करना अकसर संबंधों में परेशानियां पैदा करता है। नया जमाना है ससुर को भी उसी के हिसाब से चलने का प्रयास करना चाहिए। यदि बहू मनमुताबिक कपड़े पहनना चाहती है तो उसे प्रोत्साहित करें।

अधिकार और आदर दें

After marriage, it is not easy to connect with new relationships in the in-laws house and adapt to the new environment.
Give rights and authority

बहू जब नए घर आती है तो मन में अपने परिवार को छोड़ने और नए परिवार को अपनाने का असमंजस लेकर आती है। ऐसे में यदि उसे बेटी जैसा ही भाव ससुराल में मिल जाए तो ये सफर उसके लिए आसान हो जाता है। जहां तक ससुर जी की बात है तो जैसे बेटियां पिता के सबसे करीब होती हैं। वैसा ही प्रेम उन्हें यदि ससुर से मिल जाए तो वो निस्वार्थ होकर अपने आपको परिवार को समर्पित कर देती हैं।

अपनी न चलाएं

माना कि अभी तक घर में आपकी ही चल रही थी लेकिन अब बहू की राय भी जरूरी होगी। वरना आप समझ सकते हैं कि घर की शांति भंग हो सकती है। फिर ये तो मानेंगे कि आजकल के बच्चे काफी समझदार और व्यवहारिक हैं। फैमिली बिसनेस से लेकर घर के राशन तक की खबर बहू को होनी चाहिए। कल यदि आप बीमार पड़ गए और बेटा अपने ऑफिस में व्यस्त हो तो इन सभी को व्यवस्थित कौन करेगा। कोई भी फैसला उनकी सहमति के बिना न लें। हां, यदि आपको लगता है कि यहां आपका अनुभव काम आएगा तो उन्हें तर्क के साथ समझाएं।

अपने संघर्ष के बारे में बताएं

यदि कभी मन भर आए तो बेटी समझकर उन्हें अपनी बात कह सकते हैं। इससे मन शांत होता है। बहू को पुराने दिनों के संघर्ष के बारे में बताएं। ऐसी बातें हर किसी को पसंद आती हैं। निश्चित ही उन सभी बातों में कुछ सीखने के लिए होगा। इस तरह आप दोनों एकदूसरे के साथ सहज महसूस करेंगे।

सलाह दें आदेश नहीं

अकसर बड़े-बूढ़े बच्चों को कुछ न कुछ सलाह देते रहते हैं। सुझाव देना गलत बात नहीं है लेकिन यह उम्मीद करना की सामने वाला उसे मान ही ले, यह तनाव पैदा करता है। आप घर के बड़े हैं इसलिए अपेक्षा रखना वाजिब भी है। बावजूद इसके कोशिश करें कि आपकी किसी बात को बहू गलत तरीके से न ले जाए।

जिस तरह बहू के लिए ससुराल एक नई जगह होती है। ठीक उसी तरह सास-ससुर के लिए भी बहू का आना थोड़ा नया रहता है। खासकर कि तब जब घर में सास या ननद ना हो। ऐसे में लड़की को बहू बनकर नहीं, बल्कि बेटी बनकर सोचना होगा।

बेटी बनकर रहें

बहू का आना ससुर के लिए भी एक नया अनुभव है। खासकर वहां, जिन घरों में सास या ननद नहीं होती है। ऐसे में उन्हें विश्वास दिलाएं की आप भी उनकी बेटी समान ही हैं। उनकी दवाइयों से लेकर खानपान और बिल इत्यादि देने का काम आप कर सकती हैं। आप काम की अदला-बदली भी कर सकती हैं। उन्हें खाना पकाने में व्यस्त रख सकते हैं, उनके लिए किताबें ला सकते हैं और आप बैंक जाने से लेकर राशन आदि का काम कर सकती हैं।

दिनचर्या तय करें

यदि आप कामकाजी हैं तो जाहिर है कि आपके पास समय की बहुत कमी है। ऐसे में सभी घर वालों की दिनचर्या को तय कर दें। खासकर ससुर जी को कहें कि वो दिनभर टीवी न देखते रहें। कभी किताब पढ़ने लाइब्रेरी चले जाएं। इससे आपको भी पति के साथ समय बिताने का मौका मिलेगा। उनकी ड्रिंक करने की आदतों पर नियंत्रण बनाने का प्रयास करें। खाली समय में उनके साथ लूडो, चेस, केरमबोर्ड या ताश-पत्ती खेलने का प्रयास करें। इस तरह दिनचर्या तय रहेगी तो वो भी व्यस्त रहेंगे और आप पर उन्हें उंगली उठाने का अवसर नहीं मिल पाएगा।

बातचीत बनाए रखें

खाली समय में बहू और ससुर मिलकर बातें करें। इससे दोनों ही सहज महसूस करने लगेंगे। बातें चाहे घर की हों या बाहर की एकदूसरे से साझा करने से घर में दोस्ती वाला माहौल बना रहता है। ऑफिस से जुड़ी किसी परेशानी पर उनसे राय ले सकते हैं।

व्यस्था को समझें

After marriage, it is not easy to connect with new relationships in the in-laws house and adapt to the new environment.
Every house has its own management

हर घर का अपना एक मैनेजमेंट होता है। हर परिवार की कुछ स्थापित परंपराएं होती हैं। आप उनका अंधा अनुसरण न करें लेकिन उन्हें ध्यान में जरूर रखें। यदि आप अपने तथा परिवार के अच्छे भविष्य की कल्पना करते हैं तो आपको उन चीजों के साथ तालमेल बनाकर रखना होगा।  ससुराल वाले भी इस बात को समझते हैं कि बहू अलग परिवेश से आई है। उन्हें भी थोड़ा आपकी आदतों को अपनाने का समय दीजिए। आपके छोटे-छोटे प्रयास उसका दिल जीत लेने के लिए काफी होंगे।

राय बनाने से बचें

शादी के बाद हर लड़की के साथ बुरा होता है, ऐसी सोच आपके संबंध खराब कर सकती है। यदि उनकी पूछताछ और रोकटोक को आप बतौर चिंता की तरह लेंगी तो दिक्कतें कम होंगी। घर और परिवार को प्राथमिकता में रखेंगे तो मुश्किलें कम होती चली जाएंगी।

मन में बात न रखें

जिस तरह हम मातापिता से हुए मनमुटाव को नजरअंदाज कर देते हैं। ठीक वैसे ही ससुर की कही बात को भी ज्यादा दिन मन में रखें। कोई बात बुरी लगने पर उन्हें मौका देखकर कह दें। अपनी बात को आक्रामक तरीके से न कहें। लहजा समझाने वाला हो तो ठीक रहता है। आपका भी मन मैला नहीं होगा और उन्हें भी धीरे-धीरे आपकी बात समझ आने लगेंगी।

सीमाएं पहले ही बना लें

कोई भी सर्व-गुण संपन्न नहीं होता है। इस बात को गांठ बांध लें और उसी के आधार पर अपनी और उनकी सीमाएं तय करें। यदि आपको खाना बनाने का शौक नहीं तो जबर्दस्ती सबको खुश करने की कोशिश मत कीजिए। यदि ससुर जी बहुत ज्यादा खुलने की कोशिश करें तो उन्हें उनकी सीमाएं समझा दें। ऐसे में भविष्य में होने वाली किसी भी तरह की आशंकाओं से आप बची रहेंगी।

नजरअंदाज न करें

अकसर जीवनसाथी के न होने पर व्यक्ति अकेला पड़ जाता है। ऐसे में आप उन्हें नजरअंदाज न करें। चाय या खाने की टेबल पर उनसे खूब बातें करें। उनके जन्मदिन या सालगिरह पर केक लाएं। उनकी पसंद की चीजें बना सकते हैं। उन्हें उपहार में कोई किताब या फिर कपड़े दे सकते हैं।

एक मां और बेटी बनकर सोचें

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Imagine being a mother and daughter

कभी-कभार ससुर जी को भी डिनर पर ले सकते हैं। उन्हें अच्छा लगेगा कि आप उनका ख्याल रख रही हैं। अपने बच्चे के साथ उनके लिए भी आइसक्रीम या समोसे इत्यादि लेकर आ सकते हैं। आखिरकार बच्चे और बूढ़े एक समान होते हैं। उन्हें अपने बच्चे की तरह अनुशासित रखने का प्रयास रखें। अपने बच्चे की ही तरह उनकी फरमाइश को पूरा करें। फिर देखिए कैसे ससुर जी प्यारे पापा जी बन जाते हैं।

FAQ | क्या आप जानते हैं

क्या गर्भवती स्तनपान कराने वाली महिलाएं निकोटेक्स का सेवन कर सकती हैं? 

गर्भवती महिला पर इसका प्रभाव हल्का सा ज्यादा देखने को मिल सकता है। अगर आपको इसका सेवन करने के बाद कोई साइड इफेक्ट नजर आता है तो इसे लेना तुरंत बंद कर दें। इसके अलावा आपको इसका सेवन करने से पहले ही डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए। 

क्या स्तनपान कराने वाली महिलाएं निकोटेक्स का सेवन कर सकती हैं? 

स्तनपान करवाने वाली महिलाओं पर भी इसका प्रभाव मीडियम रहता है। हो सकता है आपको कुछ साइड इफेक्ट देखने को भी मिल जाए इसलिए ऐसा करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। 

क्या गाड़ी चलाते समय या अन्य ऐसा गंभीर और जिम्मेदार काम करते समय निकोटेक्स का सेवन किया जा सकता है? 

जी नहीं, अक्सर यह सलाह दी जाती है की इस दवाई का सेवन करने के बाद आपको ड्राइविंग जैसा जिम्मेदारी भरा काम नहीं करना चाहिए या फिर इसका सेवन करने के कुछ घंटों बाद ड्राइविंग करनी चाहिए। 

क्या निकोटेक्स का प्रभाव खाने पीने की आदतों पर पड़ सकता है? 

नहीं, निकोटेक्स एकदम स्वस्थ ऑप्शन है और इसका सेवन करने के बाद आपकी खाने पीने की आदतें बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होती हैं। 

निकोटेक्स क्या है?

निकोटेक्स एक निकोटीन गोली है, जो धीमे धीमे निकोटीन विकसित करती है, जो धुआंदार उत्पादों को छोड़ने में मदद कर सकता है।

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