ऑनलाइन रिश्ता इतना मजबूत हो गया है कि ऑफलाइन जिंदगी के कनेक्शन मानो टूट ही गए हैं। ये कुछ ऐसा हो गया है कि परिवार के साथ होकर भी हम परिवार के बिना वाली जिंदगी ही गुजार रहे हैं। बहुत बार ऐसा भी होता है कि पूरा परिवार साथ होते हुए भी हम अलग-अलग ही होते हैं। क्योंकि हम अपने-अपने फोन पर होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि परिवार के साथ गैजेट फ्री टाइम गुजारा जाए। अब सवाल मन में ये उठ रहा होगा कि कैसे गुजारें परिवार के साथ गैजेट फ्री टाइम? तो इसका जवाब भी हमारे पास है। दरअसल जवाब हर परिवार के पास है लेकिन कोई आगे बढ़ कर इसके लिए काम करने के बारे में कोई नहीं सोचता है। कुछ आइडिया हम दिए दे रहे हैं, जान लीजिए-

 

डिनर में नो गैजेट

रात को खाना खाते हुए फोन का इस्तेमाल तो बहुत ही आम सी बात है। इस वक्त भी परिवार के साथ गैजेट फ्री टाइम बिताने के बारे में सोचा जाना चाहिए। दरअसल गैजेट उस वक्त भी परिवार के बीच आ जाता है, जब सब खाना खा रहे होते हैं। भले ही सब साथ में बैठ कर खाना खा रहे हों लेकिन सबके हाथ और नजर अपने मोबाइल पर भी होते हैं। यहीं पर परिवार के साथ समय बिताने का मामला फेल हो जाता है। सब साथ होकर भी साथ नहीं होते हैं। इसलिए जरूरी है कि डिनर के समय गैजेट का इस्तेमाल बंद कर दिया जाए और इस पर पाबंदी लगा दी जाए। बच्चों के लिए तो एक नियम ये भी बनाया जा सकता है कि जो मोबाइल डिनर के समय इस्तेमाल करेगा, उसे अगले दो दिन कोई चॉकलेट नहीं मिलेगी। फिर देखिएगा कैसे बच्चे फोन के बिना ही खाना खा लेते हैं। 

शाम का समय

शाम के समय अक्सर परिवार वाले खाली बैठते हैं। तो इस वक्त भी हाथों में मोबाइल होता है और सब बातों के अलावा सबकुछ कर रहे होते है। इस वक्त जरूरत होती है कि शाम का समय साथ में बैठकर इंजॉय किया जाए। जबकि ज्यादातर लोग ऐसा नहीं करते हैं। इसलिए परिवार का समय सिर्फ परिवार का बनाने के लिए आपको ‘नो गैजेट’ टाइम बनाना होगा। शाम के समय सिर्फ 1 घंटे के लिए ही सही लेकिन सब साथ बैठें, दिनभर की बातें करें और मस्ती करें। 

गैजेट टाइम है ये

बच्चों के लिए काफी सारा समय उनके क्लास में ही ऐसा होता है, जो गैजेट का समय बन जाता है। इस वक्त आप चाहें तो बच्चों को गैजेट टाइम न भी दें तो चलेगा। लेकिन ऐसे काम कहां चलता है क्योंकि बच्चों को अब तक गैजेट की आदत लग चुकी है। ये संभव ही नहीं है कि वो सिर्फ पढ़ने के लिए ही गैजेट का इस्तेमाल करें। इसलिए बच्चों का एक समय निश्चित कर दीजिए, जब बच्चे का गैजेट टाइम ही होगा। वो उस समय अपने फोन का इस्तेमाल करे या कम्प्युटर पर बैठे, ये उसकी इच्छा होगी। लेकिन ये समय निश्चित होना चाहिए। ना इससे ज्यादा न इससे कम। इतने समय से ज्यादा पर सजा भी निश्चित की जा सकती है, जैसे 1 पेज राइटिंग करनी होगी। बस ये सजा भी बच्चों के लिए काफी होगी। 

बड़ों का क्या

बड़ों के लिए भी गैजेट के इस्तेमाल पर रोक होनी चाहिए। इस वक्त बड़ों से कहिए कि जब तक जरूरी न हो फोन न उठाएं और ऐसा करने पर उनके लिए भी सजा निर्धारित होगी, जैसे अगले दो दिन उनके मन का खाना बताने की मनाही होगी। या फिर फोन का चार्जर छुपा दिया जाएगा। ऐसा आपको एक दो बार तो करना ही पड़ेगा तब जाकर फेमिली टाइम में गैजेट इस्तेमाल न करने की आदत पड़ेगी। परिवार के साथ गैजेट फ्री टाइम तब ही संभव भी है। 

सुबह का समय

गैजेट का इस्तेमाल सुबह के समय टॉइलेट में भी लोग खूब करने लगे हैं। इस वजह से उनका बहुत समय टॉइलेट में खराब हो जाता है और सुबह नाश्ते के समय वाला फेमिली टाइम जीरो हो जाता है। आप भी ये बात महसूस करती हैं तो अब आपको इस पर भी कुछ कदम उठाने होंगे। जैसे टॉइलेट में नो गैजेट। बड़े हों या बच्चे टॉइलेट में गैजेट के इस्तेमाल पर रोक आपको लगानी ही होगी। ताकि सुबह घर से निकलने से पहले भी परिवार के साथ गैजेट फ्री टाइम बिताया जा सके। 

सारे गैजेट एक जगह

परिवार के बड़े को ये काम आसानी से दिया जा सकता है। उनको कहिए कि दिनभर में एक बाद पूरे परिवार के गैजेट अपने पास ही रख लें। इस वक्त किसी को भी बड़े-बुजुर्ग से फोन लेने की इजाजत बिलकुल नहीं होगी। इस वक्त जो भी गैजेट लेने की कोशिश करें उसे पारिवारिक मुद्दों से दूर रखिए । तब उन्हें परिवार के साथ गैजेट फ्री टाइम की अहमियत समझ आएगी। 

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