ka-hua
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नन्ही गोगो थी शैतान, बल्कि शैतानों की नानी। फिर भी वह प्यारी थी। इतनी प्यारी कि हर कोई उसे चाहता था। मम्मी तो उस पर जान छिड़कती थी।

एक दिन गोगो घर के आँगन में खेल रही थी, फिर देखते ही देखते गायब हो गई। गोगो की मम्मी परेशान, ‘अरे, अरे, गोगो कहाँ गई?’ उन्होंने आसपास पूछा, “अरे भई, तुमने हमारी गोगो को तो नहीं देखा?”

पड़ोस की शीला चाची से पूछा, “कहीं तुमने गोगो को जाते तो नहीं देखा?”

घर के सामने वाली रम्मो मौसी से भी पूछ लिया, “तुमने देखा मेरी गोगो को?”

खुद जाकर यहाँ-वहाँ दस जगह देख आईं। जहाँ-जहाँ वह गोगो को घुमाने ले जाती थी, वहाँ भी देखा। मगर गोगो कहीं नजर नहीं आई।

“अरे, अरे, कोई मेरी गोगो को ले तो नहीं गया?” गोगो की मम्मी परेशान। मन ही मन उनका रोना छूट रहा था।

तभी किसी ने कहा, “नीला भाभी, तुम सामने वाली गुलकी बुआ की बगिया में जाकर क्यों नहीं देखतीं? मैंने एक छोटी-सी लड़की को काले पिल्ले के साथ वहाँ खेलते देखा था। क्या पता, वही आपकी गोगो हो।”

“जरूर होगी वही…वही होगी! याद आया, मैं उसे कुछ रोज पहले गुलकी बुआ की बगिया में ले गई थी। तो आज भी वह अपने काले पिल्ले पोपू के साथ घूमते-घूमते वहाँ चली गई होगी। दुष्ट! नाक में दम कर रखा है।”

बड़बड़ाती हुई गोगो की मम्मी घर से बाहर निकलने ही वाली थीं कि देखा, सामने से हँसती हुई गोगो आ रही है। उसके हाथ-पैरों और फ्रॉक पर ढेर सारी गीली मिट्टी लगी हुई है, जैसे देर तक मिट्टी में खेलती रही हो।

“उफ! तू कहाँ गई थी बेटी, कहाँ?” गोगो की मम्मी ने कुढ़कर पूछा। फिर कहा, “तू खा क्या रही है?”

इस पर नन्ही गोगो पहले तो चुप। एकदम चुप रही। फिर उसने धीरे से मुँह खोला।

मम्मी हैरान! उन्हें गुस्सा भी बहुत आया। नन्ही गोगो मिट्टी खाकर आई भी।

तो भी गुस्से को दबाकर उन्होंने पूछा, “क्यों री गोगो, तुझे खाने को कुछ नहीं मिलता, जो मिट्टी खाने गई थी पार्क में?”

इस पर गोगो भोलेपन से बोली, “का हुआ मम्मी, का हुआ! इतनी नालाज क्यों हो?”

“नाराज इसलिए हूँ कि तू मिट्टी खाकर आई है। इतनी भी अक्ल नहीं है! तुझे कितना समझाया था उस दिन कि…!”

मम्मी आगे कुछ कहतीं कि इससे पहले कि नन्ही गोगो बोली, “मित्ती…मीथी-मीथी, मित्ती मीथी…!”

सुनते ही मम्मी का गुस्सा काफूर और उनकी हँसी छूट निकली।

देर तक वह पेट पकड़कर हँसती रहीं, हँसती रहीं और पड़ोस की शीला चाची के पास जाकर बोली, “अरे सुनिए तो, हमारी शरारतन दादी गोगो क्या कह रही है—मित्ती मीथी-मीथी! जैसे मिट्टी न हो, कोई टाॅफी या चॉकलेट हो।”

सुनकर शीला चाची भी हँसीं, खूब हँसीं और नन्ही गोगो को प्यार से गोदी में लेकर चूम लिया। उस समय गोगो का प्यारा पिल्ला पोपू इस कदर जोर-जोर से पूँछ हिला रहा था, मानो गोगो कोई बहादुरी का काम करके आई है और उसमें वह भी शामिल है।

तब से मम्मी किसी भी बात पर नन्ही गोगो से नाराज होती हैं तो गोगो बड़ा भोला-सा मुँह बनाकर पूछती है, “का हुआ!” और जवाब में मम्मी की हँसी छूट जाती है। वह हँसती हैं, हँसती हैं और बस, हँसती ही चली जाती हैं।

ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंBachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)