Women Success Stories: कहते हैं कि व्यक्ति उम्र से नहीं अपनी सोच से बूढ़ा होता है, जो कि मानी बात है। हमारे आसपास ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने इस बात को पूरी तरह साबित कर दिखाया है तो इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए इस बार के अंक में जानेंगे ऐसी ही अद्भुत व्यक्तित्व की धनी महिलाओं के बारे में।
उम्र को दे रही हैं मात (संताअम्मा, प्रोफेसर सेंचुरियन यूनिवर्सिटी)

कभी-कभी आंखों देखा भी सच नहीं होता यह आप संताअम्मा को देखकर जान सकते है। 93 साल की उम्र में जब अक्सर लोग अपनी बीमारी और दूसरी बहुत सी वजहों से परेशान रहते हैं अरुणाचल प्रदेश की संताअम्मा पढ़ाने के अपने जूनून को जिंदा रखे हैं। कहने को तो वह 1989 में अधिकारिक रूप से रिटायर हो गई थीं। लेकिन उसके बाद उन्होंने दोबारा वापसी की और आज भी वह कार्यरत हैं। हां, उम्र है तो उसकी कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कि घुटना प्रत्यारोपण की वजह से वह अब बैसाखी के सहारे ही चल पाती है। लेकिन कुछ इस चुनौती को भी इन्होंने सहजता से लिया। वह सेंचुरियन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स पढ़ाती हैं। लैक्चर देना तैयारी करना एक अलग विषय है। सुबह 4 बजे उठकर वह नोट्स तैयार करती हैं। यूनिवर्सिटी आने के लिए 60 किमी की वो बस से यात्रा करती हैं।
बहुत कम उम्र में अपने पिता को खोने के बाद उन्हें शायद पता चल गया था कि जिंदगी में पढ़ाई ही वो शस्त्र है जिसके सहारे वह अपनी जिंदगी में बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने बीएसी ऑनर्स में पढ़ाई की। उसके बाद इन्होंने माइक्रोवेव स्पेक्ट्रोसकॉपी में डीएएसी किया। जो कि पीएचडी के बराबर है। 1956 में आंध्रा यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के तौर पर जॉइन किया। वह 70 दशक से पढ़ा रही हैं। उनके अनुसार उम्र कोई मायने नहीं रखती। स्वास्थय का संबंध तो दिमाग से होता है। अगर दिमाग को सेहततंद रखा जाए तो सभी कुछ सही रहता है। वह मानती हैं कि उनका जीवन एक उद्देश्य के लिए है। विवेकानंद मेडिकल ट्रस्ट को वह अपना घर दान भी कर चुकी हैं। फिलहाल वह एक किराये के घर में रहती हैं। सेंचुरियन यूनिवर्सिटी में वह पिछले छह साल से पढ़ा रही हैं। उनकी स्टूडेंट्स की मानें तो वह न कभी देर होती हैं और ऐसा भी नहीं होता कि वह लैक्चर देने न आए। उनके विद्यार्थियों के लिए वह किसी रोल मॉडल से कम नहीं।
सच है संताअम्मा जैसे लोग समाज में रहकर यह साबित कर रहे हैं कि जीवन में जुनून का होना कितना मायने रखता है। अगर आपमें किसी चीज की शिद्दत होती है तो उम्र तो महज एक नंबर है। वरना इस उम्र में अक्सर लोगों को अकेलेपन की समस्या होती है। लेकिन संताअम्मा के पास अकेले होने का समय है ही नहीं। उन्हें अध्यात्म में भी लगाव है। उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है भगवत गीता डिवाइन डायरेक्टिव। इसमें भगवत गीता के श्लोकों का अंग्रेजी अनुवाद है। उनका सपना है कि वह अपनी आखरी सांस तक पढ़ाएं।
बीमारी ने बदल दिया जीवन (किरन दंबेला, बॉडी बिल्डर)

एक आम गृहणी जैसी होती है वैसी ही हैदराबाद की किरन दंबेला भी थी। लेकिन कोई एक घटना आपके जीवन में बदलाव ला देती है। वह अपने घर-परिवार में बहुत खुश थीं। अमूमन जैसा हर गृहणी के साथ होता है अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान नहीं दे पाती थी। नतीजतन उनका वजन 75 किलो तक हो गया था। लेकिन जब ब्रेन में क्लॉट आया तो वह सावधान हुईं। तनाव में रहने लगी। डॉक्टर ने सलाह दी कि वजन कम करना होगा। कुछ ही महीनों में 24 किलो तक वजन कम कर लिया। लेकिन उसके बाद फिटनेस की दुनिया से ऐसा नाता जोड़ा कि न केवल अपनी बीमारी से जीतीं। बल्कि आज लाखों महिलाओं के लिए वह प्रेरणा है। फिटनेस इंडस्ट्री का आज किरन एक जाना-माना नाम है। कई बॉलीवुड स्टार्स और सेलिब्रेटीज को फिटनेस ट्रेनिंग दे रही हैं। बॉडी बिल्डिंग के कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वह हिस्सा ले चुकी हैं और जीत भी चुकी हैं। साल 2013 में बुडापोस्ट में वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और छठवां स्थान हासिल किया। आज लोग उनका डीलडौल देखकर हैरान रह जाते हैं।
हां, लेकिन ऐसा नहीं होता कि आप बस जो सोचें वह फौरन हो जाता है। उन्होंने जब वजन कम किया तो अपने जीवन और करियर के लिए एक सही योजना बनाई। साल 2008 में खुद को पूरी तरह फिट कर एक फिटनेस ट्रेनिंग कोर्स किया। साल 2012 में अपना एक जिम खोला और उस जिम को खोलने के लिए अपने गहने तक बेच दिए। अपने बूते पर खुद को स्थापित करने वाली किरन हर उस महिला के लिए एक आदर्श है जिसे लगता है कि सपने देखने की मोहलत उसके हालात उसे नहीं देते। किरन अपने सपनों की पगडंडी पर बहुत खूबसूरती से चल रही हैं वह एक फिटनेस फ्रीक होने के साथ पर्वतारोही, मोटिवेशनल स्पीकर और फोटोग्राफर भी हैं। अपने हालात के सामने वह झुकी नहीं उससे संघर्ष किया और उनसे जीतीं।
यात्रा की कमान है इनके हाथ (सबीना चोपड़ा, फाउंडर यात्राडॉट कॉम)

अगर आपको सैर-सपाटे करना पसंद है तो आपने यात्रा डॉट कॉम को जानते ही होंगे। यह एक ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म है। हां, लेकिन शायद इस नये तरीके प्लेटफॉर्म के पीछे जो एक दिमाग काम कर रहा है उसकी नायक सबीना चोपड़ा हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से अपने पढ़ाई पूरी करने वाली सबीना शायद अपने अनुभव के आधार पर आने वाले समय की बयार को पहले ही भाप गई थीं। यही वजह है कि अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने अपनी एक स्थापित नौकरी को छोड़कर यात्रा डॉट कॉम नाम का अपना एक स्टार्टअप शुरू किया। आज इन्हें भारत में मोस्ट इनोवेटिव टेक वुमन एंटरप्रेन्योर्स में गिना जाता है। उन्होंने उस समय अपने ऑनलाइन बिजनेस वेंचर की शुरुआत की जब भारत में ऑनलाइन ट्रैवल कॉमर्स अपने शुरुआती चरण में था। यात्रा डॉट कॉम की शुरुआत करने से पहले वे यूरोप की कंपनी ईबुकर्स की इंडिया की ऑपरेटिंग हैड थीं। यह कंपनी यूरोप की एक जानी-मानी ई ट्रैवल कंपनी थीं। इससे पहले वे जापान एयरलाइंस के साथ जुड़ी थीं। अपने बेहतरीन काम के लिए उन्हें साल 2010 में ट्रैवल और टूरिज्म ग्रुप की ओर से ‘वुमन लीडर्स इन इंडिया’ के सम्मान से नवाजा जा चुकी है।
अगर आप ट्रैवल कर रहे हैं तो यात्रा डॉट कॉम आपके लिए एक बेहतरीन गाइड का काम करेगा। इस पर आपको बेहतरीन पैकेज के साथ होटल की बुकिंग मिलती है। चूंकि उस वक्त इसकी शुरुआत हुई थी जब लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के साथ बहुत सहज नहीं थे। ऐसा नहीं था कि लोग इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर रहे थे लेकिन हां, अपनी जरूरतों के लिए वह इस पर निर्भर नहीं थे। ऐसे में वेबसाइट को बहुत आसान बनाया गया था। आज भी अगर इसकी खासियत की बात करें तो यह बहुत ही यूजरफ्रैंडली साइट है। सबीना की कंपनी बहुत आगे बढ़ रही है और उसी के साथ सबीना अपनी जिम्मेदारी समाज के लिए भी समझ पा रही हैं। उन्होंने समाज से जो पाया उसे देने में विश्वास करती हैं। अपनी एनजीओ के माध्यम से वे गर्ल चाइल्ड को सपोर्ट करती हैं।
सबीना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की है। उनकी दो बेटियां हैं। बतौर एक मां और पत्नी होने के साथ वह एक सफल बिजनेस वुमेन भी हैं। उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि करोड़ों का टर्न ओवर देने के साथ वह अपने परिवार की बागडोर को बखूबी संभाल कर रख रही हैं। सबीना की सफलता बताती है कि अगर आप में हुनर है और जोखिम लेने का माद्दा है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अपने अनुभव के आधार पर वह पहचान पाई कि आने वाले समय का भारत क्या चाहता है। वह एक बेहतरीन लीडर है। समस्या चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो वह मुस्कराकर उस पर सफलता पाना बखूबी जानती हैं।