Mother of Rivers
Mother of Rivers

मध्य प्रदेश की ख़ास बात

इस राज्य की भौगोलिक संरचना और पर्वतीय क्षेत्रों के कारण यहाँ से कई महत्वपूर्ण नदियाँ निकलती हैं जो आगे चलकर देश के विभिन्न हिस्सों को जल प्रदान करती हैं।

Mother of Rivers: मध्य प्रदेश को भारत का ह्रदय प्रदेश कहा जाता है लेकिन जल संसाधनों की दृष्टि से इसे नदियों का मायका भी कहा जाता है। इस राज्य की भौगोलिक संरचना और पर्वतीय क्षेत्रों के कारण यहाँ से कई महत्वपूर्ण नदियाँ निकलती हैं जो आगे चलकर देश के विभिन्न हिस्सों को जल प्रदान करती हैं। यहाँ से प्रवाहित होने वाली नदियाँ कृषि, पर्यटन, जैव विविधता और धार्मिक आस्था से गहराई से जुड़ी हुई हैं। ये नदियाँ राज्य की सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आइए, पाँच विस्तृत बिंदुओं के माध्यम से समझते हैं कि मध्य प्रदेश को नदियों का मायका क्यों कहा जाता है।

मध्य प्रदेश कई महत्वपूर्ण नदियों का जन्मस्थान है जो इसे नदियों का मायका बनाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। यहाँ से निकलने वाली नदियाँ न केवल राज्य की जल आवश्यकताओं को पूरा करती हैं बल्कि अन्य राज्यों में भी जल आपूर्ति करती हैं। नर्मदा नदी अमरकंटक से निकलती है और पश्चिम की ओर प्रवाहित होकर अरब सागर में मिलती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा पर्वत से निकलकर महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए अरब सागर में गिरती है। चंबल नदी मालवा के पठार से निकलती है और राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में प्रवाहित होकर यमुना नदी में मिलती है। इन सभी नदियों के उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में स्थित हैं जिससे यह राज्य जल स्रोतों की दृष्टि से समृद्ध बना हुआ है।

Mother of Rivers
Religious and cultural importance

मध्य प्रदेश की नदियाँ केवल जल स्रोत नहीं हैं बल्कि इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। नर्मदा नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है और “नर्मदा परिक्रमा” एक प्रमुख धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है जहाँ हर 12 वर्षों में कुंभ मेले का आयोजन होता है। ओंकारेश्वर, जो नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। चंबल नदी का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है और इसे धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है। इन नदियों के किनारे स्थित मंदिर, तीर्थस्थल और धार्मिक आयोजन इन्हें विशेष आध्यात्मिक महत्ता प्रदान करते हैं।

Role in environment and biodiversity

मध्य प्रदेश की नदियाँ जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चंबल नदी दुर्लभ घड़ियाल, डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों का प्राकृतिक आवास है। नर्मदा, ताप्ती और सोन नदियाँ अनेक जलचरों और प्रवासी पक्षियों का बसेरा हैं। इन नदियों के किनारे स्थित जंगलों में बाघ, बारहसिंगा, हिरण और अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं। जलवायु संतुलन बनाए रखने में ये नदियाँ अत्यंत सहायक हैं, क्योंकि इनसे मिलने वाली नमी से वनस्पतियों का विकास होता है। नदियों के संरक्षण से न केवल वन्यजीवों की रक्षा होती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहता है।

economic development
Contribution to tourism and economic development

मध्य प्रदेश की नदियाँ पर्यटन और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करती हैं। भेड़ाघाट संगमरमर की चट्टानों और धुआंधार जलप्रपात के कारण प्रसिद्ध है। चंबल नदी सफारी घड़ियाल और दुर्लभ पक्षियों को देखने के लिए एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। ओंकारेश्वर और महेश्वर, जो नर्मदा नदी के किनारे स्थित हैं, धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र हैं। जल पर्यटन, नाव विहार, और मछली पालन जैसी गतिविधियाँ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का साधन बनती हैं।

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...