Laddu Gopal
Why is Shri Krishna called Laddu Gopal?

Summary: क्यों पड़ा श्रीकृष्ण का नाम लड्डू गोपाल?

भक्त रघुनंदन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच घटित इस अद्भुत घटना ने दिया उनका प्यारा नाम।

Why Shri Krishna called Laddu Gopal?: हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी एक बेहद ही पवित्र त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप ‘लड्डू गोपाल’ की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त अपने भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की लीलाओं का स्मरण करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार जन्माष्टमी का पावन त्योहार शनिवार 16 अगस्त को मनाया जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को क्यों लड्डू गोपाल कहा जाता है और क्या है इसकी रोचक कथा?, आइए जानते हैं।

Why Shri Krishna called Laddu Gopal?
Why Lord Shri Krishna is called ‘Laddoo Gopal’

पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रज नगरी में भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त कुम्भनदास रहते थे। उनका एक बेटा भी था, जिसका नाम रघुनंदन था। कुम्भनदास हमेशा ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा किया करते थे। यही कारण है कि वे कभी भी अपना घर और मंदिर छोड़कर कहीं भी नहीं जाते थे। लेकिन एक बार उन्हें वृंदावन से भागवत कथा का निमंत्रण आया, वे चाहकर भी इस निमंत्रण को मना नहीं कर पाए। जब उन्होंने भागवत में जाने का मन बनाया तो उन्होंने अपने बेटे रघुनंदन को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जिम्मेदारी दी। साथ ही यह भी कहा कि शाम के वक्त भगवान को भोग जरूर लगाए।

Lord Krishna Child Look
This is how Lord Krishna took the child form

अपने पिता के कहे अनुसार रघुनंदन ने पूरे विधि-विधान के साथ श्रीकृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाने के लिए एक थाली रखी। जैसे ही रघुनंदन ने भोग की थाली परोसी, तो उसने देखा कि वहीं सामने एक छोटा बच्चा बैठा हुआ है। बच्चे को देख रघुनंदन ने सोचा कि इस बच्चे को स्वंय अपने हाथों से खाना खिला देता हूं। लेकिन वह बच्चा तुरंत ही जोर-जोर से चिल्ला-चिल्ला कर रोने लगा। रघुनंदन को लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि भगवान श्रीकृष्ण उससे नाराज हो गए हैं। तभी बच्चे की रोने की तेज आवाज सुनकर श्रीकृष्ण से भी रहा नहीं गया और वे स्वंय बाल स्वरूप धारण करके रघुनंदन के सामने आ गए।तब भगवान श्रीकृष्ण ने रघुनंदन द्वारा परोसा गया भोग ग्रहण किया और आशीर्वाद देकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए।

Kumbhand Das
Kumbhand Das got suspicious of Raghunandan after seeing the empty plate of food

जब रघुनंदन के पिता कुम्भनदास घर वापस आए, तब उन्होंने देखा कि भोग की थाली खाली रखी हुई है, इसे देखकर वे हैरान हो गए। फिर उन्हें लगा कि शायद उनके बेटे को भूख लगी होगी, इसलिए उसने यह भोग खा लिया होगा। लेकिन जब ऐसा रोजाना होने लगा और रघुनंदन को भी श्रीकृष्ण की पूजा में बहुत ज्यादा रूचि लेते देख कुम्भनदास को बेटे पर शक होने लगा। एक दिन जब रघुनंदन पूजा कर रहा था तो कुम्भनदास दिवार के पीछे छिप कर उसे देखने लगे, ताकि वे जान सकें कि ऐसा क्यों हो रहा है।

Laddu Gopal
This is how Kumbhhandas got the darshan of Laddu Gopal

शाम के समय जब रघुनंदन ने कान्हीजी की पूजा कर उन्हें भोग की थाली परोसी, तब थाली में भोग परोसते ही सामने कान्हाजी बाल स्वरूप में प्रकट हो गए। जैसे ही कुम्भनदास ने यह दृश्य देखा उनसे रहा नहीं गया और वह कान्हाजी के चरणों में आ गिरे। जिस समय कुम्भनदास कान्हाजी के चरणों में गिरे, उस समय कान्हाजी के हाथ में लड्डू था और वह उसी रूप में वहां जड़ गए। इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण को लड्डू गोपाल कहा जाता है।

ए अंकिता को मीडिया इंडस्ट्री में 9 वर्षों का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की और खास तौर पर लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट बीट में रुचि रखती हैं। लेखन के अलावा वेब सीरीज़ देखना, घूमना, संगीत सुनना और फोटोग्राफी...