वत्स द्वादशी व्रत 2023 कब है, जानिए पर्व से जुड़ी पूजा विधि और पौराणिक महत्व: Vats Dwadashi 2023
Vats Dwadashi 2023

Vats Dwadashi 2023: सनातन धर्म में पशु पक्षियों में भी देवताओं का निवास माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सभी पशु पक्षी किसी न किसी देवता का ही अवतार हैं। सभी पशु पक्षियों में सबसे अधिक पूजनीय गाय को माना गया है। माना जाता है कि गाय के शरीर में 33 कोटि के देवता रहते हैं। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय को माता का स्थान दिया गया है। गौमाता और उनके कुल का सम्मान करने के लिए प्रतिवर्ष सुहागिनों द्वारा भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को वत्स द्वादशी या बछबारस का व्रत किया जाता है। इस साल बछबारस का व्रत 11 सितम्बर 2023, सोमवार को किया जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान प्राप्ति होती है और घर में सुख समृद्धि आती है। आज इस लेख के द्वारा हम जानेंगे कि बछबारस व्रत की पूजा कैसे करें और इस व्रत का महत्व क्या है।

बछबारस की पूजा विधि

Vats Dwadashi 2023 Puja
Vats Dwadashi 2023 Puja

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, शास्त्रों में यह उल्लेख मिलता है कि भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण पहली बार जंगल में गायें चराने गए थे। इस कारण भी यह पर्व बहुत खास है। बछबारस के दिन स्नान आदि कार्य खत्म करके बछड़े वाली गाय की पूजा करनी चाहिए। यदि गाय और उसके बछड़े का रंग समान हो तो यह बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है।
बछबारस के दिन गाय और उसके बछड़े को हल्दी और चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें चावल, फूल, तिल और गुड़ रखकर “क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते। सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:” मंत्र का जाप करते हुए जल को गाय के खुर पर अर्पित करना चाहिए और खुर को छू कर आशीर्वाद लेना चाहिए। गाय के पैरों की मिट्टी से तिलक करना चाहिए।

बछबारस के दिन गौवंश के साथ साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए। शास्त्रों में बछबारस के दिन चाकू से कटी हुई चीजों का, गेंहू, चावल और गाय के दूध से बनी हुई चीजों आदि का सेवन वर्जित माना गया है। जो महिलाएं बछबारस का व्रत करती हैं, वो पहले दिन रात में ही मूंग, मोठ, चना और बाजरा भिगो कर रखती हैं। बछबारस के दिन प्रसाद के रूप में इसी भिगोए हुए अंकुरित अनाज का सेवन किया जाता है।

बछबारस व्रत का महत्व

Bach Baras Puja
Bach Baras Puja

बछबारस के दिन सुहागिन और पुत्रवती महिलाएं संतान प्राप्ति और अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। “मातर: सर्व भुतानामं गाव:” के अनुसार गाय पृथ्वी के समस्त प्राणियों की जननी हैं। गाय के सींगों के बीच में ब्रह्मा, माथे पर भगवान शिव, दोनों कानों में अश्वनी कुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्रमा, गर्दन में माता पार्वती , पीठ पर नक्षत्र गण, ककुद में आकाश, गोबर में माता लक्ष्मी तथा स्तनों में चारों समुन्द्र निवास करते हैं। इसलिए बछबारस के दिन गाय की पूजा करने से एक साथ सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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