Jewellery
दुल्हन बनने का मौका हर लड़की को एक बार ही मिलता है। इसीलिए तो हर लड़की दुल्हन बनने की तैयारी जोर शोर से करती है। लेकिन भारत में हर कल्चर के हिसाब से दुल्हन का सजना भी तय होता है। तय होते हैं उनके कपड़े, मेकअप और ज्वेलरी भी। इस बार अगर ज्वेलरी की बात करें तो हर दुल्हन के पास अपने प्रांत के हिसाब से कम से कम एक जेवर तो होता ही है। जैसे पंजाबी दुलहन कलीरों के बिना अधूरी है तो मराठी नथ के बिना। मतलब अलग प्रांत की दुल्हन के पास अलग ज्वेलरी भी होती है। इन जेवरों का महत्व क्या है? जैसे क्यों नहीं मराठी दुल्हन उत्तर भारत वाली बड़ी नाथ पहनती हैं? दुल्हन को लेकर जेवरों से जुड़े खास नियम सच में अनोखे हैं और शादी के दिन को भी अनोखा ही बना देते हैं। दुल्हन भी इन जेवरों में इतनी प्यारी लगती है कि सब उन्हें ही देखते रह जाते हैं। इन जेवरों से जुड़ी इन्हीं कहानियों को चलिए जानते हैं-

उत्तराखंड की नथ-
उत्तराखंड से नाता रखने वाली महिलाएं तीज-त्योहार पर बड़ी सी नथ जरूर पहनती हैं। ये नथ एक तरह से सुहाग की निशानी के तौर पर देखी जाती है। दुल्हन इसे एक बार पहनने के बाद आगे हर मौके पर इसको पहनती ही है। इस नथ को नथुली या फिर पहाड़ी नथ भी कहा जाता है। इस नथ के बिना उत्तरखंडी महिलाओं का मानिए कि शृंगार ही अधूरा है। ये नथ सिर्फ शादीशुदा महिलाओं के लिए है, इसे कुंवारी या विधवा महिलाएं नहीं पहनती हैं। इस नथ से जुड़ा भी एक इतिहास है। माना जाता है कि जब से टिहरी में राजा-रजवाड़ों का राज था तब से ही यहां की महिलाएं नथ पहनती हैं। ये परिवार की संपन्नता भी दर्शाता है। इस नथ की गोलाई 35 से 40 सेमी तक रहती है।
गुजराती दुल्हन कितनी प्यारी दिखती हैं। उनमें एक अलग ही तरह की सादगी भी दिखती है। मगर उनके जेवर कुछ अलग ही तरह से खास नजर आते हैं। इनमें कुन्दन रानी हार है तो चूड़ियों का ही दूसरा रूप कुन्दन बांगड़ी भी। इसके साथ कमर में पहना जाने वाला कंडोरा हो या कानों में पहनी जाने वाली कुन्दन बुट्टी। गुजरती दुल्हन की हर ज्वेलरी अच्छी लगती है। लेकिन इन्हीं ज्वेलरी के बीच में सबसे ज्यादा चमकने वाला जेवर है दामिनी। हेड ज्वेलरी के तौर पर पहनी जाने वाली दामिनी मांग टीका का ही दूसरा रूप है। मांग टीका के साथ दो लड़ें दाएं-बाएं भी होती हैं। गुजरती दुल्हन ये जेवर जरूर पहनती हैं। इसके साथ उनकी खूबसूरती देखते ही बनती है।

मराठी दुल्हन की सुंदर नथ-
भारत देश में दुल्हनें कई तरह की नथ पहनती हैं। अलग-अलग प्रांत में अलग-अलग नथ का प्रचलन है। कई दुल्हनें बड़ी निजामी नथ पहनती हैं तो कई छोटी। इन्हीं नथों में से एक है मराठी नथ। जिसके बिना मराठी त्योहार मानो अधूरे ही मानें जाते हैं। दुल्हन तो इस जेवर के बिना अधूरी ही होती है। बाकी सभी महिलाएं भी इस नथ के बिना खुद को पूरा तैयार नहीं मानती हैं।

पंजाबी दुल्हन और कलीरें-
पंजाबी दुलहन को शादी के समय चूड़ा और कलीरें पहनें देखा ही जाता है। ये एक ऐसी पारंपरिक रस्म है, जो तकरीबन हर पंजाबी दुल्हन निभाती ही है। बड़ी से बड़ी हीरोइनों ने भी अपनी शादी पर कलीरें पहनी ही थीं जैसे सोनम कपूर, करिश्मा कपूर और नेहा धूपिया। मगर ये कलीरें पहनी ही क्यों जाती हैं तो इसके पीछे पंजाबी रस्में हैं। कलीरे दुल्हन की बहन या दोस्त ही बांधते हैं। ये कलीरें दुल्हन कुंवारी लड़की के सिर पर छनकाती है। फिर ये जिसके भी सिर पर गिरता है, माना जाता है कि अगली उसी की शादी होगी। शादी के अगले दिन एक कलीरा मंदिर में चढ़ा दिया जाता है। ये एक तरह से भगवान से हमेशा के लिए आशीर्वाद मांग लेने जैसा है। जबकि बाकि बचा कलीरा लड़की अपने पास ही रख लेती है। कलीरों को चूड़ी पर ही बांधा जाता है।
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