भगवान हनुमान की प्रतिमा कई मंदिरों में होती हैं। घरों में भी कई सुंदर प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। लेकिन इन्हीं प्रतिमाओं में कुछ ऐसी हैं, जिन्हें एक बाद देखने के बाद मुंह से एक ही शब्द निकलता है ‘अद्भुत’। देश की सबसे ऊंची हनुमान जी की प्रतिमाएं यही एहसास देती हैं। इन प्रतिमाओं को बनाने में बहुत मेहनत हुई है। अब इनकी भव्यता देख कर लोग बस इन्हें देखते ही रहना चाहते हैं। ये ऊंची तो हैं हीं भक्ति का भाव भी कई प्रतिशत बढ़ा देती हैं। जीवन काल में एक बार इन प्रतिमाओं को देखना और इनकी भव्यता को महसूस करना जरूरी सा है। इन प्रतिमाओं के बारे में जानने के बाद आप इनको सामने से देखने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। चलिए, इनको जान लेते हैं-
135 फीट के अंजनया हनुमान जी-
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में में हनुमान जी की एक सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई गई है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 135 फीट या 41 मीटर है। विजयवाड़ा के परितला में इस मूर्ति को साल 2003 में स्थापित किया गया था। इस मूर्ति को वीरा अभय अंजनेय हनुमान स्वामी कहा जाता है। 
2296 फीट पर बनी प्रतिमा-
हिमाचल प्रदेश के शिमला में बनाई इस प्रतिमा की ऊंचाई 33 मीटर मतलब करीब 108 फीट है। मगर इसकी ऊंचाई से भी जरूरी एक बात है। शिमला के जाखू मंदिर में स्थापित ये प्रतिमा करीब 2296 फीट की ऊंचाई पर रखी गई है। ये अनोखी मूर्ति साल 2010 में बनाई गई थी। 
30 फीट की गदा वाले हनुमान जी-
महाराष्ट्र में हनुमान जी एक एक ऐसी प्रतिमा है, जिसकी गदा ही 30 फीट लंबी है। बाकी इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 32 मीटर है। 105 फीट ऊंची इस प्रतिमा का सीना ही करीब 700 फीट चौड़ा बनाया गया है। महाराष्ट्र के छोटे से कस्बे नंदुरा में बनाई गई इस मूर्ति को देखने के लिए गांव के अंदर नहीं जाना पड़ता है। यहां आने के लिए आपको शेगांव रेलवे स्टेशन तक आन होगा। 
करोलबाग की जानी-मानी प्रतिमा-
जो लोग कभी भी दिल्ली गए हैं, वो जानते हैं कि दिल्ली के करोलबाग में एक बहुत सुंदर और बड़ी हनुमान जी की प्रतिमा है। करोलबाग मेट्रो स्टेशन पर बनी इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब 108 फीट है। माना जाता है कि इस मूर्ति का निर्माण 1994 में शुरू हुआ। फिर अगले 13 वर्षों बाद साल 2007 में ये प्रतिमा बन कर तैयार हुई। 
पितृ पर्वत पर बनी प्रतिमा-
इंदौर में पितृ पर्वत पर बनी इस प्रतिमा का वजन 108 टन है। इसकी ऊंचाई भी कुछ कम नहीं है। 71 फीट ऊंची इस प्रतिमा का निर्माण अष्ट धातु से किया गया है। इसमें सोना, चांदी, प्लेटिनम, पारा, एंटीमनी, जस्ता, सीसा और रांगा का इस्तेमाल किया गया है। खास बात ये है कि इस प्रतिमा को ग्वालियर में किया गया था। फिर टुकड़ों में इसे इंदौर लाया गया और स्थापित किया गया। मूर्ति के साथ 45 फीट लंबी गदा भी है। 
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