जानें खाज्जिअर कैसे पहुँचे, क्या-क्या है देखने के लिए
खाज्जिअर इतना ख़ूबसूरत है कि लोग इसे मिनी स्विटजरलैंड कहते हैं। इस जगह पर प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ साथ आपको तमाम तरह की जैव विविधता देखने को मिलती है।
Khajjiar Tourism: डलहौज़ी से कुछ ही किमी की दूरी पर चंबा जिले में स्थित खाज्जिअर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह जगह इतनी ख़ूबसूरत है कि लोग इसे मिनी स्विटजरलैंड कहते हैं। इस जगह पर प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ-साथ आपको तमाम तरह की जैव विविधता देखने को मिलती है। डलहौज़ी से खाज्जिअर तक का रास्ता घने जंगलों से होकर गुज़रता है और मन करता है कि बस यहाँ की ख़ूबसूरती को बस देखते रहें। खाज्जिअर में पहुंचने पर सबसे पहले आपका दीदार वहाँ की झील और मंदिर से होता है और फिर एक गोल्फ़ कोर्स नज़र आता है। इस गोल्फ़ कोर्स की ख़ास बात यह की इसमें नौ छेद हैं जो अपने आपमें अन्य गोल्फ़ के मैदानों से अलग है। यह इतना प्रसिद्ध है कि इसे देखने के लोग दूर दूर से इस जगह पर पहुंचते हैं। इस जगह के हरे भरे दृश्य और खूबसूरती को देखकर मन खुश हो जाता है।
इस जगह पर घूमने के लिए भी काफी कुछ है। अगर आप खाज्जिअर आते हैं तो आपको यह तो पता चल ही जाएगा कि खाज्जिअर को मिनी स्विटजरलैंड क्यों कहा जाता है, इसके पीछे का तथ्य और कहानी क्या है। लेकिन इन सबसे ज़रूरी है घूमना। यहां आते हैं तो खाजी नाग मंदिर, खाज्जिअर झील, डैनकुंड पीक, कला तोप वन्यजीव अभयारण्य जैसी जगहों पर जाना बिल्कुल भी नहीं भूलें।
Khajjiar Tourism: खाज्जिअर झील

इस जगह पर घूमने टहलने के लिए जगहों की कोई कमी नहीं है पर एक जगह जो लोगों को सबसे ज़्यादा पसंद आती है वह है खाज्जिअर झील। चारो तरफ़ ऊँची ऊँची पहाड़ियाँ और फिर एक बड़े से समतल घास के मैदान में स्थित एक झील, जो कि देवदार के पेड़ों से घिरी हुई है। खाज्जिअर झील का वातावरण इतना ख़ूबसूरत और मनोहारी है कि मन करता है कि बस इसे ही एकटक बैठकर निहारते रहें। अगर आप खाज्जिअर जाते हैं तो इस जगह पर जाना बिल्कुल भी नहीं भूलें, यह बहुत ही मनोरम जगह है।
कलातोप वन्यजीव अभयारण्य

खाज्जिअर में एक वन्यजीव अभयारण्य भी जिसे कला तोप वन्यजीव अभयारण्य के नाम से जाना जाता है। यह अभयारण्य काफ़ी प्रसिद्ध और देखने लायक़ है। यह अभयारण्य हज़ारों उन जीव जंतुओं का घर है जिन्हें इस जगह पर संरक्षित कर के रखा गया है। इस जगह पर आपको घूमते हुए कई तरह के पक्षी और जानवर दिख जायेंगे। यहाँ पर भालू, तीतर और तमाम तरह के हिमलायी पक्षी दिखाई देते हैं। इस जगह का प्राकृतिक सौंदर्य भी बेमिशाल है।
खाजी नाग मंदिर

खाजी नाग मंदिर खाज्जिअर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। 12 वीं शताब्दी में बना यह मंदिर खाज्जिअर झील के बिल्कुल किनारे पर ही स्थित है। इसलिए झील की तरफ़ जाने पर यह आपको आसानी से दिख जाएगा। नाग देवता को समर्पित इस मंदिर में भगवान शिव की बहुत सारी मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर में आपको हिंदू तथा मुगल शैली के वास्तु शिल्प का मिश्रण देखने को मिलेगा। इस मंदिर की लकड़ी की दीवारों पर जो नक्काशी है, उसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग इस जगह पर पहुंचते हैं।
तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र

खज्जियार में रहते हुए अगर आप चाइनीज खाना खाना और तिब्बतियन संस्कृति को जानना समझना चाहते हैं तो तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र उपयुक्त जगह है। इस जगह पर स्थानीय लोगों के द्वारा बनाई गई हाथ की निर्मित वस्तुएं कालीन और वॉल-हैंगिंग आदि मिलती हैं। इस जगह पर शॉपिंग करने वालों की भीड़ रहती और लोग इस जगह पर तिब्बती शॉल और स्मृति चिन्हों को खरीदते दिखाई देते हैं। इस जगह पर आपको घर की सजावट से जुड़ा अच्छा सामान मिल जायेगा। इस जगह पर आप मैग्गी, मोमोज, नूडल्स और सुप ट्राई कर सकते हैं।
धौलाधर रेंज खाज्जिअर

खाज्जिअर से पूरी धौलाधर रेंज दिखाई देती है। ऐसे में अगर आपको ट्रेकिंग अथवा हाईकिंग पसंद है तो बस निकल जाइये। यहाँ के ऊँचे ऊँचे पहाड़ ऐसा लगता है कि हमें बुला रहे हैं। खाज्जिअर से होकर डलहौजी तक बस से जाया जा सकता है फिर उसके बाद धौलाधर के लिए ट्रेकिंग कर लीजिये। यह अपने आपमें एक बहुत ही खूबसूरत और रोमांच देने वाला सफर होगा। प्रकृति का जो नजारा दिखाई देगा उससे आपका मन प्रफुल्लित हो जायेगा।
डैनकुंड पीक
डैनकुंड पीक खाज्जिअर का सबसे ऊंचा स्थान है जिसे लोग सिंगिग हिल के नाम से भी जानते हैं। इस जगह पर पहुंचने के लिए मोटर मार्ग तो है लेकिन ट्रेकिंग करते हैं तो आपको एक अच्छी ख़ासी चढ़ाई करनी पड़ती है पर एक बार आप चोटी पर पहुंचते हैं तो घाटियों तथा प्राकृतिक दृश्य का जो नजारा दिखाई देता है उसे देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है। सर्दियों में तो बर्फ़बारी होती है और यह जगह और भी ख़ूबसूरत हो जाती है। जिसकी वजह से देश दुनिया के सैलानियों का यहाँ पर आना जाना इस जगह पर लगा रहता है।
भगवान शिव की प्रतिमा

खाज्जिअर से कुछ ही किमी की दूरी पर एक बहुत बड़ी शिव प्रतिमा दूर से ही दिखाई देती है। शिव भगवान के इस विशाल प्रतिमा की लम्बाई पच्चासी किमी बताई जाती है। भगवान शिव की इस प्रतिमा को कांस्य के रंग में पॉलिश किया गया है, जिसकी वजह से दूर से ही चमकती हुई दिखाई देती है। सर्दियों में जब बर्फ़बारी शुरू होती है तो भगवान शिव की यह प्रतिमा बर्फ से ढक जाती है और दूर से देखने पर और ज़्यादा आकर्षक नज़र आती है।
खाज्जिअर कैसे पहुंचे?
खाज्जिअर जाने के लिए सभी तरह के पर्यटन के साधन मौजूद हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार सड़क या फिर हवाई मार्ग से जा सकते हैं। इस जगह पर जाने के लिए आप ट्रेन की सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं। खाज्जिअर का सबसे निकटतम एयरपोर्ट गग्गल और रेलवे स्टेशन पठानकोट है।
खाज्जिअर में कहाँ ठहरे?
खाज्जिअर में झील के आसपास ही तमाम तरह के होटल मौजूद हैं जो आपको आसानी से आपके बजट में ही मिल जाते हैं। आप चाहें तो आसपास के गाँवों में बने होमस्टे में भी रुक सकते हैं। यह आपको स्थानियता का अनुभव कराएगी और आप क़रीब से वहाँ की संस्कृति को जान और समझ पाएँगे।
खाज्जिअर घूमने जाने का सही समय
खाज्जिअर घूमने के लिए कौन सा सही समय है यह घूमने वाले की की पसंद पर निर्भर करता है। वैसे ज़्यादातर सैलानी इस जगह पर गर्मी में जाना पसंद करते हैं क्योंकि गर्मी के बावजूद यह जगह काफ़ी ठंडी होती है। लेकिन मुझे बर्फ़बारी पसंद है इसलिए मुझे इस जगह पर सर्दी में जाना अच्छा लगता है।