एक दिन अचानक बैग पैक किया और निकल पड़े! कुछ लाइफस्टाइल में आए बदलाव और कुछ लोगों के सोचने के नजरिए ने प्री-प्लान्ड़ ट्रिप को दरकिनारे कर दिया है। अचानक घूमने निकलने वाले लोग बैग पैक करके कार में डालते हैं और निकल पड़ते हैं ऐसी यात्रा पर, जो बेहद खूबसूरत होती है। बैचलर्स तो बाइक को ही लेकर चल देते हैं। वैसे भी ट्रेन में यात्रा के लिए दो महीने पहले टिकट कटाना अब कहां समझदारी भरा काम रह गया है। दो महीने बाद का समय किसने देखा है, छुट्टी नहीं मिली तो सारी मेहनत बेकार रह जाती है। बढ़ती महंगाई ने फ्लाइट के लिए भी टिकट कटाने को एक-दो महीने पहले ही इजाजत दी है।
तुरंत-फुरंत तय हुई यात्रा में सड़क से जाना ही बेहतर है। फिर चाहे कार हो या बाइक। रास्ते की खूबसूरती और रास्ते में आने वाले अन्य पड़ाव भी देखने को मिल जाते हैं। हमारे देश में ऐसे कई रोड ट्रिप हैं, जो आपकी घुमक्कड़ी में एक नया जुनून भरने की क्षमता रखते हैं। ऐसे ही कुछ रोड ट्रिप्स के बारे में जानिए-
मनाली से लेह
मनाली से लेह के रास्ते की खूबसूरती को शब्दों में बयान करना मुश्किल है। सड़क किनारे बर्फ से ढके ऊंचे पहाड़ और सामने खुला नीला आसमान। महसूस होता है मानो जन्नत यहीं है। फिल्म ‘जब वी मेट का वह गाना याद कीजिए, जिसमें करीना कपूर ‘ये इश्क हाय- जन्नत दिखाए गाते हुए डोल रही हैं। यह रास्ता करीब 480 किलोमीटर का है और यह सड़क साल में केवल पांच महीने खुली रहती है, गर्मियों से अक्टूबर तक। इस यात्रा को पूरी करने में दो दिन लग जाते हैं। मनाली की खूबसूरत घाटी से लेह की ऊंचाई आपके तन-मन को सराबोर कर देने के लिए काफी है। बर्फीली हवाएं और रास्ते में मिलने वाली मोनेस्ट्री आपको अध्यात्म के साथ थ्रिलिंग अनुभव दे जाएंगी।
कोलकाता से दीघा
गर्मियों में छुट्टी मनाने के लिए यह सबसे प्यारा ट्रिप साबित होगा। इस यात्रा को पूरा करने में बहुत समय भी नहीं लगता, विद्यासागर सेतु से कोलाघाट और फिर निमटोरी, बजकुल, कांठी होते हुए दीघा केवल तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है। यहां रास्ते में कई ढाबे मिलेंगे, जहां आप बंगाली भोजन के साथ ही सुमद्री भोजन का भी लुत्फ उठा सकते हैं। सुबह-सुबह निकल पडि़ए और कोलाघाट में ब्रेकफास्ट कीजिए। कहने को तो दीघा छोटी सी जगह है लेकिन यहां के समुद्र तट, समुद्री भोजन और आलस भरा दिन आपको रिलैक्स महसूस करवाने के लिए पर्याप्त है। सुमद्र तट पर टहलिए या फिर घोड़े की सवारी कीजिए। यहां दो-तीन दिन का समय बिताना मजेदार रहेगा।
दार्जिलिंग से पेलिंग
पहाड़ी रास्तों से गुजरना भला किसे अच्छा नहीं लगता! बेहद हसीन घाटियों और पहाड़ों से होते हुए आप पेलिंग तक की यात्रा पूरी करेंगे। दार्जिलिंग से कलिमपोंग, मानपुर और फिर गेजिंग से होते हुए आप पेलिंग पहुंचते हैं। कलिमपोंग अपने आपमें बेहद खूबसूरत जगह है, जहां आप चाहें तो एक-दो दिन रुक सकते हैं। यह रास्ता केवल 110 किलोमीटर का है, जिसे पूरा करने में आपको तीन घंटे लगेंगे। हां, यह जरूर है कि इस रास्ते जाने से पहले आपको मौसम के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए क्योंकि खराब मौसम की वजह से यह रास्ता अक्सर बंद हो जाता है।
दिल्ली से जयपुर
यदि आपको संस्कृति के अनोखे संगम को देखना हो तो यह रोड ट्रिप आपके लिए है। साथ ही अपने देश की ऐतिहासिक झलक और वन्य जीवन को भी देखने का सुअवसर प्रदान करता है यह रोड ट्रिप। ताजमहल देखने के लिए आगरा, बाघ के नजारे के लिए रणथम्बौर और ऐतिहासिक इमारतें एवं किले देखने के लिए जयपुर। यह रास्ता करीब 275 किलोमीटर का है, जिसे पूरा करने में पांच घंटे लगेंगे। दिल्ली से आगरा और फिर फतेहपुर सीकरी होते हुए जयपुर पहुंचते हैं। एनएच 11 पर होते हुए लजीज राजस्थानी भोजन के लिए शर्मा ढाबा पर जरूर रुकें।
अहमदाबाद से भुज
सफेद रेत देखने का मन अधिकतर लोगों को होगा। सफेद रेत पर रंग-बिरंगे लोगों को देखना हो तो कच्छ से बेहतर दूसरी कोई अन्य जगह नहीं है। अहमदाबाद शहर से कार में निकल पडि़ए कच्छ के रण की ओर। साथ में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और कुछ कीमती स्थानीय हैंडीक्राफ्ट्स भी देखने का मौका इसी रास्ते में मिलेगा। करीब 400 किलोमीटर का रास्ता पूरा करने में सात घंटे लगेंगे। अहमदाबाद से विरमगम, हलवड और फिर लकाडिया होते हुए भुज पहुंचिए। रास्ते में होडको गांव में रुक कर स्थानीय हैंडीक्राफ्ट्स खरीदना मत भूलिएगा।
बेंगलूरु से कूर्ग
कर्नाटकके पश्चिमी घाट पर बसे कूर्ग को स्कॉटलैंड ऑफ इंडिया नाम से जाना जाता है। बेंगलूरु से चेन्नपटना, फिर मैसूर से कुशालनगरा और फिर पहाडिय़ों के बीच रुई जैसे बादलों के नीचे होते पहुंचिए मेडिकेरी, जो पहाड़ों के बीच चिडिय़ा के घोंसले सा प्रतीत होता है। पश्चिमी घाटों को छूते कॉफी के पौधे आपको शांति और सुकून से भरे हॉलीडे के लिए आमंत्रित करते हैं। मेडिकेरी से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर जंगल स्थित एलीफैंट कैम्प जाकर हाथियों के झुण्ड को देख सकते हैं। मेडिकेरी से ही करीब 110 किलोमीटर दूर नागरहोल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। पार्क के बीचोंबीच सर्पीली नदी बहती है। कुर्ग से कॉफी, शहद, अंजीर, मसाले, इलायची, काली मिर्च, अन्नानस के पापड़ और संतरे खरीदना न भूलें। कुर्गी सिल्क साडिय़ां भी प्रसिद्ध हैं।
पमबन ब्रिज, रामेश्वरम
कभी आपने कल्पना की है कि आप सड़क पर चलते जा रहे हैं और आपके चारों ओर दूर-दूर तक केवल पानी है? यह सपना सरीखा लग रहा होगा लेकिन है सौ फीसद सच और अपने ही देश में। सिर्फ इसी खासियत की वजह से शीर्ष के 11 रोड ट्रिप में रामेश्वरम के पमबन ब्रिज का नाम शामिल है। यह रास्ता बेहद छोटा है, मात्र साढ़े तेरह किलोमीटर का और इसे मात्र 20 मिनट में पूरा भी किया जा सकता है, लेकिन आपकी जिंदगी के ये 20 मिनट बेहद खुशनुमा और यादगार साबित होंगे।
गंगटोक से नाथूला पास
रोड ट्रिप के लिहाज से भी यह जगह काफी खूबसूरत है। गंगटोक से नाथूला पास की यह यात्रा उत्तर-पूर्व के रोड ट्रिप्स में सबसे हसीन है। पहाडिय़ों से गुजरता रास्ता भले ही थोड़ा कठिन हो, लेकिन इसकी खूबसूरती भी कम नहीं। करीब 55 किलोमीटर के गंगटोक-नाथू ला हाईवे पर हनुमान जी को समर्पित एक मंदिर है, जिसे हनुमान टोक कहा जाता है। इस सड़क पर मंदिर की ओर जाते हुए गंगटोक की छटा देखते ही बनती है। मंदिर के पास से कंचनजंगा को देखा जा सकता है। रास्ते में ही त्सांगु लेक भी मिलती है, जहां आपको उस खुशी का अनुभव होगा, जो पहले कभी नहीं हुआ। इस रास्ते में आपको विभिन्न फ्लेवर वाली चाय, नक्काशीदार लकड़ी और बांस की चीजें, लेपचा बैग, तांखा पेंटिंग के अलावा सोने और चांदी जडि़त रत्न-नग वाले ड्रैगन सेट की ज्यूलरी मिलेगी।
विशाखापटनम से अराकू घाटी
बंगाल की खाड़ी और पूर्वी घाट का खूबसूरत मेल विशाखापटनम में ही देखने को मिलता है। इस शहर में पहली बार आने वाला यहां की खूबसूरती देख स्तब्ध रह जाएगा। जब वही व्यक्ति अराकू तक की यात्रा कार या बाइक में करेगा तो वह इस रास्ते की खूबसूरती में खो जाएगा। घुमावदार सड़कें, कभी ऊपर तो कभी नीचे और पहाडिय़ों का अनोखा संगम, इस रोड ट्रिप को दक्षिण भारत का शानदार रोड ट्रिप बनाते हैं। करीब 120 किलोमीटर के रास्ते में आपको बोरा गुफाएं और ततिपुड़ी जलाशय देखने को मिलेगा। यहां जाने के लिए बेहतरीन समय मार्च से लेकर अक्टूबर तक का है।
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे
मुंबई से पुणे जाने वालों की कमी नहीं है। किसी को लोनावला घुमने जाना है तो कोई मुंबई के हो-हल्ले से दूर वीकेंड मनाने पुणे जाता है। यह रास्ता इतना खूबसूरत है कि कार या बस में बैठ आप केवल प्रकृति की खूबसूरती को ही निहारते रह जाएंगे। लोनावला जा रहे हैं तो अच्छी बात है, वरना लोनावला में रुक कर चिक्की खाने और अपनों के लिए पैक कराके ले जाने का आनंद ही कुछ और है। हरे-भरे पहाड़ और ऊपर मंडराते काले-काले बादल नमी में लिपटे धुएं सा अहसास देते हैं। यदि आप इधर ही रहते हैं या मुंबई जाने की योजना बना रहे हैं तो इस एक्सप्रेसवे को जरूर आजमा कर देखें। यह एक्सप्रेसवे करीब 95 किलोमीटर का है, जहां टू-व्हीलर ले जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन आप कार या बस में जाकर यहां की खूबसूरती और रोमांच का लुत्फ उठा सकते हैं। रास्ते में ढाबों पर कोंकणी और मराठी जायके का आनंद लिया जा सकता है।

