Navratri 2024 Puja: भारत के हर कोने में नवरात्रि के नौ दिन एक अद्भुत उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं। इस पर्व का हर क्षेत्र में एक अलग अंदाज है, और इसके मनाने का तरीका भी भिन्न है। परंतु एक बात इस उत्सव को सभी जगह जोड़ती है – देवी की कृपा पाने की चाह। हर कोई देवी के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा से भरपूर अपने तरीके से इस पर्व का आनंद लेता है।
नवरात्रि के दौरान, विभिन्न रीति-रिवाज और परंपराएं विकसित हुई हैं, जो दर्शाती हैं कि हर क्षेत्र की संस्कृति और मान्यताएं कितनी समृद्ध हैं। ये परंपराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही है – देवी की अनुकंपा प्राप्त करना। यही कारण है कि नवरात्रि के इस पवित्र समय में लोग अपने तरीके से देवी के रस में डूबते हैं।
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पहला बिंदु: एक मंत्र का कर न्यास के साथ जाप करें और एक स्तोत्र पढ़ें।
कर न्यास संस्कृत के दो शब्दों से बना है – “कर” का अर्थ होता है हाथ और “न्यास” का अर्थ होता है स्थापित करना। कर न्यास एक वैदिक अनुष्ठान है जिसमें मंत्र या देवता को हथेलियों पर स्थापित किया जाता है। यह विधि शारीरिक और मानसिक रूप से देवी की ऊर्जा प्राप्त करने और उसे सक्रिय करने का सबसे प्रभावी तरीका है। कर न्यास के माध्यम से हम अपने हाथों में मंत्रों की शक्ति को स्थापित करते हैं, जिससे शरीर और आत्मा जागृत होती है, और दिव्य ऊर्जा का संचार होने लगता है।
दूसरा बिंदु: देवी के शास्त्र पढ़ें
देवी की उपासना और साधना में शास्त्रों का विशेष महत्व है। शास्त्रों का पाठ न केवल हमें देवी की महिमा और शक्ति का बोध कराता है, बल्कि हमारे जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता भी लाता है। हर दिन थोड़ा समय निकालकर देवी से संबंधित शास्त्रों का अध्ययन करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मकता, भक्ति और आस्था का संचार भी करता है।
तीसरा बिंदु: सबसे महत्वपूर्ण, सचेत रहना है
नवरात्रि के दौरान देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने विचारों और कार्यों को लेकर पूरी तरह से सचेत और जागरूक रहें। इसका मतलब है कि हम जो भी सोचते और करते हैं, वह पूरी तरह से शुद्ध, सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।
विचारों पर ध्यान दें: नकारात्मक, स्वार्थी या हानिकारक विचारों से बचें। मन में केवल अच्छे और पवित्र विचारों का होना जरूरी है। इस दौरान मन को शांत और केंद्रित रखें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें: इसका अर्थ सिर्फ शारीरिक संयम नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संयम भी है। किसी भी प्रकार की इच्छाओं या वासनाओं से मुक्त रहना जरूरी है, ताकि हमारी ऊर्जा देवी की पूजा और साधना में केंद्रित रह सके।
व्रत रखें: नवरात्रि के दौरान उपवास का विशेष महत्व है। यदि किसी कारणवश पूर्ण उपवास संभव न हो, तो कम खाएं और हल्का भोजन ग्रहण करें। यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक साधन है और देवी की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
अत्यधिक लिप्तता से बचें: किसी भी चीज में अति से बचना चाहिए, चाहे वह भोजन, नींद, काम, या मनोरंजन हो। अति किसी भी प्रकार की हो, वह साधना और शांति में बाधा डालती है। संयमित जीवन जीना देवी की पूजा के लिए आवश्यक है।
चौथा बिंदु: देवी की पूजा और आरती करें
आपको हर दिन मंत्र और स्तोत्र का जाप करने के बाद देवी की आरती करनी चाहिए। पूजा के दौरान आपको नैवेद्य (भोग) अर्पित करना चाहिए। नैवेद्य की सर्वश्रेष्ठ रेसिपी मैंने ब्लॉग में दी है। नवरात्रि साल में 5 बार आती है। क्या हम 5 बार थोड़ा समय नहीं निकाल सकते, कम से कम न्यूनतम करने के लिए? हम जरूर कर सकते हैं। आइए छोटा शुरू करें और जो कर सकते हैं उसे अपनी पूरी क्षमता से करें। अब, अगर किसी कारणवश (जैसे बुखार, ऑफिस का दबाव, यात्रा आदि) आप पूजा नहीं कर पाते, तो बस अष्टमी या नवमी के दिन देवी के मंत्र का जाप करें और कोई एक स्तोत्र पढ़ें।
