Importance of Sports in India: महान फुटबॉल खिलाड़ी पेले ने कहा था, ‘खेल जीवन का आईना होता है। यह हमें लड़ाई, संघर्ष और जीत-हार सिखाता है। बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि खेल सिर्फ जीतने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह संघर्ष करने और अपने भीतर छुपे साहस को पहचानने का तरीका भी है।
खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब
पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब
यह कहावत आज के समय में सही साबित नहीं हो रही है। कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो बेशक पढ़ाई में ज्यादा अच्छा नहीं कर रहे हैं लेकिन खेल के मैदान पर बड़ी होशियारी से जीतकर देश और परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं।
Also read: स्वयं का संघर्ष-गृहलक्ष्मी की कहानियां
डिजिटल युग ने बच्चों को गीली मिट्टी और आउटडोर गेम से दूर कर फोन की स्क्रीन तक समेट कर रख दिया है। आजकल के बच्चों को समय से पहले मोबाइल फोन मिल गए हैं, जिसमें वह घर बैठकर फोन पर गेम खेलने लग गए हैं। कुछ ही बच्चे होंगे जो शाम के समय दोस्तों के साथ गिल्ली डंडा या बैट बल्ला लेकर पार्क में जाते होंगे। मोहल्ले में बच्चों को अब खेलने की आवाज कम ही सुनाई देती है। मोबाइल नामक यंत्र ने बच्चों से खेलना-कूदना छीन लिया है।
इस तरह के सवाल ओलंपिक गेम्स के बाद से सभी के जेहन में जरूर आई होंगी कि हमारे देश का प्रदर्शन इतना अच्छा क्यों नहीं रहता है। सरकार को दोष देने से पहले हमें अपना आंकलन जरूर कर लेना चाहिए कि हम अपने बच्चों को खेलने के लिए कितना प्रोत्साहित करते हैं। यह सुनिश्चित करें कि 24 घंटे में आप अपने बच्चों को खेलने के लिए कितना समय देते हैं। स्कूल में भी खेलों के प्रति कुछ खास उत्साह नहीं देखने को मिलते हैं। कभी साल में एक बार कोई टूर्नामेंट हो गया तो बस उसके अलावा पूरे साल स्कूलों में खेल के प्रति कुछ खास नहीं होता है।
ओलंपिक गेम्स में मेडल कम क्यों आते हैं
आज भी कई माता-पिता अपने बच्चों को खेल को बतौर करियर चुनने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। उनका मानना होता है कि पढ़-लिखकर कोई अच्छी जॉब को हासिल करो। जब तक घर से बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा तब तक हमारे देश का ओलंपिक जैसे गेम्स में बेहतर प्रदर्शन नहीं हो पाएगा।
दूसरा कारण जो सबसे बड़ा कारण है वो यह कि क्रिकेट के अलावा बहुत कम ऐसे खेल हैं जिनके खिलाडियों को पर्याप्त सुविधाएं दी जाती हैं। गरीब लोग अपने बच्चों को महंगे खेल के लिए ट्रेनिंग नहीं दे पाते हैं।
हमारे देश में एक के बाद एक क्रिकेट स्टेडियम बनते हैं लेकिन बाकी खेलों के लिए नहीं है और एक दो हैं तो वहां आम जनता के लिए प्रवेश वर्जित है। ऐसे में टैलेंट कहां से निकल सकता है?
स्कूल! वहां पढ़ाई अच्छे से नहीं हो पा रही है, जहां बारिश में सरकारी स्कूलों की छत से आज भी पानी आ रहा है और बच्चों के लिए बेसिक सुविधाओं का अभाव है, वहां पर स्पोर्ट्स कल्चर डेवलप करना तो दूर की कौड़ी नजर आता है।
खेलने के फायदे
बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलने के लिए भी प्रेरित करें। 5 साल की उम्र से ही बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करें। जब माता-पिता बच्चे के साथ खेलेंगे तभी बच्चे भी खेल के प्रति रुचि दिखाएंगे। बच्चों के सबसे बड़े उदाहरण उनके अभिभावक ही होते हैं। अगर आप ही फोन पर खेलेंगे तो बच्चे फिर क्यों नहीं खेलेंगे। छुट्टी के दिन बच्चों को अपने साथ पार्क लेकर जाएं उन्हें आउटडोर गेम खेलने के लिए कहें। दोस्त बनेंगे और उन्हें टीम वर्क समझ आएगा जो उनके जीवन में आगे काम आएगा। हार और जीत की आदत उन्हें जब शुरुआत से लग जाएगी तो उन्हें जीवन में आगे कभी कोई दिक्कत नहीं होगी। मनु भाकर उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं, जो खेल के क्षेत्र में अपने लिए जगह बनाकर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं।
भाकर ने 14 साल की उम्र में अपने पिता को पिस्टल लेने के लिए कहा था और शूटिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया और आज उन्होंने पेरिस ओलंपिक में देश के लिए कांस्य पदक जीता।
भाकर ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मैं आज जो भी हूं उसमें मेरी मां का बहुत बड़ा हाथ है उनकी वजह से ही मेरी खेल के प्रति रुचि विकसित हुई। मेरी मां का बचपन का सपना था खेल के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला इसलिए वो मुझे आगे बढ़ाने के लिए हमेशा से प्रेरित करती रही हैं। मां की भूमिका हमेशा किसी बच्चे के लिए सबसे अहम होती है। बच्चे के सपने को साकार करने के लिए मां और पिता दोनों को आगे आना पड़ता है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की सदस्य नीता अंबानी ने पेरिस ओलंपिक के आखिरी दिन भारत के लिए मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा कि भारत को खेल राष्ट्र बनाने के लिए हम सभी को अपना योगदान देना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि विरासत रातों-रात नहीं बनती।
हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को खेल की उन ऊंचाइयों पर ले जाएं, जहां हम पहुंचना चाहते हैं। माता-पिता के रूप में, आइए हम अपने बच्चों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। ओलंपिक को हर दिन की वास्तविकता बनाएं, न कि चार साल में एक बार होने वाला सपना। हम एक ऐसा राष्ट्र बनाएं जहां हर बच्चा सपने देखने की हिम्मत करे और हर एथलीट को वह समर्थन मिले जिसकी उसे भारत को वास्तव में वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने के लिए आवश्यकता है।
दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के निदेशक श्री श्याम सुंदर शर्मा जी का कहना है कि शेफाली वर्मा 15 साल की उम्र में भारत के लिए खेली थी। शैफाली को देखकर ही आज माता-पिता अपनी बेटियों को क्रिकेट को करियर के रूप में चुनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो यदि आप अपने बेटी को क्रिकेट में डालना चाहते हैं तो उन्हें पहले स्कूलों में होने वाले क्रिकेट मैचेज में खिलाएं। उसके बाद दस साल की उम्र से वह उसे किसी भी क्रिकेट क्लब अथवा अकेडमी में डाल सकते हैं। दिल्ली में 100 से भी अधिक क्लब हैं जिन्हें डीडीसीए संचालित करता है। यहां लड़के और लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है इसलिए उनकी प्रैक्टिस एक साथ करवाई जाती है लेकिन मैचेज अलग-अलग होते हैं। बेटियों को छुई-मुई ना बनाकर उन्हें सशक्त और मजबूत बनाएं।
खेल के प्रति बच्चों की रुचि बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें अलग-अलग खेलों से परिचित कराया जाए। आजकल बच्चों को क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन जैसे लोकप्रिय खेलों के अलावा अन्य खेलों से भी परिचित करवाना चाहिए, जैसे कि तैराकी, टेबल टेनिस या फिर एथलेटिक्स। इससे बच्चों को यह समझ में आता है कि उनके पास खेलने के लिए कितने सारे विकल्प हैं और वे अपनी रुचि के अनुसार कोई भी खेल चुन सकते हैं।
आजकल छोटी उम्र के बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, इसका सबसे बड़ा कारण सामाजिक दबाव है जिसमें हर किसी को आगे बढ़ना है और किसी भी तरह की हार बच्चे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। ये चीजें बाद में परेशान ना करें इसलिए बच्चों को शुरुआत से ही एक खेल से जोड़ना चाहिए।

प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर एम.एस. धोनी का कहना है, ‘खेल सिर्फ जीतने के लिए नहीं होते, वे हमें जीवन के हर संघर्ष के लिए तैयार करते हैं।
बच्चों को खेलों के प्रति जागरूक करने के लिए परिवार, शिक्षक और समाज का सहयोग आवश्यक है। खेल बच्चों को एक सकारात्मक और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में प्रेरित कर सकता है।
हम एक ऐसा राष्ट्र बनाएं जहां हर बच्चा सपने देखने की हिम्मत करे और हर एथलीट को वह समर्थन मिले जिसकी उसे भारत को वास्तव में वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने के लिए आवश्यकता है।
