ज्येष्ठ माह में कब है स्कंद षष्ठी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व: Skanda Sashti 2023
Skanda Sashti 2023

Skanda Sashti 2023: हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। महीने का हर दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित होता है। उस दिन विशेष देवता की पूजा करने का विधान है। हिंदू पंचांग में हर माह दो पक्ष आते हैं, पहला शुक्ल व दूसरा कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि भगवान कार्तिकेय को समर्पित होती है। इस दिन स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। स्कंद षष्ठी पर भगवान गणेश जी के भाई कार्तिकेय की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। महिलाओं को संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है। स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से दीर्घ आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धर्म ग्रंथों में भी स्कंद षष्ठी का महत्व बताया गया है। तो चलिए जानते हैं ज्येष्ठ माह में स्कंद षष्ठी का व्रत कब रखा जाएगा और इसका महत्व क्या है।

ज्येष्ठ माह में कब है स्कंद षष्ठी?

Skanda Sashti 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 25 मई 2023, गुरुवार को सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो 26 मई 2023 को सुबह 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में ज्येष्ठ माह में स्कंद षष्ठी का पर्व 25 मई 2023 को मनाया जाएगा और इस दिन व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के साथ व्रत रखना शास्त्रों में उत्तम माना गया है।

स्कंद षष्ठी का महत्व क्या है?

Skanda Sashti
Skanda Sashti Importance

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव व माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने इस दिन स्कंद के स्वरूप में अवतार लिया थाा। उनके इस रूप को मुरुगन, सुब्रहमन्यम आदि नामों से भी जाना जाता है। किंवदंतियों के अनुसार, स्कंद षष्ठी पर ही भगवान मुरुगा ने राक्षस सुरपद्मन का अंत किया। इसलिए, स्कंद षष्ठी को मुरुगा पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। इस दिन भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से संतान से जुड़ी समस्याएं समाप्त होती है और संतान को सौभाग्य व आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन भगवान स्कंद की उपासना करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

स्कंद षष्ठी पर ऐसे करें पूजा

Skanda Sashti Puja

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि स्कंद षष्ठी पर कार्तिकेय भगवान की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इस दिन सुबह भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा के समक्ष सच्चे मन से विराजमान होकर उनकी स्तुति करें। कार्तिकेय के साथ भगवान शिव व माता पार्वती का भी ध्यान करें। उनको पुष्प, माला, फल, मेवा, कलावा, सिंदूर, अक्षत, चंदन आदि चढ़ाएं। इसके पश्चात उनको प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं और धूप दीपक लगाकर पूजा करें। इसके बाद आरती के साथ पूजा संपन्न करें और सुख—समृद्धि की कामना करें।

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