कैरमल नायर, लाइफ कोच, सायकलॉजिस्ट एंड ऑथर पूछती हैं कि खुशी महसूस करना जीवन का मकसद क्यों नहीं होता है? क्यों हम सफल होने के लिए, पैसे कमाने के लिए, घर बनाने के लिए मेहनत करते हैं। इन्हीं चीजों में अपनी खुशी ढूंढते हैं सारी उम्र। हम ज़्यादातर बाद इन सारी चीजों को तो अपना मकसद बनाते हैं और इन्हीं चीजों में अपनी खुशी भी तलाशते हैं। कह सकते हैं, इन्हीं चीजों से हम अपनी खुशी को जोड़ लेते हैं। ये मिलीं तो खुश, ना मिलीं तो नाखुश। जबकि मैं मानती हूं, खुशी दिमाग की एक अवस्था भर है। ये एक ऐसी स्थिति है, जिस पर आपका पूरा कंट्रोल है। आप चाहें तो बुरे से बुरे अनुभव को भी सीख की तरह लेकर खुश रह सकती हैं। अगर ना चाहें तो बेहतर से बेहतर स्थिति में भी आप दुख का कारण ढूंढ लेंगी। आप जैसा चाहेंगी वैसा महसूस करेंगी।

आपको मानना होगा-
खुशी कोई किसी सपने की तरह नहीं है, जिसकी ख़्वाहिश आपने की है। ये कोई मकसद या जिंदगी में कुछ पा लेने की जिद भी नहीं है। ये वो अहसास है, जिसे आप जब चाहें महसूस करें, जब चाहें इसके लिए दुनिया को कुदरत को धन्यवाद दें। सोचें कि आपको कितनी सुंदर जिंदगी मिली है। आप अपने आस-पास देखिए, क्या दिखता है, अपना परिवार, घर, बच्चे और काम। ध्यान दीजिए, ये सब आपके लिए है। ख्याल रखने वाले पति, प्यार करने वाले बच्चे और मेहनत से बना घर सिर्फ आपकी जिंदगी संवार रहे हैं। और इसके लिए आपको शुक्रगुजार होना चाहिए कि ये सब आपके पास है। इसके अलावा आस-पास की प्रकृति देखिए। जड़वत खड़े पेड़ हों या नीला आसमान, चहचहाती चिड़िया हो या झमझम करती बारिश, ये सब आपके जीवन को खुशगवां बनाने के लिए ही हैं।

शुक्रगुजार हो लें-
कुल मिलाकर करना ये है कि इन सारी चीजों के लिए शुक्रगुजार होना है। थैंक यू कहना है जिंदगी को। उससे कहना कि ‘तुम कितनी अच्छी हो’। लेकिन असल में होता क्या है, हम बड़े, महंगे घर और कार में अपनी खुशियां ढूंढते हैं। अच्छे रिजल्ट और मनपसंद कंपनी में नौकरी को ही अपनी खुशी की वजह मान लेते हैं। इनमें से एक को पा लेते हैं और दूसरे को खुशी की वजह बना लेते हैं। फिर उस मकसद के प्पूरे होने और कुश होने का इंतजार करने लगते हैं।
ध्यान दीजिए ज़्यादातर बार हम अपनी खुशी इस बात पर टिका कर रखते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं। हम सोचते हैं, हम जितना सफल होंगे, उतना ही दूसरे हमारे लिए अच्छा सोचेंगे और इसी में हमारी खुशी भी होगी। बस यहीं पर हमारी खुशी हमसे दूर हो जाती है। दरअसल हम अपने लिए खुश होते ही नहीं बल्कि दूसरों की नजरों में अपनी खुशी ढूंढते हैं। यही सोच आपको खुशी से दूर ले जाती है।
मैं आज इस बारे में इसलिए नहीं लिख रही हूं कि हम अपनी खुशी को लेकर कितनी गलत तरह से सोचते हैं। बल्कि इसलिए लिख रही हूं कि आप छोटी-छोटी उन चीजों पर ध्यान दें, जो सच में आपकी खुशी की वजह हैं और आपको असल में खुश रखती हैं। ये बेहद मामूली सी लगने वाली बातें, आपकी कीमती चीजों से कहीं ज्यादा जरूरी और अमूल्य होती हैं।
मेरी बात का मतलब ये भी निकाला जा सकता है कि आप अभी में जीने की कोशिश करें। ये वर्तमान में जीने की कोशिश आपको भविष्य में ‘ये मिलेगा तो खुश होंगे या वो मिलेगा तो खुश होंगे’ वाले फंडे से कहीं ज्यादा खुश रखेंगे। मैंने जो भी कहा है, उसे किताबी बातें मान कर सिर्फ पढ़ लेने से सुधार नहीं होंगे। इसके लिए तो आपको कुछ टिप्स अपनाने होंगे। ये आपको खुशी महसूस करने में मदद करेंगे। इन्हें याद रखिए और जिंदगी में शामिल जरूर कीजिए-

शिकायत करना-
रोजमर्रा की जिंदगी में ‘अरे मेरे पास वो नहीं है, ये नहीं है।’ अगर आप भी ऐसा सोचती हैं तो ये आदत छोड़ दीजिए। खुशी महसूस करनी है तो आपको शिकायत करने की आदत छोड़नी होगी। दरअसल हम जब भी शिकायत करते हैं तो लाइफ के नकारात्मक हिस्से को ही देख रहे होते हैं। इस नकारात्मक हिस्से पर ध्यान देने के चलते जिंदगी में छुपी छोटी खुशियों को महसूस ही नहीं कर पाते हैं।
खुशी तुम्हारे पास-
आपने कभी भी अगर ये माना है कि खुशी के बराबर कुछ भी है तो आप गलत हैं। खुशी की तुलना किसी से नहीं की जा सकती और ये हर वक्त अपके अंदर ही होती है। समय के जाल में न फंसते हुए इस वक्त की खुशी को महसूस कीजिए।
नकारात्मकता में साकारत्मकता-
क्या आप हर बार नकारात्मकता में साकारत्मकता का रंग देख सकती हैं?अगर नहीं तो खुशी से दूरी कभी कम नहीं हो पाएगी। हर एक निगेटिव बात में आपको पॉज़िटिविटी ढूंढ ही लेनी चाहिए।
खुद से प्यार-
आप जो कुछ भी कर सकती हैं करिए लेकिन खुद से प्यार जरूर जाहिर कीजिए। अपने शरीर, दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य का भरसक ख्याल रखिए। खुद से प्यार दर्शाने के लिए जो भी कुछ कर सकें, जरूर कीजिए। शुरुआत 10 मिनट के मेडिटेशन से की जा सकती है।
हर दिन से कुछ सीखें- हर दिन, हर पल कुछ न कुछ नया सिखा कर जाता है। ये आपके व्यक्तित्व को बेहतर कर देता है। इसलिए रोज रात में खुद से पूछिए कि आज के दिन ने मुझे क्या खास सिखाया? जो भी जवाब हो उसे अपने आगे के दिनों में आजमाएं जरूर। देखिएगा कि ये एक तरीका आपकी जिंदगी में खुशी लाने का जरिया भी जरूर बनेगा।
चिंता नहीं-
जब आप अंदर से खुशी महसूस करेंगी तो चिंता किस बात की। बाकी सारी चीजें तो बाहरी हैं, जो आपको संतुष्टि भले दे दें, लेकिन खुशी की गारंटी बिलकुल नहीं लेंगी। इसलिए चिंता से दूरी जरूरी है।
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