बच्चों में बढ़ता एकाकीपन, बन रही है आज की गंभीर समस्या: Child Loneliness
Child Loneliness

Child Loneliness: एकल परिवारों और छूटती संयुक्त परिवारों की परंपरा ने बहुत सी असुरक्षाओं को जन्म दिया है। इनमें से एक है बच्चों में अकेलापन। कामकाजी माता-पिता के सामने विकट समस्या है बच्चों की परवरिश की। आया या नौकरियों के सहारे घर के रोजमर्रा के काम तो किसी तरह से निबट जाते हैं, लेकिन बच्चों की मानसिकता पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, इसे समझने का समय भी मॉडर्न पेरेंट्स के पास नहीं है। कई बार जाने-अनजाने में बच्चों के प्रति यही अनदेखखपन बहुत महंगा पड़ जाता है।

अकेलेपन के लक्षण

अकेलापन के शिकार बच्चे अपने वातावरण में बंद रहते हैं। घर का एकांत उन्हें पसंद होता है और सुरक्षित भी लगता है। वे ज्यादातर बाहर जाना पसंद नहीं करते हैं और किसी का आना उन्हें अच्छा नहीं लगता। जल्दी किसी से “हाय” या “हेलो” भी उन्हें पसंद नहीं होता। कई बार वे चुपचाप अकेले में बैठने को पसंद करते हैं। यहां तक कि कक्षा और स्कूल के दोस्तों के साथ जाने से भी वे बचते हैं।

अकेलेपनके कारण

आम तौर पर दूसरे बच्चों की प्रशंसा अकेलापन के शिकार बच्चों में जलन की भावना पैदा कर देती है। उनके अंदर हीन भाना आता है और वे जलने लगते हैं। कई बार आसपास के माहौल में पेरेंट्स दूर रहने को अपनी कक्षा का न मानकर अपने बच्चे को उनसे दूर रहने के लिए मजबूर करते हैं। दूसरे बच्चों से घुस मिलने नहीं देने के बावजूद भी बच्चा अकेलापन का अहसास करने लगता है।

शारीरिक स्वास्थ्य के कारण

कई बार थायराइड, मोटापा, कमजोरी और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के कारण बच्चा आम बच्चों के साथ मिलकर नहीं होता। कुछ बच्चे अपने आप को दूसरे से अलग महसूस करने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बहुत सी मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

लगातार बदलाव से समायोजन

Loneliness
Loneliness

बार-बार जगह बदलना, चाहे वह स्कूल हो, घर हो, या पेरेंट्स की नौकरी के बदलाव के कारण, बच्चा अपने समाजिक संबंध को ठीक से स्थापित नहीं कर पाता। इसलिए, इस तरह के लगातार बदलाव से वह अकेलापन को पसंद करने लगता है।

अकेलेपन का प्रभाव

अकेलापन से तनाव, स्ट्रेस, और डिप्रेशन बेसजता है। बच्चे का आत्मविश्वास कम होने लगता है और नकारात्मकता बढ़ती है। अकेलापन की वजह पहचानें और उसे समय रहते समझने का प्रयास करें। बच्चे के बदलते व्यवहार का ध्यान से अन्वेषण करें। स्कूल जाकर कक्षा शिक्षक और परामर्शदाता से मिलें और खुलकर बात करें। एक नई रुचि विकसित करने का प्रयास करें, जैसे कि खेल, संगीत, नृत्य, या कला, जिसमें बच्चे का रुझान हो। पसंदीदा जगहों पर नए लोगों से मिलने का अवसर दें। प्ले डेट पर कुछ प्रिय दोस्तों के साथ आयोजित करें ताकि बच्चा सामाजिक हो सके। ज्यादा से ज्यादा समय बेटे या बेटी के साथ बिताएं, उसके साथ बातें करें, हंसी-मजाक करें, और दोस्ताना संबंध बनाने की कोशिश करें। सोशल गतिविधियों में मदद करें और सामाजिक कार्यों में उसका समर्थन करें। किताबों को उसके साथ दोस्त बनाएं, क्योंकि किताबें बेहतर दोस्तों के बराबर होती हैं। अगर आपको लगता है कि कोई उपाय काम नहीं कर रहा है, तो साइकोलॉजिस्ट की सहायता लेने में देरी न करें, क्योंकि साइकोलॉजिस्ट आपको इस समस्या से निकलने में मदद कर सकते हैं। साइबर बुलींग और सोशल मीडिया भी अकेलापन को बढ़ावा देते हैं, इसलिए अपने बच्चे को नेटवर्किंग साइटों से दूर रखने का प्रयास करें। बच्चे पर उसके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपके भविष्य की भी जिम्मेदारी है, इसलिए उसके सुधारने में कोई कसर न छोड़ें।