वर्किंग वूमन का सच: Reality of Working Women
Reality of Working Women

Reality of Working Women: हमने हमेशा अपने बड़ों को कहते सुना है कि गृहस्थी की गाड़ी तब ही ठीक से दौड़ पाती है जब उसके दोनों पहिए समान हों। यानी पति और पत्नी समान रूप से एक दूसरे का साथ दे और दोनों पर बराबर जिम्मेदारियां हों। यह बात सुनने में तो भले ही बहुत ही अच्छी लगती है, लेकिन असल जिंदगी में ऐसा हो नहीं पाता। करियर बनाने और घर को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने के लिए महिलाएं अब कामकाजी तो हो गई हैं, लेकिन घर के काम का बोझ उनपर पहले जितना ही है। यह हमारा नहीं खुद वर्किंग वूमन का कहना है।

मात्र 15 प्रतिशत घरों में पति बंटाते हैं हाथ

Reality of Working Women
Recently, the report of Women at Work 2023 has come out towards Deloitte. Credit: canva

हाल ही में डेलॉयट की ओर वुमन एट वर्क 2023 की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में पांच हजार वर्किंग वूमन पर किए गए सर्वे में जो बातें सामने आईं, उसने वर्किंग वूमन की असल स्थिति बयां कर डाली। इस प्रगतिशील समाज की वर्किंग वूमन चाहे उंचे ओहदों पर बैठी हो या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही हो, घर के जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है। हैरानी की बात ये है कि इस रिपोर्ट के अनुसार मात्र 15 प्रतिशत वर्किंग वूमन ने यह स्वीकारा कि उनका लाइफ पार्टनर घरेलू कामों में उनका हाथ बंटाता है। ऐसे में 85 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं कमाऊ होते हुए भी घर की साफ सफाई, सार संभाल से लेकर घर के बुजुर्गों व बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठा रही हैं।

अपना करियर तक छोड़ देती हैं महिलाएं

40 प्रतिशत वर्किंग वूमन ने स्वीकारा कि उन्हें अपने करियर से ज्यादा अहमियत पति के करियर को देनी पड़ती है।
40 percent of working women accepted that they have to give more importance to husband’s career than their own career.

शादी के बाद परिवार और पति ही महिलाओं की प्राथमिकता बन जाते हैं और ऐसे में वे अपना करियर छोड़ने में भी पीछे नहीं हटतीं। 40 प्रतिशत वर्किंग वूमन ने स्वीकारा कि उन्हें अपने करियर से ज्यादा अहमियत पति के करियर को देनी पड़ती है। वहीं पति से ज्यादा कमाने वाली 20 प्रतिशत महिलाओं ने भी यह बात मानी कि उन्हें अपने पति की नौकरी को भी ध्यान में रखकर फैसला करना पड़ता है। ऐसे में उनकी तरक्की के रास्ते बंद हो जाते हैं। इतना ही नहीं 6 प्रतिशत वर्किंग वूमन ने सिर्फ इसलिए अपनी जॉब छोड़ दी, जिससे उनके पति ठीक से काम कर सकें और महिला परिवार को संभाल सके।

दुविधा ऐसी कि परेशान हैं 97 % महिलाएं

97 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि अगर उन्होंने कंपनी से वर्किंग ओवर्स को लेकर छूट मांगी तो इसका असर प्रमोशन पर पड़ेगा।
97 percent of the women believe that if they ask the company for exemption regarding working hours, it will affect their promotion.

वर्किंग वूमन के सामने काम के घंटों को लेकर भी कई तरह की परेशानियां हैं, जिनसे वे रोज जूझ रही हैं। पिछले साल देश की 14 प्रतिशत वर्किंग वूमन ने सिर्फ इसलिए अपनी जॉब छोड़ दी, क्योंकि उनकी संस्थान में काम के घंटों को लेकर बहुत ज्यादा सख्ती थी। वहीं 30 प्रतिशत महिलाएं इसी सख्ती के कारण जॉब छोड़ने पर विचार कर रही हैं। वर्कप्लेस पर काम के लंबे घंटे कहीं न कहीं वर्किंग वूमन के लिए परेशानी भरे हैं। 97 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि अगर उन्होंने अपनी कंपनी से वर्किंग ओवर्स को लेकर छूट मांगी तो इसका सीधा असर उनके प्रमोशन पर पड़ेगा। वहीं 95 प्रतिशत महिलाओं को इस बात का यकीन है कि कंपनियां उनकी समय को लेकर परेशानी समझेगी ही नहीं।

उत्पीड़न के खिलाफ नहीं उठाती आवाज

अधिकांश वर्किंग वूमन जॉब अपने परिवार के सपोर्ट के लिए करती हैं।
Most of the working women do jobs to support their families.

अधिकांश वर्किंग वूमन जॉब अपने परिवार के सपोर्ट के लिए करती हैं। ऐसे में उन्हें हर समय डर रहता है कि कहीं उनकी जॉब चली न जाए। ऐसे में वे वर्कप्लेस पर होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ ही जल्दी से आवाज नहीं उठा पाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार 44 प्रतिशत महिलाओं ने इस बात को स्वीकारा कि वर्क प्लेस पर उन्होंने उत्पीड़न का सामना किया। हालांकि इस प्रतिशत में पहले के मुकाबले कमी आई है। साल 2021 में यह आंकड़ा 59 प्रतिशत था। महिलाएं जॉब के लिए एक सुरक्षित कंपनी चाहती हैं। 14 प्रतिशत महिलाएं ऐसी कंपनी में लंबे समय तक जॉब करना चाहती हैं, जहां महिलाओं को सम्मान दिया जाता है और उत्पीड़न जैसी समस्याएं नहीं होती हैं।

कुछ भी हो नौकरी तो करनी ही है

अपने परिवार के प्रति महिलाओं का समर्पण ही है कि वर्किंग वूमन अपनी सेहत से ऊपर अपने परिवार की सिक्योरिटी को रखती हैं।
It is the dedication of women towards their family that working women keep the security of their family above their health.

अपने परिवार के प्रति महिलाओं का समर्पण ही है कि वर्किंग वूमन अपनी सेहत से ऊपर अपने परिवार की सिक्योरिटी को रखती हैं। फिर चाहे पीरियड्स का दर्द हो या फिर मानसिक तनाव, उन्हें काम करना ही है। रिपोर्ट में 41 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्हें पीरियड्स के दर्द के बीच भी ऑफिस में रोज की तरह ही घंटों काम करना पड़ता है। 19 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि अगर वे पीरियड्स के कारण छु​ट्टी लेती भी हैं तो ऑफिस में पीरियड्स का कारण नहीं बता पातीं। 56 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकारा कि घर और ऑफिस के काम के बीच वे अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान ही नहीं दे पातीं। 51 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले उनका तनाव बढ़ता जा रहा है और इसी के कारण 7 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी जॉब छोड़ दी। 53 प्रतिशत वर्किंग वूमन का कहना है कि वे बीमार होते हुए भी जॉब करती रहती हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी नौकरी न चली जाए।

जॉब के दौरान भी रहती है परिवार की चिंता

रिपोर्ट के अनुसार 58 प्रतिशत महिलाएं वित्तीय सुरक्षा के लिए जॉब कर रही हैं।
According to the report, 58 percent women are doing jobs for financial security.

अक्सर लोगों के जहन में वर्किंग वूमन को लेकर एक छवि होती है कि वे बहुत ही स्वतंत्र होती हैं। अपने निर्णय खुद लेती हैं। अपने उपर खूब खर्चा करती हैं, लेकिन जब सर्वे में महिलाओं का ​मन टटोला गया तो जो बात सामने आई वो हैरान करने वाली थी। रिपोर्ट के अनुसार 58 प्रतिशत महिलाएं वित्तीय सुरक्षा के लिए जॉब कर रही हैं। 54 प्रतिशत वर्किंग वूमन ने स्वीकारा कि जॉब करने से उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा महसूस होती है। हालांकि इस दौरान 50 प्रतिशत महिलाओं को घर के सदस्यों की सेहत और सुरक्षा की चिंता रहती है। वहीं 50 प्रतिशत महिलाओं को इस बात की चिंता रहती है कि उन्हें किफायत से चलना है, जिससे आर्थिक सुरक्षा बनी रहे।

क्या स्पेन जैसी पहल भारत में हो सकती है

वर्किंग महिलाओं पर काम का दबाव अधिक रहता है। ऐसे में वे तनाव में रहती हैं।
Working women have more work pressure. In such a situation, they remain under stress.

वर्किंग महिलाओं पर काम का दबाव अधिक रहता है। ऐसे में वे तनाव में रहती हैं। इसी तनाव को कम करने के लिए स्पेन सरकार एक ऐप विकसित कर रही है। इस ऐप से इस बात का पता चल सकेगा कि वर्किंग वूमन के पति घर के कामों में कितना हाथ बंटा रहे हैं। स्पेन की सरकार का मानना है कि महिलाएं घर में ऐसे कई काम करती हैं, जिनकी गिनती ही नहीं होती, जिससे वे मानसिक तनाव में रहती हैं। आपको बता दें स्पेन में घरेलू काम में महिला और पुरुषों के बीच असमानता का मुद्दा कानूनी विवाद तक जा पहुंचा है। इस साल की शुरुआत में स्पेन की एक अदालत ने एक शख्स को अपनी पूर्व पत्नी को 25 साल के अवैतनिक घरेलू श्रम के बदले 1.83 करोड़ रुपए देने के आदेश दिए हैं। स्पेन में इससे पहले भी ऐसे कई फैसले सामने आए हैं।  

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...