Pitru Paksha Amavasya 2023: सनातन धर्म में बताया गया है कि देवताओं के समान ही हमें अपने पितरों की पूजा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसीलिए हिंदू धर्म में पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए श्राद्ध कर्म करना अनिवार्य बताया गया है। भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या के 16 दिनों तक अपने पूर्वजों की याद में और उनकी आत्मा की शांति के लिए उनके दाह संस्कार की तिथि के दिन तर्पण, पिंडदान और दान पुण्य जैसे कार्य किए जाते हैं। पितरों का श्राद्ध करने से पितृदोष नहीं लगता।
श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन घर के सभी पितरों के नाम से तर्पण किया जाता है। इस साल सर्व पितृकार्य अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार 2023 को है। शास्त्रों में बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति को अपने मृत परिजन की मृत्यु तिथि याद नहीं हो तब वह सर्व पितृकार्य अमावस्या के दिन उनके नाम से पिंडदान और तर्पण कर सकता है। आइए जानते हैं कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या के दिन पितरों की विदाई कैसे करनी चाहिए।
पितृ विसर्जन दिवस

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि शास्त्रों में श्लोक “पितरो यस्य संतुष्टा:, संतुष्टा: सर्व देवता:” का उल्लेख मिलता है। जिसका अर्थ है कि पितरों की संतुष्टि से ही देवता संतुष्ट होते हैं। पितृपक्ष के अंतिम दिन अमावस्या की तिथि पर सभी पितरों की विदाई की जाती है जिसे पितृ विसर्जन कहा जाता है। सर्व पितृकार्य अमावस्या के दिन पितरों की विदाई करते समय त्रिपिंडी श्राद्ध के साथ गीता पाठ करना चाहिए। पितृ विसर्जन के दिन रूद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त और ब्रह्मसुक्त का पाठ करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति को पितरों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
पितरों की विदाई में रखें इन बातों का ध्यान

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, पितृ विसर्जन के दिन ब्रहमुहूर्त में स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। अपने हाथ में जौ, काले तिल और जल लेकर सभी पितरों के नाम से तर्पण करें। पितरों के विसर्जन के दिन “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करते हुए पीपल के पेड़ में गाय का दूध अर्पित करें और पितरों का ध्यान कर उनसे अपनी भूलों की क्षमा मांगे। पितरों की पूजा में सफेद फूल का उपयोग किया जाना चाहिए। पितरों की पूजा में चावल और रोली का उपयोग वर्जित माना गया है। पूर्वजों का तर्पण करते समय पितृ गायत्री मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए। यदि किसी को पितृदोष है तो उसे सर्व पितृकार्य अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में विष्णु जी के नाम से एक दीपक जलाना चाहिए।
तर्पण और पिंडदान करने के बाद गौ ग्रास देने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है क्योंकि गाय में हिंदू धर्म के सभी देवताओं का निवास माना गया है। इसके बाद ब्राह्मणों को शुद्ध सात्विक भोजन करवाना चाहिए और अपनी शक्ति के अनुसार उन्हें दान देकर विदा करना चाहिए। माना जाता है की पितृपक्ष के दौरान ब्रह्मणों को भोजन कराने से हमारे पितरों को तृप्ति मिलती है।
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