बच्चे का झूठ पकड़ने के लिए माता पिता कहें ये 6 बातें,आसानी से जान जाएंगे बच्चे सच की अहमियत: Lying Habits in Children
Lying Habits in Children

Lying Habits in Children: बच्चों का झूठ बोलना एक सामान्य व्यवहार हो सकता है, लेकिन यह आदत अगर समय पर सही ढंग से सुधारी ना जाए, तो बच्चों की ये आदत उनके आने वाले भविष्य में उन्ही के लिए काफी नुकसानदायक हों सकती हैं। झूठ बोलना न केवल उनके व्यक्तित्व पर असर डालता है, बल्कि यह परिवार के रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को सच बोलने की आदत डालें और जब वे झूठ बोलें तो उसे पहचानने के उपाय भी जानें। बच्चे को डांटने या चिल्लाने की जगह प्यार से सच की अहमियत सिखाएं,

जल्द ही आपका बच्चा सच की राह पर चल निकलेगा और आपकी समझायी हुई बात जीवन भर याद रखेगा।

जब बच्चा झूठ बोलता है, तो उसकी शारीरिक भाषा से संकेत मिल सकते हैं। जैसे, बच्चे का आंखों से बचना, बेचैन होना, गुस्से में आ जाना या ज्यादा गुस्से में जवाब देना। ऐसे संकेत तब मिलते हैं जब बच्चा झूठ बोलने में उलझ जाता है।

 जब बच्चा झूठ बोलता है, तो उसकी आवाज़ में घबराहट हो सकती है। कभी-कभी, वह ज्यादा जोर से बोलने की कोशिश करता है या बहुत धीमी आवाज़ में जवाब देता है ताकि उसकी बात पर विश्वास किया जा सके।

 झूठ बोलते समय, बच्चे ज्यादा जानकारी देने लगते हैं ताकि उनकी कहानी सच्ची लगे। यह संकेत है कि बच्चा अपनी कहानी को विश्वासनीय बनाने के लिए उसमें ज्यादा बातें जोड़ रहा है।

 झूठ बोलते समय बच्चे में संकोच या झिझक दिखाई देती है। वह अचानक चुप हो सकता है या सवालों के जवाब देने में काफी समय लगा सकता है।

अगर बच्चा झूठ बोल रहा है तो वह आखों में आखें डालकर बात करने से बचता है। अगर वह आंखों में आंखें डालकर बात करता है, तो वह सामान्य रूप से सच बोल रहा हो सकता है।

बच्चों को सच बोलने की आदत डालने के लिए सबसे पहले माता-पिता को खुद सच बोलने का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। बच्चों पर नज़र रखे बिना उनका पालन-पोषण नहीं किया जा सकता, इसलिए माता-पिता को खुद भी सच्चाई बोलनी चाहिए।

अगर बच्चे कुछ गलत करते हैं या झूठ बोलते हैं, तो माता-पिता को शांत रहकर उनकी बातों को सुनना चाहिए। इससे बच्चा महसूस करेगा कि उसे सुना और समझा जा रहा है, और उसे डरने की जरुरत नहीं है।

 बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि झूठ बोलने के परिणाम क्या हो सकते हैं। माता-पिता को बच्चों को यह बताना चाहिए कि झूठ बोलने से रिश्तों में दरारें आ सकती हैं और वे दूसरों पर विश्वास खो सकते हैं।

 जब बच्चा सच बोलता है तो उसकी तारीफ़ करें और उसे सकारात्मक तरीके से प्रोत्साहित करें। इससे बच्चा सीखता है कि सच बोलने के अच्छे परिणाम होते हैं।

अगर बच्चा झूठ बोलने के लिए किसी कारण से मजबूर हो रहा है, तो माता-पिता को उसकी स्थिति को समझना चाहिए। कभी-कभी बच्चों को डर या किसी दबाव के कारण झूठ बोलने की आदत हो सकती है।

बच्चों को अच्छे और बुरे के बीच अंतर को समझाने के लिए माता-पिता को स्पष्ट और सरल तरीके से समझाना चाहिए। उदाहरण के लिए, “अगर तुम सच बोलोगे तो तुम्हारे लिए कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन अगर तुम झूठ बोलोगे तो मुझे तुम पर विश्वास नहीं होगा।”

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...