बड़ों का सम्मान करना
बच्चे को बचपन से ही यह शिक्षा देनी चाहिए कि वो अपने से बड़ों जैसे माता – पिता या गुरु का सम्मान करे क्योकि घर के बड़े बच्चों के मार्गदर्शक होते हैं। बच्चों को अपने द्वारा किए गए प्रयासों और संघर्षों के बारे में जरूर बताएं इससे उनमे बड़ों के प्रति सम्मान भावना जागृत होगी और वो कोई भी कार्य करने से पहले अपने माता – पिता की राय अवश्य लेंगे। बच्चों को प्रेरणाप्रद कहानियां सुनाएं। जिससे वो किसी किरदार से प्रेरणा ले सकें और अपने संस्कारों का पालन कर सकें।
अपने बच्चों में यह संस्कार अवश्य पैदा करने चाहिए कि वो ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास रखें। बच्चों को बताएं कि ईश्वर में आस्था रखने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती हैं।उसको यह विश्वास दिलाइए कि ईश्वर की उपस्थिति हर जगह है इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।
अपने बच्चे के अंदर सच बोलने की आदत डालनी चाहिए इसके लिए माता -पिता को स्वयं भी इस रास्ते पर चलने की आवश्यकता है । बच्चे के अंदर ईमानदारी का भाव जागृत करना चाहिए। उन्हें ये बताएं कि ईमानदारी के रास्ते पर चलकर ही उन्नति के शिखर को छू सकते हैं।
अपने बच्चे के अंदर सहयोग और दूसरों की मदद करने की भावना जागृत करें । यह आदत बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए जिससे वो बड़े होने तक इस आदत का अनुसरण करना सीख जाए। एक माता – पिता होने के नाते आप अपने बच्चे को बचपन से ही अपने साथ काम पर लगाएं या उसको बताते रहें कि परिवार में सभी काम एक दूसरे के मदद से ही संभव हैं। उससे बताएं कि घर ही नहीं बल्कि बाहर भी इस आदत का पालन करें।
प्रेम की भावना
प्रेम एक ऐसा भाव है जो हर बच्चे के अंदर ज़रूर होना चाहिए जिससे वह सभी केसाथ प्रेम से रहे। आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना के बल पर वह अपने परिवार , विद्यालय और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता है । सभी उसे पसंद करेंगे और वह सभी के दिलों पर राज करेगा। उसे सभी के प्रति सहानभूति और करुणा की भावना भी रखनी चाहिए।
सहनशक्ति
आजकल के बच्चों के पास सहनशक्ति का अभाव है । बच्चे छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत जल्दी चिढ़चिढ़े हो जाते हैं इसलिए माता -पिता होने के नाते आप अपने बच्चे के अंदर सहनशीलता की आदत डालें । क्योंकि उसके आगे के जीवन के लिए यह गुण होना अति आवश्यक है। बच्चे को सिखाएं कि जरा -जरा सी बात पर उसको गुस्सा नहीं होना चाहिए और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
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