कहते हैं कि बच्चे की स्किन की देखभाल ऐसी होनी चाहिए जैसे आप किसी कोमल से फूल को सहेजते हैं। जिस तरह फूल की पंखुडियां बिना देख रेख के मुरझाने लगती हैं, ठीक वैसे ही बच्चों की स्किन भी उसी पंखुड़ियों की तरह होती हैं, जिनकी देखरेख ना की जाए तो उन्हें रैशेस की समस्या से दो चार होना पड़ता है। आपने अक्सर किसी नवजात बच्चे की स्किन में चकत्ते देखे होंगे। जिन्हें देखकर आपको अक्सर चिंता भी होती होगी, लेकिन इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है। बच्चों की स्किन कोमल होती है। पैरेंट्स को ये समझना चाहिए कि उनके बच्चे की स्किन की जरूरत क्या है। बच्चों में कई तरह के चकत्तों की समस्या समय के अंदर ही होने लगती है और ऐसे में अगर उनको अनदेखा किया गया तो बच्चे को काफी तकलीफ झेलनी पड़ सकती है। बच्चों की रैशेस की समस्या किस वजह से होती है और उसका कैसे निदान किया जाए इसकी पूरी जानकरी दे रहे हैं नोएडा स्थित मदर हुड हॉस्पिटल के सलाहकार और नियोनेटोलॉजिस्ट डॉक्टर निशांत बंसल।
1. बच्चों में लाल दाने– अक्सर बच्चों की स्किन में आपने लाल रंग के दाने उनके गाल माथे और नाक में देखे होंगे। ये किस वजह से होते हैं, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन ज्यादातर प्रेगनेंसी के दौरान मां के हार्मोन्स में असंतुलन के कारण हो सकते हैं। ये दाने कभी कभी हफ्ते भर या महीने भर में एकदम ठीक हो जाते हैं।
• कैसे करें उपचार- अगर आपके बच्चे की स्किन में भी इस तरह की समय है तो आप एक नरम सूती कपड़े या रुई से बच्चे की स्किन को बेबी मॉइस्चराइज़र से साफ़ रखें। बच्चे की त्वचा में हल्का मॉइस्चराइज़र भी लगकर रखें। अगर आपको लगे कि स्थिति गम्भीर हो रही है तो आप डॉक्टर से सम्पर्क करें।
2. क्रडल कैप– जब बच्चा 2 हफ्ते से 12 महीने के बीच का होता है तो उसके सिर में पीले या हल्के भूरे रंक के निशान दिखाई देते हैं। कभी कभी ये चेहरे और गर्दन में भी नजर आते हैं। ये किसी भी तरह का संक्रमण नहीं है। इसके स्टिक कारण का अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता लेकिन, ये समस्या कवक और सीबम के बढ़े हुए स्तर की वजह से होता है।

• कैसे करें उपचार- क्रडल कैप के लिए आप हल्के और माइल्ड शैम्पू से बच्चे के सिर को धोएं। आप जब भी बच्चे के सिर पर शैम्पू करें तो उससे पहले उसके सिर में तेल की मालिश जरुर करें। और रात भर तेल को सिर पर छोड़ दें। शैम्पू के समय उसमें हल्का ब्रश भी करें।
3. एरीथेमा टॉक्सिकम– बच्चे की स्किन में दाने जैसा दिखने वाली चीज बच्चे के जन्म के कुछ दिनों के अंदर ही पनपने लगती है। ये लाल रंग के थक्के जैसी होती है। जिसके अंदर लिक्विड भरा होता है। अगर ये मवाद का रूप लेने लगे तो संक्रमक हो सकता है। इसका सटीीक कारण क्या है इस पर शोध नहीं हुुआ है। ये चकत्ते बच्चे की गर्दन, छाती और चेहरे पर अक्सर होते हैं।
4. डायपर भी ना बन जाए मुसीबत– बच्चों में डायपर की वजह से कई तरह के रैशेस और दाने होने लगते हैं। ये बच्चों के जांघ के नीचे होते हैं। अगर समय पर सावधानी नहीं बरती तो ये रैशेस काफी गम्भीर समस्या खड़ी कर सकते हैं। डायपर से होने वाले दाने और रैशेस बच्चों में एलर्जी का कारण बन सकते हैं और इससे फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है।
• कैसे करें उपचार- अगर आप बच्चे को डायपर पहनाते हैं तो स बात का ख्याल रखें कि बच्चा ज्यादा देर तक पॉटी और टॉयलेट में ना रहे। बच्चों एक निचले हिस्से को सूखा और साफ़ रखें। साथ ही अगर रैशेस हो रहे हैं तो डायपर से दूरी बनाएं।
5. कब चाहिए मदद- अगर बच्चे को रैशेस की समस्या हो रही है तो पैरेंट्स को सबसे पहले तो इस समस्या में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि उनका बच्चा क्या चाहता है। दिक्कतें बढ़ें तो बिना देर किये अपने डॉक्टर से परामर्श लें। क्योंकि बच्चों की तकलीफ सिर्फ उनके पैरेंट्स ही बेहतर समझ सकते हैं।
बच्चों की स्किन की देखरेख ख़ास होनी चाहिए। अगर आपका भी बच्चा इनमें से किसी एक की वजह से रैशेस की समस्या झेल रहा है तो ऊपर बताये हुए उपचार को भी आजमाएं और लापरवाही बिलकुल ना बरतें।
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