Baby Skin Care
Baby Bath

Baby Skin Care : मेरा चंदा है तू, मेरा सूरज है तू… घर में नन्हे मेहमान के आने से हर किसी के जुबां पर यही गाना होता है। हर कोई इस नन्हे मेहमान को गोदी में उठाने और प्यार करने के लिए मचलने लगता है और जैसे ही मौका मिलता है तो गोदी में उठाकर घूमने लगता है। इस कारण ही बच्चों को गोदी में रहने की आदत लग जाती है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसी कारण शिशु की स्किन संक्रमित भी हो जाती है या इसी कारण रैशेज की शिकार भी हो जाती है ?
बार-बार, अलग-अलग लोगों के संपर्क में आने से ऐसा होता है। हर कोई जानता है कि शिशु की स्किन काफी कोमल और सेंसीटिव होती है। ऐसे में जब वह नए-नए और तरह-तरह के लोगों के गोद में जाता है तो उसकी स्किन भी दूसरे की स्किन के संपर्क में आती है। ऐसे में अगर किसी ने गंदे हाथों से बच्चे को गोदी में उठाया है या किसी को स्किन से संबंधित कोई समस्या होती है तो वह आपके बच्चे को भी हो जाने का डर होता है। इस कारण ही तो शुरुआत के छह से दस महीने बच्चों को किसी को भी देने से मना किया जाता है। लेकिन आप कब तक किसी को रोकेंगी और कितना ही रोकेंगी। लोग सुनते भी तो नहीं है और सुनेंगे भी कैसे … बच्चे होते ही इतने प्यारे हैं कि लोग उसे गोद में लेने के नये-नये बहाने ढूंढने लगते हैं।
ऐसे में आप लोगों को तो रोक पाने से रहीं। तो क्या करें ?
तो जई का आटा इस्तेमाल करें। इस आटे के उबटन से आपके बच्चे को किसी भी तरह की स्किन से संबंधित कोई समस्या नहीं होगी।

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New Born Baby

Baby Skin Care : मौसम के असर को भी करें बेअसर

मौसम भी आजकल खराब है। इतनी अधिक ठंड है कि बॉडी लोशन और तेल लगाने के बावजूद हमारी और आपकी स्किन रूखी हो जा रही है। ऐसे में बच्चों की स्किन तो झुलस ही जाती होगी। इस कारण बदलते मौसम में बच्चों को स्किन से जुड़ी परेशानियां बहुत होती हैं। दरअसल बच्चे को और उनकी स्किन को मौसम के अनुसार ढलने में थोड़ा समय लगता है और जब तक उनकी स्किन बाहरी वातावरण के तापमान के अनुसार ढल पाती है तब तक उनकी स्किन डैमेज हो गई होती है। इस कारण ही कई सारे उपायों को अपनाने के बावजूद बच्चों को बेबी एक्ने, त्वचा पर पपड़ी जम जाना, रूखी त्वचा और डायपर रैशेज की शिकायत हो जाती है। अगर आपके भी बेबी को स्किन से संबंधित समस्या हो रही है तो किसी भी अन्य उपाय को अपनाने से पहले जई के आटे का इस्तेमाल करें।

कैसे ओट्स बाथ शिशु के लिए है फायदेमंद

जई के पानी से शिशु को नहलाना ओट्स बाथ कहलाता है। जई एक एंटी-फ्लोमेट्री अनाज है जो खुजली और सूजन को कम करता है। यह स्किन को मॉइस्चराइज भी करता है। वैसे तो मार्केट में शिशुओं के लिए भी कई तरह के लोशन और साबुन मिलते हैं जो शत-प्रतिशत केमिकल फ्री होने की बात कहते हैं। लेकिन आप उसकी गारंटी नहीं ले सकते। वहीं ओट्स के फायदों के बारे में आप बखूबी जानती हैं कि यह काफी फायदेमंद होता है। इसलिए स्किन इंफेक्शन के कारण अगर बच्चे के इंफेक्टेड हिस्से को जई के आटे के पानी से पोछा जाए तो शिशु को काफी आराम मिलता है।  

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Oats Bath

ऐसे तैयार करें शिशु के नहाने का पानी

  1. शिशु के नहाने का पानी तैयार करने के लिए सबसे पहले ओट्स का पाउडर लें। ध्यान रखें की ओट्स बाथ के लिए ऑर्गेनिक, इंस्टेंट और अनफ्लेवर्ड ओट्स ही इस्तेमाल करें।
  2. अब टब में गुनगुना पानी लें। इसमें ओट्स पाउडर डालें और मिलाकर घुलने दें। जब पानी दूधिया और चिकना दिखे तो समझ लें कि नहाने का पानी तैयार है।
  3. शिशु को ओट्स वाले पानी से नहलाने के पहले इसी का सूखा पाउडर या आटा शिशु की स्किन पर लगाकर 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें। ध्यान रखें कि शिशु को आटे के लेप से किसी तरह की खुजली ना हो रही हो।
  4. अब 15 मिनट बाद ओट्स मिले पानी में बच्चे को 5 मिनट के लिए बैठाएं। इसके बाद साफ पानी से नहलाकर मुलायम तौलिये से शिशु का शरीर पोंछे।
  5. शिशु को बॉडी रैशेज में धीरे-धीरे आराम मिलेगा।
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Bath Water

घर पर इस तरह से तैयार करें जई या ओट्स का आटा

बच्चे को ओट्स बाथ के लिए घर पर ही बनाए हुए जई का आटा इस्तेमाल करें। घर पर ओट्स या जई का आटा बनाने के लिए मार्केट से एक किलो ओट्स खरीद कर ले आएं। अब इसे धीमी आंच पर कढ़ाई रखकर भुनें। पांच मिनट बाद गैस बंद करें और भुने हुए ओट्स को ठंडा होने दें। फिर इसे भुने हुए ओट्स को महीन तरीके से पीस लें। ओट्स का आटा तैयार है। अब इसे एयर टाइट डब्बे में बंद कर लें और समय-समय पर बच्चे को नहलाने के लिए इस्तेमाल करें।

नोट- बच्चे को इस आटे से नहलाने से पहले बच्चे के हाथ या पैर इस आटे को लगाकर देख लें। अगर बच्चे को किसी तरह की समस्या नहीं हो रही है तब उसे ओट्स बाथ कराएं।

स्किन समस्या होने पर शिशु को ज्यादा नहलाए नहीं

स्किन समस्या होने पर शिशु को ज्यादा नहलाना नहीं चाहिए। इससे स्किन और अधिक डैमेज हो सकती है। दिन में एक बार कुछ मिनट के लिए नहलाना काफी होता है और ख्याल रखें कि इस पानी में जई का आटा मिक्स हो। बाद बाकी बदलते मौसम में शिशु को हो सके तो हवा में ज्यादा बाहर ना निकालें। इसके अलावा घर के अन्य लोगों को भी हाथ धोकर ही शिशु को गोद में लेने के लिए बोलें।
इन सब बातों का ख्याल रखेंगी तो आपके कलेजे के टुकड़े को कुछ नहीं होगा और वह हमेशा खिलखिलाता रहेगा।

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