
चाहत और जरूरत–
बच्चा जब शहर से बाहर जा रहा हो तो उससे बैठ कर थोड़ी देर बात जरूर करें। इस दौरान आपको जरूरतों और चाहतों का अंतर बेटे को समझाना होगा। समझाना होगा कि पहले खर्चा जरूरतों पर किया जाना चाहिए। चाहतों पर खर्चा करने की बारी बाद में आती है। जब घर से बाहर दूसरे शहर में रहो तो इस नियम को मानना और जरूरी हो जाता है। इसके लिए बेटे से कहिए कि महीने के शुरू में ही उसे एक लिस्ट बनानी होगी, जिसमें उस महीने की जरूरतों को लिखना होगा। इसके बाद बचे पैसों में से कुछ को चाहतों पर खर्चा किया जा सकता है।
बच्चे कमाएं भी–
विदेशी बच्चों की जब हम बात करते हैं तो इस बात पर बहुत खुश हो जाते हैं कि वहां बच्चे पढ़ते हुए भी कमाते रहते हैं और साथ में पेरेंट्स के सिर से खर्चों का बोझ कम होता जाता है। लेकिन भारत में अभी भी इस बात को अच्छा नहीं समझा जाता है। मगर अब समय बदला है और मां के तौर पर आपको अपने बच्चों से कम से साथ पढ़ाई करने को लेकर बात करनी चाहिए। हां, ये बात सही है कि उसे वेटर बनने के लिए आप प्रोत्साहित नहीं करेंगी लेकिन कई और तरीके भी हैं। जैसे अगर बच्चे को गिटार बजाना आता है तो वो इसे सिखा सकता है। या फिर बेटी को अगर साइंस प्रोजेक्ट बनाने आते हैं तो वो छोटे बच्चों के लिए ये प्रोजेक्ट बनाकर अच्छा कमा सकती है।
जोड़ कर दिखाओ–
आप अपने बेटे से पैसे जोड़ने की प्रतियोगिता भी कर सकती हैं। जैसे उससे कहिए कि मैं इस महीने 5000 रुपए कैश जोडूँगी। क्या तुम भी ऐसा कर सकते हो? हो सकता है बेटा कहे अरे मेरे पास इतने कहां होते हैं। तो आप उससे सिर्फ 1 या 2 हजार जोड़ने का वादा ही ले लीजिए। देखिएगा वो जरूरतों पर भी बहुत जरूरत होने पर ही खर्चा करेगा। बस ये एक तरीका दूसरे शहर में रहते हुए पैसे जोड़ने का अच्छा मौका देगा। इसके साथ बेटे को भी अपने पास एक्सट्रा पैसे होने का आत्मविश्वास आएगा।
खर्चो, दर्ज करो–
पैसे बचाने का एक तरीका ये भी है कि खर्च करने के बाद इसे कहीं लिखा जाए। लिखने से आपको अपने खर्चे दिखते रहते हैं और आप खुद ही खर्चों की ओर से अपने पैर पलट लेते हैं। यही एक बात आपको अपने बच्चे को भी सिखानी है। उसे बताना है कि दिनभर के जो भी खर्चे हों उन्हें एक जगह लिखो जरूर। जब वो अपने बढ़ते खर्चे देखेगा तो जरूर ही खुद को खर्चा करने से रोकने की पूरी कोशिश करेगा। यकीन मानिए उसको फिर अपने आंकड़ों को कम किए रहने की जिद सी हो जाएगी। वो खर्चे ना बढ़ने देने की पूरी कोशिश करेगा। इसका फायदा उसे जीवन में आगे होगा जरूर। फिलहाल आपके पैसे गलत कामों में खर्च होने से बचेंगे और आप निश्चिंत हो जाएंगी कि बच्चे गलत खर्चे से बचते रहेंगे।
बचाओगे तो पाओगे–
बच्चों को आप एक लालच या इनाम भी दे सकती हैं। जैसे उनसे कहिए कि इस महीने अगर 1000 रुपए जोड़ोगे तो 500 रुपए मैं तुम्हें अलग से दूंगी। इस तरह से उन्हें पैसे जोड़ने का एक मकसद सा मिल जाएगा। वो ज्यादा से ज्ज्यड़ा पैसे इसलिए जोड़ेंगे कि उन्हें घर से और पैसे मिल सकें। 45 साल की मीरा ने यही किया था। 2 साल पहले उनका बेटा मुंबई एमबीए करने गया तो उन्हों ने सबकुछ समझाने के बाद बेटे से कहा कि पैसे जोड़ना तो उसने बेटे ने कहा शहर बहुत महंगा है लेकिन उनका मनना था कि कर सकते हो। पैसे जोड़ो तो मैं और पैसे दूंगी। फिर क्या था 1000 रुपए पर मां से 200 रुपए और मिलने की होड़ लग गई। वो कहती हैं, पहले अलग से 2000 रुपए और मंगाता था और तो सिर्फ 800 रुपए ही और देने पड़े। वो भी उसके पास हैं, खर्च नहीं हुए हैं।
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