यूं तो जुड़वा होना कोई अजूबा नहीं है, लेकिन इसकी वजह से हर दिन होते हैं दिलचस्प किस्से। जुड़वा यदि हमशक्ल हुए तो उनकी पहचान करना ही मुश्किल हो जाता है। जुड़वा बच्चों पर अनेक फिल्में भी बनी हैं। आइए देखते हैं, जुड़वाओं की दुनिया को करीब से।

यूं तो जुड़वा बच्चों का साथ-साथ स्कूल जाना कोई खास बात नहीं है, लेकिन यदि किसी स्कूल या किसी क्लास में अनेक जुड़वा पढ़ते हों तो वह खास बात अवश्य है।

भारत में एक स्कूल ऐसा है, जहां हर क्लास में पढ़ते हैं जुड़वा। कपूरथला, पंजाब सुल्तानपुर लोधी के श्री गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल में यूकेजी से 12वीं कक्षा तक 13 जुड़वा हैं। यद्यपि बच्चे जुड़वा हैं, लेकिन उनका शौक अलग-अलग है। जैसे एक को टेनिस पसंद है तो दूसरे को किताबें पढ़ना। एक को क्रिकेट में दिलचस्पी है तो दूसरे को फुटबॉल में।

इन जुड़वाओं में से अधिकतर हमशक्ल होने से शिक्षकों को उनमें भेद कर पाने में खासी परेशानी होती है। प्रिंसिपल का कहना है कि यद्यपि हम रोज देखते हैं, फिर भी कंफ्यूजन हो जाता है। जब किसी फंक्शन में ये जुड़वा साथ होते हैं तो यह पता नहीं लगता कि कौन गौरव है और कौन सौरभ। कौन रोहित है और कौन राहुल। कई बार गलती एक करता है और डांट दूसरे को पड़ जाती है। शिक्षक ही नहीं, उनके माता-पिता भी कई बार जुड़वा में धोखा खा जाते हैं।

आंध्र प्रदेश के चिल्लूर जिले का कैम्फोर्ड हाई स्कूल इन दिनों सुॢखयों में है। जानते हैं क्यों? इस स्कूल में 56 जुड़वा बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल के टीचर्स अक्सर इन्हें पहचानने में धोखा खा जाते हैं। ये जुड़वा भी कम नहीं हैं। होमवर्क पूरा नहीं होने पर एक जैसा हुलिया बनाकर स्कूल आ जाते हैं। कई बार तो होमवर्क भी टीचर्स को एक-दूसरे का दिखा देते हैं। स्कूल में इनके लिए हर साल एक खास दिन विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। स्कूल में 20 जुड़वा लड़कियां हैं। पिछले साल 16 जोड़े थे, अब 28 जोड़े हैं। जुड़वा बच्चों की उम्र 4 से 16 साल के बीच है।

अमेरिका के इलिनॉय का एक स्कूल इसलिए मशहूर हो गया है, क्योंकि उसकी एक क्लास में जुड़वा बच्चों की 24 जोड़ियां हैं, जो तब एक संयोग था। यह रिकॉर्ड है, इसलिए हाईक्रेस्ट मिडिल स्कूल का नाम गिनीज बुक में भेजा जा चुका है। इससे पहले कई स्कूलों में 16 ट्विन सेट्स का रिकॉर्ड था। कई बार जब ये बच्चे एक जैसे कपड़े पहनकर स्कूल आते हैं, तब शिक्षकों को इन्हें पहचानने में भी परेशानी हो जाती है।

राजस्थान के पाली शहर में महज 17 घरों की एक गली है। उसमें एक-दो नहीं, पूरे पांच परिवारों में जुड़वा बच्चे हैं। पढ़ने में जितना रोचक, उतना ही हकीकत है यह संयोग। शहर की बड़ी ब्रह्मïपुरी को जय हिंद पोल से जोड़ती एक ओर से बंद है लगभग 60 लंबी यह गली इलाके में इस गली को बोलचाल में जुड़वों की गली कहते हैं। संयोग ऐसे भी हैं कि गली में दस साल पहले एक घर में गाय ने भी जुड़वा बछड़ों को ही जन्म दिया। इतना ही नहीं, एक संयोग यह भी रहा कि जुड़वा बच्चों में अगर एक लड़की व एक लड़का हुआ तो उनमें से एक ही बच पाया, लेकिन दोनों लड़के या लड़कियां जन्मीं तो इनकी धड़कनों से यह गली भी गुलजार हो गई। स्कूल, कॉलेज या बाजार जाते वक्त इनके साथ-साथ होने का नजारा दिलचस्प होता है।

27 वर्षीय जुड़वा मानवेंद्र-विश्वेंद्र को सभी चिक्की-मिक्की नाम से ही बुलाते हैं। दोनों इतने हमशक्ल हैं कि इन्हें अलग-अलग पहचान कर नाम से आवाज देना मुश्किल हो जाता है। परिचित इन्हें जुड़वा नाम से ही पुकारते हैं। भ्रम से बचने के लिए कि दोनों में से एक कोई तो होगा ही। शरारतें भी इनकी ऐसी ही हैं। चिक्की का होमवर्क अधूरा रह गया, लेकिन डांट मिक्की को पड़ी। मिक्की ने जोधपुर जाने का कहकर ऑफिस से छुट्टïी ले ली। बॉस ने दोपहर में बाजार में चिक्की को घूमते हुए देख लिया तो अगले दिन मक्की को डांट पड़ी।

हितेश-हितांशु, यानी कि 13 वर्षीय हितु-तिपु एक ही स्कूल में, एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। अटेंडेंस के समय कभी-कभी दूसरे की हाजिरी भी लगा देते हैं। कपड़ों के डिजायन, स्कूल बैग व टिफिन एक जैसे ही रखते हैं।

आशा-अरुणा, इनकी कई रुचियां तो एक जैसी हैं ही, शरीर का मिजाज भी एक जैसा ही है। बुखार हो या कोई मौसमी बीमारी, अक्सर साथ-साथ आती है। आशा कॉमर्स की छात्रा रही। अरुणा साइंस मैथ्स की। कभी आशा ही अरुणा की जगह जाकर क्लास अटेंड कर आती। दादीजी को दीपावली की ढोक देकर दो बार मिठाई भी कोई एक खा जाती। यहां तक कि एक साथ हुई शादी में फेरों के वक्त मां शशिकला ने खुद चैक किया कि वे अपने ही दूल्हे के साथ तो बैठी हैं। यह जरूर है कि आशा दाएं हाथ से लिखती है।

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में रहने वाली लूसी और एन्ना एक मिनट के अंतराल से पैदा हुईं। इन जुड़वा बहनों ने एक जैसा दिखने के लिए करीब 15 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च कर दिए। उन्होंने एक जैसे लिप्स, आइब्रो, आईलैशेज और ब्रेस्ट इंप्लांट्स कराए हैं।

जापान के एक टीवी फ्रेंक शो के प्रोड्यूसर ने उन्हें यू-ट्यूब पर देखकर लोगों के साथ ट्रिक्स करने के लिए शो पर बुलाया। लोगों को तो छोड़िए, कंप्यूटर भी उन्हें देखकर अंतर नहीं कर पाया। उन्हें वर्ल्ड मोस्ट आइडेंटिकल ट्विंस का खिताब दिया गया है। लूसी के अनुसार, ‘मां हमेशा हमें पहचान लेती थीं, लेकिन पापा पूछते कि तुम कौन हो लूसी या एन्ना?’ दोनों बहनें अपनी जिंदगी का हर पहलू साझा करती हैं। वे एक साथ एक बेड पर सोती हैं और एक जैसा, बराबर मात्रा में भोजन करती हैं।

नाइजीरिया के दक्षिण-पश्चिम में इगबोओरा नामक कस्बे में सर्वाधिक जुड़वा रहते हैं। यह ऐसी जगह है, जहां हर घर में जुड़वा मिल जाएंगे। शायद ही कोई ऐसा घर मिले, जहां जुड़वा न हों।

दुनिया के सबसे ज्यादा जुड़वा लोग पश्चिम अफ्रीका के इसी गांव में पाए जाते हैं। यहां प्रति हजार बच्चों पर 158 जुड़वा बच्चों का जन्म होता है, जबकि यूरोप में प्रति एक हजार में पांच जुड़वा बच्चों का जन्म होता है। ऐसा अनुवांशिक प्रभाव की वजह से होता है।

वैसे अब तक सबसे अधिक जुड़वा बच्चे दक्षिण कोरिया के चंगचांन में हुए हैं। सितंबर 1981 में वहां 275 परिवारों में 38 जुड़वा बच्चे पैदा हुए थे।

यूक्रेन का वेलिकाया कोपानया गांव, जिसे ‘लांड ऑफ द ट्विन्स  भी कहा जाता है, वहां मात्र 4000 लोगों की आबादी है। उनमें भी जुड़वा बच्चों की संख्या लगातार बढ़ने से बाहरी लोग हैरान हैं। अब वहां 61 जोड़ी जुड़वा बच्चे रिकॉर्ड किए गए हैं, जिनके नाम यूक्रेन की रिकॉर्ड बुक में दर्ज किए गए हैं। कहा जा रहा है कि इस गांव का नाम जल्द ही गिनीज बुक में दर्ज किया जाएगा।’

स्थानीय लोग कहते हैं कि उनके गांव में जुड़वा बच्चों की संख्या दुनिया के किसी, गांव की तुलना में सर्वाधिक है। स्थानीय नागरिक मरयाना सावका के अनुसार, वर्ष 2004 से जुड़वा बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। अब हर साल जुड़वा बच्चों की दो या तीन जोड़ी बढ़ रही है। इस गांव में सबसे बड़ी उम्र की जुड़वा जोड़ी में से एक मारिया चोरबा है। उनकेकुनबे में ही ऐसी तीन जोड़ियां हैं। वे बताती हैं कि यह घटना नई नहीं है। वे जब बड़ी हुईं, तब उनकी सहेलियों में भी कुछ जुड़वा थीं। आश्चर्य की बात यह है कि गांव में गाय के बछड़े भी जुड़वा होने लगे हैं।

यह भी पढ़ें –जानें कौन सी बातें छुपाते हैं आपके पति आपसे