Summary: बच्चों में खतरनाक ट्रेंड! सतगुरु की चेतावनी और समाधान
12–13 साल के बच्चों में बढ़ता खतरनाक ट्रेंड… सतगुरु ने चेताया—अनियंत्रित जानकारी बच्चों के दिमाग, भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुँचा रही है। समाधान जानें।
Sadhguru Warning for Parents: वर्तमान समय में बिना किसी मेहनत या कोशिश के आसानी से हर चीज का ज्ञान मिल जाना एक ट्रेंड बन गया है और इस ट्रेंड से हमारे बच्चे भी अछूते नहीं है। 12-13 साल के बच्चों में बिना किसी अनुभव के समय से पहले ज्ञान की अधिकता हमारे बच्चों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत खतरनाक है। इस गंभीर विषय पर बात करते हुए सद्गुरु ने सभी माता-पिता से आग्रह किया वह अपने बच्चों के वर्तमान और भविष्य को संभालने के लिए कदम उठाएं।
क्यों है सद्गुरु चिंतित

सद्गुरु का कहना है अगर हर बच्चे के हाथ में फोन है, इंटरनेट की उपलब्धता है ऐसे में बच्चा बिना अनुभव या मेहनत की सारी जानकारी प्राप्त कर लेता है। जानकारी की असीम उपलब्धता बच्चों को अपने जीवन के प्रति उदासीन और भावनात्मक रूप से कमजोर बना रहा है। समय से पहले भावनाओं और जानकारी की अधिकता बच्चों के अंदर जीवन खत्म करने की प्रवृत्ति, जीवन में कुछ नहीं बचा इस तरह के सोच को भी बढ़ा रहा है।
सद्गुरु, जानकारी के बिना रुकावट उपलब्धता के इस ट्रेंड को बच्चों के लिए खतरनाक बताते हुए माता-पिता को सावधान करते हैं। आइए इस लेख में जानते हैं, आप किस तरह इस ट्रेंड से अपने बच्चों को सुरक्षित कर सकते हैं।
बच्चे मानसिक, भावनात्मक रूप से हो रहे हैं कमजोर
बच्चा मजेदार कंटेंट के चक्कर में स्क्रीन स्क्रोलिंग दुनिया में फसता चला जा रहा है। रील, यूट्यूब शॉर्ट्स, ऑनलाइन गेमिंग, सोशल मीडिया की चमकदार तेज और दिखावटी दुनिया बच्चों के दिमाग में लगातार डोपामिन रिलीज करता है। डोपामिन, जिसे फील गुड हार्मोन कहते हैं। जिसका फोन के उपयोग से बच्चों में लगातार हाई सिक्रीशन होता है। जिससे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बच्चों को फोन या डिजिटल दुनिया से अलग दूसरे कामों से खुशी नहीं मिलती। किताबें उबाऊ लगती है, क्योंकि बच्चा समझता है वह सब जानता है। बच्चे को घर परिवार या नैतिक ज्ञान बोरिंग लगता है। सीधे शब्दों में बच्चा डिजिटल दुनिया का गुलाम बन जाता है।
उम्र से पहले अधिक जानकारी खतरनाक है
हमारे समाज में एक कहावत बहुत प्रचलित है “अति हर चीज की बुरी है” ठीक इसी प्रकार उम्र से पहले अधिक जानकारी बच्चों के लिए खतरनाक है। इससे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव है-
- बच्चा कुछ नया करना या सीखना नहीं चाहता।
- वह भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर बनता है।
- वह रील की दुनिया को वास्तविक समझने लगता है।
- उसके अनुसार चीज ना होने पर वह जीवन को व्यर्थ मानने लगता है।
- छोटी-छोटी हार से जीवन को खत्म करने का विचार कर बैठता है।
माता-पिता अनियंत्रित जानकारी को नियंत्रित करें
वर्तमान युग डिजिटल युग है। ऐसे में आप पूरी तरह अपने बच्चों को डिजिटल चीजों से दूर नहीं रख सकते। लेकिन आप इसके उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं। आप अपने बच्चों के उम्र के अनुसार उसकी जानकारी को नियंत्रित कर उसके भावनाओं और मस्तिष्क को स्वस्थ और संतुलित विकास की तरफ मोड़ सकते हैं।
पेरेंट्स क्या करें प्रैक्टिकल सॉल्यूशन
सबसे जरूरी और पहला कदम बच्चों से पहले खुद के स्क्रीन टाइम पर कंट्रोल करें। बच्चा अपने आसपास जैसा देखा है वैसा ही सीखता है।
आप बच्चों को पूरी तरह डिजिटल चीजों से दूर नहीं कर सकते, पर आप उनमें इसके उपयोग की समझ विकसित कर सकते हैं। इसके अधिक उपयोग के खतरे समझ सकते हैं।
अपने बच्चों के फोन पर पैरंट्स गाइड जरूर रखें, ताकि बच्चा उम्र के अनुसार कंटेंट देखें।
अपने बच्चों के साथ बात करें, उनके भावनाओं को समझे, उन्हें समय दे, उनके साथ मिलकर नए-नए गेम खेलें। इससे बच्चा व्यस्त और खुश दोनों रहेगा और उसकी स्क्रीन टाइम कम होगी।
अपने बच्चों को असली जीवन का अनुभव करवाएं। उन्हें हर रोज पार्क ले जाएं। गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। परिवार के साथ बैठें, बातें करें ताकि बच्चा सबको सुने और समझे। माता-पिता बच्चों के साथ मिलकर काम करें।
