बच्चे हर घर की रौनक होते हैं। मगर बच्चे दिनभर खेल कूद में अपना वक्त बिताते हैं। बीते दिनों लाकडाउन के कारण तकरीबन साल भर बच्चे घरों में कैद रहे। ऐसे में बच्चों का मानसिक विकास काफी हद तक प्रभावित भी हुआ है। खेलने और कुछ देर पढ़ने के बाद बच्चे अक्सर बोरिंग फील करने लगते हैं। वो कुछ नया करना चाहते हैं, कुछ नया सीखना चाहते हैं। कारण उनके मन में उठने वाले सवाल। दरअसल, उनका कोमल मन ढेर सारी जिज्ञासाओं से भरा हुआ है। आसमान में चांद क्यों निकलता है, फूल कैसे उगते हैं, सब्जियां सेहत के लिए क्यों ज़रूरी हैं, मोमबत्ती क्यों पिघलती है और न जाने क्या क्या। अब ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं, जिनके जवाब कई बार उन्हें माता पिता से नहीं मिल पाते हैं। कारण अपने अपने कामों की मसरूफियत। मगर माता पिता की व्यस्तता के कारण बच्चे मोबाइल एक्टिविटी यां फिर इनडोर गेम्स तक सीमित रह जाते हैं। ऐसे में बच्चों को व्यस्त रखने के लिए एक आसान सा उपाय है, उन्हें अखबार बनाने में व्यस्त करना। जी हां, वो दिन भर जो एक्टिविटी करना चाहते हैं यां जो त्योहार यां उत्सव आने वाला है, वो उसकी जानकारी उसमें दे सकते हैं। इससे न सिर्फ बच्चे व्यस्त होंगे बल्कि उनके मानसिक विकास में भी सहायता प्राप्त होगी। आइए जानते हैं बच्चों को अखबार बनाना सिखाने के लिए रखें इन बातों का ख्याल
नाम से करें शुरूआत
अगर आपके बच्चे का नाम रेहान है , तो आप इसे रेहान टाइम्स नाम दे सकते हैं, अगर आपके बच्चे का नाम कायरा है, तो आप अखबार का नाम कायरा न्यूज भी रख सकते हैं। इसके अलावा चाहे राज्य, पसंदीदा चीज़ यां फिर किसी पशु पक्षी के नाम पर भी अपने अखबार का नाम रख सकते हैं।
काम को बांट दें
अखबार को बनाने के लिए हमें कई सेक्शंस पर काम करना पड़ता है। ऐसे में अखबार बनाने की शुरूआत के साथ ही हमें बच्चों में काम को बांट देना चाहिए। जैसे कोई स्पोर्टस से जुड़ी खबरों को इकट्ठा करे, तो कोई बतौर फोटो एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाले यां कोई मौसम से जुड़ी जानकारी लेकर आए। इस तरह से सब अपने अपने कामों में व्यस्त हो जाएंगे और कुछ नया और अनोखा सीख पाएंगे।
विषयों पर फोकस करें
ध्यान दें कि कौन से विषय अखबार में शामिल करने हैं। इसके लिए सबसे पहले सभी विषयों की एक लिस्ट तैयार कर लें। उसके बाद ये देखें की कौन सा विषय सबसे ज़रूरी है और वो अखबार में कितनी जगह लेगा और कौन सा बच्चा किस टापिक पर बेहतर ढ़ग से लिख सकता है।
पज़ल और पहेलियां ज़रूर करें शामिल
बचपन में अखबार आते ही हम में से अधिकतर लोग सबसे पहले कहानियों और चित्र मिलाओ जैसे कालम पर विज़िट करते थे। जो अखबार की लोकप्रियता को बढ़ाने में कारगर साबित होते हैं। ऐसे में अखबार में चित्र मिलाओं, पहेलियों और पज़ल जैसे खेलों को ज़रूर शामिल करें। इसके अलावा छोटी कहानियों को भी अपने अखबार में ज़रूर थोड़ा सा स्पेस दें, तकि बच्चे उन्हें पढ़कर अपना मनोरंजन कर सकें।
खबरें इकट्ठा करें
किसी भी समाचार पत्र को बनाने के लिए खबरें इकट्ठी करना बेहद ज़रूरी है। मगर खबरें कब और कहां से मिलेंगी इस बात की जानकारी बच्चों को होनी बेहद ज़रूरी है। इसके लिए बच्चों को खासतौर से कुछ ऐेसे सोर्स जुटाने होंगे जहां से उन्हें सच्ची और सही खबरें मिल सकें। अगर आप किसी म्यूज़िक से जुड़ी खबर को अपनी अखबार से शामिल करना चाहते हैं, तो इंटरनेट के अलावा अपने इलाके की म्यूज़िक शाप से भी लेटेस्ट म्यूजिक की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा अगर इ लर्निंग से बारे में जानकारी चाहते हैं, तो अपनी टीचर से संपर्क कर सकते हैं। इस तरह से हर खबर के लिए आप अलग अलग लोगों से संपर्क साध सकते हैं।
बौद्धिक सम्पदा
बौद्धिक सम्पदा किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीतए साहित्यिक कृतिए कलाए खोजए प्रतीकए नामए चित्रए डिजाइनए कापीराइटए ट्रेडमार्कए पेटेन्ट आदि को कहते हैं। हमें बच्चों को खुद लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अधिकतर बच्चे कटिंग पेस्टिंग से अपना अखबार पूरा कर लेते हैं। मगर उन्हें अपने शब्दों का इस्तेमाल करके सरल तरीके से लिखने का अभ्यास करना चाहिए और बौद्धिक सम्पदा को सृजित करने का प्रयास करना चाहिए।
तस्वीरें इकट्ठी करना
खबरें तस्वीरों के बिना अधूरी समझी जाती है। तस्वीरों के ंजरिए हम किसी खबर की पुष्टि करने में काफी हद तक सफल होते हैं। इसके अलावा तस्वीरें खुद में हज़ारों शब्द समेटे हुए होती हैं। ऐसे में बच्चों को तस्वीरें जुटाना बेहद ज़रूरी है। मगर हमें उन वेबसाइटस पर विज़िट करना चाहिए, जहां से हमें तस्वीरें आसानी से मिल पाएं। इसके अलावा बच्चों को खुद से तस्वीरें बनाना भी आना चाहिए, ताकि वे अपने हुनर का नमूना पेश कर पाएं।
अन्य अखबारों यां किताबों से मदद
अगर हम पहली बार अखबार बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कौन सा अखबार किस अखबार को फ्रंट पेज़ पर रख रहा है और कौन सी खबर आखिरी पेज पर। जी हां खबर के हिसाब से पेज तय किए जाते हैं। स्पोर्टस के लिए अलग, शेयर मार्किट के लिए अलग और क्राईम सेक्शन के लिए अलग। बाकी अखबारों से जानकारी हासिल करने के बाद ही खबरों को अलग अलग पन्नों के हिसाब से बांटना चाहिए। ताकि कोई खबर छूट न जाए। ध्यान रहे कि सबसे बड़ी खबर चाहे किसी भी विषय से हो, मगर स्थान उसका पहले पेज़ पर ही रहेगा।