हम अपने बच्चों को बिमारी, संक्रमण और फ्लू से बचाने के लिए क्या कुछ नहीं करते? हम उन्हें बीमारियों के मौसम में घर पर ही रखते हैं। लेकिन कई तरह की सावधानी के बाद भी हमारे बच्चे स्कूल, पार्क से कई तरह के संक्रमण ले आता है। जिससे बीमारियों का आना भी आम है। बच्चे बाहरी लोगों के सम्पर्क में आते हैं। ये सम्पर्क कभी कभी हानिकारक भी हो जाते हैं। हालांकि बच्चे छोटे होते हैं, और उनकी इम्युनिटी भी कमजोर होती है। हालांकि छोटे बच्चे जब भी किसी दूसरे बच्चे के साथ खेलते हैं या अपना सामान साझा करते हैं, तो बिमारी भी साझा हो जाती है। कई लोग ऐसे मानते हैं कि सर्दियों के मौसम में ज्यादा संक्रमण होता है, इसलिए वो बच्चों  को घर के अंदर बंद रखते हैं, लेकिन शोध की मानें तो जब भी घर चारों तरह से बंद रहता है तो ऐसे में वायरस ज्यादा फैलने के चांस रहते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख के जरिये बताएंगे कि ऐसी कौन सी बीमारियां हैं, जो आमतौर पर बच्चे बाहर से संक्रमण लेकर आते हैं। साथ ही इनके रोकथाम और उसके उपायों से कैसे इससे निपटा जाए, तो चलिए जानते हैं।

इन्फ्लूएंजा वायरस

सामान्य टूर पर देखा जाए तो ये वायरस बेहद ही समान्य होता है। शोध के मुताबिक हर साल हजारों लोगों की मौत इस वायरस की वजह से होता है। इसलिए हर 6 साल और उससे ज्यासा उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन जरूरी होती है। अक्सर इस बिमारी की शुरुआत के लक्षण में तेज बुखार, बॉडी पेन, सर्दी लगना, सिर में दर्द, थकान महसूस होता है। कभी कभी बच्चे को खांसी, खराश पेट में दर्द भी हो सकता है। इससे निमोनिया होने के चांस भी बढ़ा जाते हैं। आप इससे बचाव के लिए अपने डॉक्टर से भी सम्पर्क कर सकते हैं।

• कैसे करें बचाव- इस तरह के वायरस से बचाव के लिए बच्चों को हाथ धोने की आदत सिखाएं। बच्चों के बताएं वो स्कूल या घर के बाहर कहीं भी सैनिटाइज़र का उपयोग करना चाहिए।

कोल्ड

बच्चों में कोल्ड यानी सर्दी राइनो नाम के वायरस की वजह से होता है। इसके वायरस काफी छोटे होते हैं और घंटों तक किसी भी सतह पर जिन्दा रह सकते हैं। इससे गले में खराश, खांसी, सिर में दर्द और लगातार छींक आती है। जिससे जुकाम होना आम है।

• कैसे करें बचाव- जुकाम का संक्रमण आम होता है, जब भी बच्चा किसी ठंडे वायरस के सम्पर्क में आता है तो ये संक्रमण हो जाता है। आप बच्चे को सिखाएं कि कुछ भी छूने के बाद अपना चेहरा ना छुए। आप बच्चे को पर्याप्त नींद लेने दें और उसे स्वस्थ्य आहार खिलाएं।

गले में संक्रमण

बच्चों में ये संक्रमण आम होता है। जब भी कोई इस संक्रमण से पीड़ित होता है तो, उसे खांसी आती है। ये किसी का जूठा खाने से या पीने से हो जाता है। इसमें बच्चे को कुछ भी निगले में परेशानी हो सकती है। साथ ही टॉन्सिल, उल्टी भी हो सकती है।

• कैसे करें बचाव-  अपने बच्चे को इस संक्रमण से बचाने के लिए उसे सिखाएं कि वो अपने साथ के बच्चों से कुछ भी साझा ना करें। बच्चों को बार बार उनके हाथ धोने के लिए याद दिलाते रहें।

पेट का फ्लू

बच्चों में अक्सर गैस्ट्रोएंटेरिटिस की वजह से पेट में या आंतों में सूजन आने लगती है। जिससे उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन और बुखार जिसे लक्षण सामने आ सकते हैं। ये परेशानी बच्चे में पानी की कमी के चलते हो सकती है। 

• कैसे करें बचाव- इस बिमारी को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि आप अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं। उसे साफ़ सफाई के साथ रहने के लिए प्रेरित कीजिये ताकि वो किसी भी प्रकार के संक्रमण के सम्पर्क में ना आ पाए।

खराब गला

बच्चों में यह आम संक्रमण बैक्टीरिया के एक समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस नामक तनाव के कारण होता है। खराब गला अत्यधिक संक्रामक होता है। दरअसल जब किसी को गले का संक्रमण होता है तो उसे छींक या खांसी होती है। यह पेय या भोजन साझा करने के कारण या किसी संक्रमित सतह को छूने के कारण हो सकता है जैसे कि एक दरवाजे का कुंडा जिस पर संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया लगे हुए हैं और जब बच्चा उस डोर नॉब को छूता है फिर उसके बाद  अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूता है तब आपके बच्चे को निगलने पर गले में खराश और दर्द की शिकायत हो सकती है, और उसे बुखार, दाने, सिरदर्द, मतली या उल्टी हो सकती है, तालुये के पीछे छोटे लाल धब्बे, और टॉन्सिल में सूजन हो सकती है।

कैसे करें बचाव- अपने बच्चे को उन दोस्तों और सहपाठियों के साथ चीजों को साझा करने के बारे में विशेष रूप से सावधान रहें जो खाँस रहे हैं या छींक रहे हैं। अपने बच्चे को अक्सर उसके हाथ धोने के लिए याद दिलाएं, खासकर अगर सहपाठी बीमार हो तब।

इन बिमारियों के अलावा भी कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके सम्पर्क में आने से बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। अगर आपका बच्चा सांस नहीं ले पा रहा, तेज बुखार है, सुस्त है, खाना नहीं खाता तो आप तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने में बिलकुल भी देर ना करें।

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