आप नई-नई मां बनी हैं। दिन-रात अपने लाडले का खयाल रखती हैं, जाहिर है तनाव तो होगा ही। न सही तरीके से नींद पूरी हो पाती है और न ही कहीं बाहर जाना हो पाता है। सहेलियों से फोन पर भी बात करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है। ऐसे में चेहरा हर समय उनींदा सा, थका हुआ प्रतीत होता है। आपको यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि बच्चे की त्वचा का कैसे खयाल रखा जाए। कभी उसे रैशेज हो जाते हैं तो कभी पाउडर लगाने से निशान पड़ जाते हैं। इस तरह की त्वचा संबंधी कई समस्याओं से आपको रोजाना दो-चार होना पड़ रहा है। आपकी इन सभी समस्याओं का हल हमारे पास है

लाडले की त्वचा
बच्चे जितने नाजुक होते हैं, उनकी त्वचा भी उतनी ही कोमल होती है। इसलिए नन्हे की त्वचा बहुत जल्द एलर्जी का शिकार हो जाती है। उनकी मालिश ऐसे तेल से करें, जो उनकी त्वचा के लिए ही बनाया गया हो। आपका डॉक्टर जिस तेल की सलाह दे, उसी तेल से मालिश करें। बच्चों की त्वचा बिल्कुल अलग होती है। बच्चों की त्वचा की सबसे निचली परत को पूरी तरह विकसित होने में 10 साल का समय लगता है। वहीं, उनके तेल स्रावित करने वाली ग्रंथियां भी इस उम्र में पूरी तरह से सक्रिय नहीं होती हैं।

क्रैडल कैप
नवजात बच्चों में क्रैडल कैप होता ही है। इसके अंतर्गत सिर की त्वचा भी सूखी सी नजर आती है, जो रूसी जैसी दिखती है लेकिन होती नहीं है। यह तुरंत ठीक नहीं होती है, इसे ठीक होने में कई महीने लग जाते हैं। जब तेल निकालने वाली सेबेसियस ग्लैंड्स बहुत अधिक मात्रा में तेल का स्राव करती हैं तो यह पहले तैलीय पैच बन जाता है और बाद में सूख कर पपड़ी की तरह उडऩे लगता है। इसे ठीक करने का सबसे सुरक्षित तरीका है अपने बच्चे के बालों को हल्के शैम्पू से धोना। शैम्पू करने से पहले मुलायम बेबी ब्रश को उसके सिर पर फेरिए ताकि वे फ्लेक्स निकल जाएं। नहाने के तुरंत बाद अपनी उंगलियों से उसके सिर की मालिश करें या चाहें तो मुलायम सूती कपड़े से भी ऐसा कर सकती हैं। यह धीरेधीरे स्वयं ही ठीक हो जाता है।

नाखून
नवजात के नाखून तेजी से बढ़ते हैं और नुकीले भी होते हैं। चूंकि उसे अपने नाखूनों पर नियंत्रण नहीं होता तो वह आसानी से खुद को नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार माता-पिता अपने दांत से नवजात के नाखून काटते हैं, जो बेहद खतरनाक है। बेहतर है कि आप उसके लिए अलग से नेल क्लिपर खरीदें, जो रंग-बिरंगा और छोटे साइज का हो। नींद में या वह जब किसी की गोद में बैठा हो तो आप हाथ पकड़ कर उसके नाखून काट सकती हैं।

गर्भनाल
बच्चे की नाल आपकी और बच्चे की नाभि से जुड़ी रहती है। इसका साफ और सूखा होना बहुत जरूरी है वरना यह इंफेक्शन का कारण बन सकती है। यह स्वयं ही 20 दिनों के अंदर गिर जाती है। ऐसे में नवजात को डायपर पहनाते समय ध्यान देना जरूरी हो जाता है। नाल को डायपर में बंद करने से बेहतर है कि उसे बाहर ही रहने दें ताकि वह सूखी रहे और पेशाब के संपर्क में न आए। जब तक नाल गिर नहीं जाती, उसे डायपर पहनाने से परहेज करें। नहलाते समय भी उसे स्पंज बाथ दें। नाल के लिए यदि डॉक्टर कोई दवा देता है तो उसे लगाना बिल्कुल न भूलें। यदि आपने इस समय अपने लाडले के नाल की
देखभाल सही तरीके से नहीं की तो सूजन, लालिमा, पस और बुखार आने की आशंका रहती है।

अंदरूनी अंग
यदि आपका बेटा है तो उसके निजी अंगों को छूने की कोशिश न करें। यहां बाहरी ओर ही सफाई करें, जैसा कि आप शरीर के अन्य हिस्सों की करती हैं। यदि यहां आपको सूजन दिख रही हो तो खुद ही कुछ करने की बजाय डॉक्टर से बात करें। इस जगह को गीले और साफ मुलायम कपड़े से धीरे-धीरे पोंछें। मुड़े हुए हिस्सों और त्वचा के क्रीज पर भी ध्यान से सफाई करें।

एक्ने
नवजात में एक्ने होना बेहद आम है। यह लाल या सफेद रंग का हो सकता है। यह अमूमन गाल, माथे, ठुड्डी और पीठ पर दिखता है। इसे ब्लेमिशेज कहना अधिक उचित होगा। सफेद रंग के छोटे दानों को मिलिया कहते हैं, जो कुछ ही सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है। इनका एक्ने से कोई संबंध नहीं है। यदि यह ठीक नहीं हो रहा हो तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। एक्ने को कभी भी रगड़ें नहीं। यहां ऑयली लोशन लगाने से भी बचें। यह एक्ने की स्थिति को ज्यादा खराब कर देता है। अपने नन्हे के चेहरे को माइल्ड बेबी सोप से साफ करके थपथपाकर सुखाएं। ऐसा दिन में एक बार ही करें।

दाग-धब्बे
बच्चे को किसी भी तरह के फंगल इन्फेक्शन से बचाए रखने के लिए उसके चिकित्सक से सलाह लें। अगर बच्चे के चेहरे या फिर शरीर में कोई मसा या तिल का निशान हो, तो उसके साथ छेड़छाड़ ना करें। इनमें कुछ ऐसे निशान होते हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ खुद ही खत्म हो जाते हैं, लेकिन छेड़छाड़ करने पर यह निशान दाग बन जाते हैं। बच्चों की त्वचा इतनी नाजुक होती है, कि कीड़े या मच्छर के काटने पर तुरंत सूजन हो जाती है। इसलिए, उन्हें हमेशा मच्छरदानी के अंदर सुलाएं और बाजार में उपलब्ध मच्छर भगाने वाली बिजली की मशीनों का इस्तेमाल करने से परहेज करें, क्योंकि इससे बच्चों को नुकसान पहुंचता है।

एग्जीमा
यह बच्चे के गाल और सिर पर देखने को मिलता है। लेकिन बाजू, पैर, छाती और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है। कई बार बच्चे की कुहनी, घुटने के पीछे, कलाई और टखने में भी दिख जाता है। नन्हे को बहुत गर्म पानी में नहलाने से बचें क्योंकि गर्म पानी त्वचा को रूखी कर देता है। हल्का साबुन या सोप फ्री क्लींजर का ही प्रयोग करें। मुलायम तौलिए से ही उसकी त्वचा को सुखाएं। नम त्वचा पर ही डॉक्टर द्वारा दिया गया लोशन लगाएं। अधिक कपड़े पहनाकर उसे गरमी का अहसास न करवाएं।