लाडले की त्वचा

बच्चे जितने नाजुक होते हैं, उनकी त्वचा भी उतनी ही कोमल होती है। इसलिए नन्हे की त्वचा बहुत जल्द एलर्जी का शिकार होती है। उनकी मालिश ऐसे तेल से करें, जो उनकी त्वचा के मुताबिक हो। आपका डॉक्टर जिस तेल की सलाह दे, उसी तेल से मालिश करें। बड़ों के मुकाबले बच्चों की त्वचा बिल्कुल अलग होती है। बच्चों की त्वचा की सबसे निचली परत को तो पूरी तरह विकसित होने में 10 साल का समय लगता है। वहीं, उनके ऑयल सीक्रेटिंग ग्लैंड्स भी तब तक पूरी तरह से एक्टिव नहीं होते हैं।

क्रैडल कैप

नवजात बच्चों में क्रैडल कैप होता ही है। इसके अंतर्गत स्कैल्प में ड्राई स्किन सी नजर आती है, जो डैंड्रफ जैसी दिखती है लेकिन होती नहीं है। यह तुरंत नहीं ठीक होती है, इसे ठीक होने में कई महीने लग जाते हैं। जब तेल निकालने वाले सेबेसियस ग्लैंड्स बहुत अधिक मात्रा में तेल का निर्मार करते हैं तो यह पहले तैलीय पैच बन जाता है और बाद में ड्राई होकर फलेक्स की तरह उड़ने भी लगता है। इसे ठीक करने का सबसे सुरक्षित तरीका है अपने बच्चेे के बाल को माइल्ड शैम्पू से धोना। शैम्पू साफ करने से पहले मुलायम बेबी ब्राश को उसके सिर पर फेरिए ताकि वे फ्लेक्स निकल जाएं। नहाने के तुरंत बाद अपनी उंगलियों से उसके सिर की मालिश करें या चाहें तो मुलायम सूती कपड़े से भी ऐसा कर सकती हैं। यह धीरे- धीरे स्वयं ही ठीक हो जाता है।

नाखून

नवजात के नाखून तेजी से बड़े होते हैं और नुकीले भी होते हैं। चूंकि उसे अपने नाखूनों पर कंट्रोल नहीं होता तो वह आसानी से खुद को नुकसान पहुंचा सकता है। कई पैरेंट्स अपने दांत से नवजात के नाखून काटते हैं, जो बेहद खतरनाक है। बेहतर तो यह है कि आप उसके लिए अलग से नेल क्लिपर खरीदें, जो रंग- बिरंगा और छोटे साइज का हो। नींद में या वह जब किसी की गोद में बैठा हो तो आप उसके नाखून काट सकती हैं।

अम्बाइलिकल कॉर्ड स्टम्प

नाल आपके बच्चे की नाभि से जुड़ी रहती है। इसका साफ और सूखा होना बहुत जरूरी है वरना यह इंफेक्शन का कारण बन सकती है। यह स्वयं ही 20 दिनों के अंदर गिर जाती है। ऐसे में नवजात को डायपर पहनाते समय ध्यान देना जरूरी हो जाता है। नाल को हायपर में बंद करने से बेहतर है कि उसे बाहर ही रहने दें ताकि वह सूखी रहे और पेशाब के संपर्क में न आए। जब तक नाल गिर नहीं जाती, उसे रॉम्पर पहनाने से परहेज करें। नहलाते समय भी उसे स्पंज बाथ दें। नाल के लिए यदि डॉक्टर कोई दवा देता है तो उसे लगाना बिल्कुल न भूलें। यदि आपने इस समय अपने लाडले के नाल की देखभाल सही तरीके से नहीं की तो सूजन, लालिमा, पस और बुखार आने की आशंका रहती है।

अंदरुनी अंग

यदि आपका बेटा है तो उसके निजी अंगों को छूने की कोशिश न करें। यहां बाहरी ओर ही सफाई करें, जैसा कि आप शरीर के अन्य हिस्सों की करती हैं। यदि यहां आपको  सूजन दिख रही हो तो खुद ही कुछ करने की बजाय डॉक्टर से बात करें। इस जगह को गीले और साफ मुलायम कपड़े से धीरे- धीरे पोंछें। मुड़े हुए हिस्सों और त्वचा के क्रीज पर भी ध्यान से सफाई करें।

एक्ने

नवजात में एक्ने होना बेहद आम है। यह लाल या सफेद रंग का हो सकता है। यह अमूमन गाल, माथे, ठुड्डी और पीठ पर दिखता है। इसे ब्लेमिशेज कहना अधिक उचित होगा। सफेद रंग के छोटे दानों को मिलिया कहते हैं, जो कुछ ही सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है। इनका एक्ने से कोई संबंध नहीं है। यदि नहीं ठीक हो रहा हो तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। एक्ने को कभी भी रगड़ें नहीं। यहां ऑयली लोशन लगाने से बचें। यह एक्ने की स्थिति ज्यादा खराब कर देता है। अपने नन्हे के चेहरे को माइल्ड बेबी सोप से साफ करके थपथपाकर सुखाएं। ऐसा दिन में एक बार ही करें।

दाग- धब्बा

बच्चे को किसी भी तरह के फंगल इन्फेकशन से बचाए रखने उसके पेडियाट्रिशियन से सलाह लें। अगर बच्चे के चेहरे या फिर शरीर में कोई मासा या तिल का निशान हो, तो उसके साथ छेड़छाड़ ना करें। इनमें कुछ ऐसे निशान होते हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ खुद ही खत्म हो जाते हैं, लेकिन छेड़छाड़ करने पर यह निशान दाग बन जाते हैं। बच्चों की त्वचा इतनी नाजुक होती है, कि कीड़े या मच्छर के काटने पर तुरंत वहां सूजन हो जाती है। इसलिए, उन्हें हमेशा मच्छरदानी के अंदर सुलाएं और बाजार में उपलब्ध मच्छर भगाने वाले इलेक्ट्रिक मशीनों का इस्तेमाल करने से परहेज करें, क्योंकि इससे बच्चों को नुकसान पहंुचने की आशंका रहती है।

एग्जीमा

गाल और स्कैल्प पर यह अमूमन देखने को मिलता है। लेकिन बाजू, पैर, छाती और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है। बच्चे की कुहनी, घुटने के पीछे, कलाई और टखने में भी दिख जाता है। नन्हे को बहुत गर्म पानी में नहलाने से बचें क्योंकि गर्म पानी त्वचा को रुखी कर देती है। माइल्ड साबुन या सोप फ्री क्लींजर का ही प्रयोग करें। मुलायम तौलिए से ही उसकी त्वचा को सुखाएं। नम त्वचा में ही डॉक्टर द्वारा दिया गया लोशन लगाएं। अधिक कपड़े पहनाकर उसे गरमी का अहसास न करवाएं।
(पेडियाट्रिशियन डॉ. अविनाश भोरे से बातचीत पर आधारित)

अपनी त्वचा

मां को स्वयं के लिए समय मिलता ही कहां है। बच्चे छोटे हों तो और ज्यादा, खुद के लिए समय निकालने की तो बात दिमाज में आती ही नहीं है। बस नींद पूरी हो जाए, यही काफी है। जब नींद ही पूरी न हो रही हो तो त्वचा की देखभाल का सवाल ही कहां से उठता है। हर समय उनींदा सा चेहरा लेकर घूमती रहती हैं, चेहरे पर कालापन सा आ गया है। आईने में एकाध बार खुद को देखा तो शक्ल किसी और की दिखती है। ऐसे में मॉयश्चराइजर कौन सा लगाएं, यह भला दिमाग में आता ही कहां है। लेकिन अब आप थोड़ा सजग हो जाइए और अपने खूबसूरत चेहरे को भविष्य में भी खूबसूरत देखने के लिए अभी से लग जाइए।

स्ट्रेच माक्र्स

ये कभी पूरी तरह से नहीं जाएंगे लेकिन हल्के जरूर पड़ जाएंगे। शुरुआत में गुलाबी, लाल- भूरे रंग के स्ट्रेच माक्र्स हटाने के लिए बाजार में कई क्रीम उपलब्ध है लेकिन किसी के बारे में सौ फीसद नहीं कहा जा सकता कि ये इस दाग को हटा देंगे। एलोवेरा को लगाने से भी फायदा होता है, इसका कोई नुकसान भी नहीं है। लेजर थेरेपी भी आप करवा सकती हैं।

त्वचा की बनाएं रुटीन

अपने लाडले के लिए तो दिन- रात एक कर देती हैं, कभी अपने लिए भी कुछ कर लीजिए। त्वचा की देखभाल का मतलब सिर्फ खूबसूरती से नहीं है। रोजाना नहाने के बाद सनस्क्रीन जरूर लगाएं, भले ही कहीं बाहर न जाना हो। बालकोनी में भी जाती हैं तो सूरज की तेज किरणें चेहरे पर लगती ही हैं। सनस्क्रीन स्किन कैंसर से भी बचाव करता है। बच्चे के बैग या उसके सामान के पास सनस्क्रीन रखिए। उसे क्रीम लगाने के लिए जब हाथ आगे बढ़ाती हैं तो साथ में सनस्क्रीन भी उठा लीजिए। चाहें तो फोन पर रिमाइन्डर लगाएं। रात को सोते समय नाइट क्रीम लगाना न भूलें।

बेसिक ही जरूरी

कॉम्प्लिकेटेड स्किन केयर रुटीन को छोड़ दीजिए। एक अच्छे से फेसवॉश, मॉयश्चराइजर और सनस्क्रीन का ही प्रयोग काफी है। चाहें तो कभी- कभार बेबी लोशन ही लगा लें। यदि एजिंग से बचना है तो रात में रेटिनोल वाले मॉयश्चराइजर का प्रयोग करें। एग्जीमा या एक्ने है तो डर्मेटोलॉजिस्ट से बात करके सही सुझाव का पालन करें। किसी भी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से बचें। अभी आपमें हार्मोनल बदलाव हो रहे हैं। डर्मेटोलॉजिस्ट से बात करके सही फेस लोशन का चुनाव करें, जो चेहरे पर दाग- धब्बे को आने से रोके।

नैचुरल ही अपनाएं

बिना लेबल पढ़े कोई भी प्रोडक्ट न खरीदें। बेहतर तो होगा कि इस समय आप ऑर्गेनिक, खादी, नन- टॉक्सिक प्रोडक्ट्स का प्रयोग करें। यदि आपके हाथ पर लगे केमिकल वाले मॉयश्चराइजर आपके नन्हे के मुंह में चला गया तो सोचिए क्या होगा! इसलिए नैचुरल चीजों का ही प्रयोग करें।

किचन की खूबसूरती

खाना बनाते समय कभी टमाटर को ही मुंह पर मल लें। थोड़ा सा मुंह के अंदर डालकर खा भी लें। टमाटर बेहतरीन एंटी- ऑक्सिडेंट है, जो त्वचा की खूबसूरती को बढ़ाता है और गंदगी को दूर करता है। इसी तरह कभी दाल की पकौडि़यां बना रही हों तो उसे पीसी दाल को चेहरे के साथ हाथ- पैरों पर मल लें। यदि प्रेगनेंसी के दौरान चेहरे पर एक्ने हो गए हों या दाग- धब्बे पड़ गए हैं तो दही में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर चेहरे के साथ ही हाथों पर लगा लें। त्वचा निखर उठेगी।

(डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. पल्लवी अहिरे से बातचीत पर आधारित)