माँ बनना किसी भी विवाहिता के लिए सबसे बड़ी खुशी होती है। आजकल तो कामकाजी महिलाओं को मातृत्व अवकाश और उनके पतियों को पितृत्व अवकाश की सुविधा भी मिलने लगी है। जब आप मातृत्व अवकाश का लाभ उठाने के बाद वापस काम पर लौटती है तो कुछ बातों पर ध्यान रखना जरूरी हैए क्योकि पहले और अब की स्थिति में अंतर है।
कई महिलाएं प्रसव होने के बाद वापस काम पर जाने का विचार त्याग देती है। उनकी सोच होती है कि अभी बच्चा छोटा हैए इसलिए उसे मां की जरूरत होगी। अतः जब वह थोड़ा बड़ा हो जाएगा , तब नए सिरे से जाॅब करेगी। लेकिन उनका यह निर्णय सही नहीं है। क्योंकि इससे उनका कैरियर दांव पर लग जाता है। वे अपने कॅरियर में पिछड़ जाती है और क्या गारंटी है कि जब वे चाहें तब उन्हंे कोई नया जाॅब मिल ही जाए। एक बार नौकरी छूटी तो फिर छुटी। अतः इसका जोखिम न लें अपितु मातृत्व अवकाश के बाद पुनः काम पर जाने की मानसिकता बनाएं।
जब तक आप मात्त्व अवकाश में रहती हैंए आॅफिस के तनाव से दूर रहती हैं। इसलिए अपना पूरा ध्यान अपनी तथा शिशु की सेहत पर केन्द्रित करती हैंए लेकिन जैसे ही अवकाश खत्म होता हैए आपको अपने काम पर लौटना होता है। इसका अर्थ यह है कि अपने कार्यस्थल से जुड़ी समस्याओं और तनावों को झेलने का सिलसिला पुनः शुरू होने को है। इसका अपने शिशु की जरूरतों और सेहत पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेए इसका ध्यान आपको रखना ही चाहिए।
जब तक शिशु सालभर का नहीं हो जाताए उसे अपनी मां की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। वह उसे हर पल अपनी नजरों के सामने देखना चाहता है। तथा उसका स्पर्शए प्यारए दुलार चाहता है। लेकिन आपकी मजबूरी है कि आपको काम पर जाना है। इसलिए आॅफिस जाने से पूर्व तथा वहां से लौटने के बाद अधिकतम समय अपने बच्चे के साथ बिताएं।
बच्चे को छह माह तक केवल मां के दूध की ही जरूरत होती है। इसी से उसका पोषण होता है। यहां तक कि उसे अतिरिक्त रूप से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती। मातृत्व अवकाश की अपनी एक सीमा हैए उससे अधिक आप नहीं ले सकती। अतः इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जब आप काम पर जाएंगी तो शिशु के स्तनपान का क्या होगाघ् उसकी पोषण संबंधी जरूरतें कैसे पूरी होंगी। बोतल को बाजारू दूध उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं। ऐसे में उसे अपना दूध पिलाने हेतु या तो बीच.बीच में उसे अपने कार्यस्थल पर बुलाने की व्यवस्था करें। या फिर अपना दूध निकालकर फ्रीज में रख दें ताकि घर का कोई सदस्य पीछे से उसे कटोरी.चम्मच से पिला सके।
शिशु बड़े एबले होते हैं। रात को जब आपको नींद आने लगती हैंए उनकी नींद पूरी हो जाती है और वे उठ जाते हैं या रोना.धोना मचाते हैं या फिर वे चाहते हैं कि आप उनके साथ खेलेंए बतियाएं ।जाहिर है इससे आपकी नींद में खलल पड़ती है और आप ठीक से सो नहीं पाती है। इसका असर आपकी कार्यक्षमता और आॅफिस में आपके परफाॅमेंस पर पड़ता है। पर इस स्थिति को स्वीकार करना ही होगा।
मातृत्व अवकाश के बाद जब आप काम पर वापस लौटती हैंए तब भी आपका शरीर सामान्य अवस्था में आया नहीं होता है यानी शरीर में कमजोरीए थकान बनी रहती हैं । इसलिए अपने खानपान और सेहत पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है। कहीं ऐसा न हो बच्चे और आॅफिस के चक्कर में आप अपने आपको ही नजरअंदाज की न कर दें। अच्छा होगा कि पोषक तत्वों से युक्त भोजन लें। अपने शरीर की मालिश कराती रहें।
यदि आपके साथ पेरेंट्स नहीं रहते हैं तो यह समस्या अवश्य हो सकती है कि जब आप काम पर जाएंगी तो बच्चे की देखभाल कौन करेगाघ् यदि संभव हो तो अपनी मां या सास को बुलवा लें। कुछ महीनों की बात है। जैसे ही बच्चा बड़ा होगा सब कुछ ठीक हो जाएगा। यदि यह संभव न हो तो किसी आया को रख लें जो आपके पीछे से बच्चे की देखभाल करेगी। यदि क्रेच की सुविधा हो तो वैसा कर सकती है।
माना कि बच्चा होने के पूर्व आप घर के सारे काम करती थीं लेकिन अब बच्चे की वजह से आपको फुर्सत ही नहीं मिलती। जितने समय आप घर पर होती हैंए वह आपको छोड़ता नहीं है। इसलिए घरेलू काम में पति अथवा घर के अन्य सदस्यों का सहयोग लेने में संकोच न करें। वे आपकी मजबूरी समझते हैंए अतः सहयोग करने में कौताही नहीं बरतेंगे।
जब आप आॅफिस में होती हैं तो केवल अपने काम के बारे में ही सोचें। घर.बच्चे आदि का तनाव कार्यस्थल पर न पालें। इसी प्रकार जब आप घर में अपने बच्चे के साथ होती हैं तो अपनी दुनिया अपने परिवार तक ही सीमित रखें। इस दौरान आॅफिस का तनाव न पालें। इससे आप किसी प्रकार की दुविधा में नहीं होगी।
पहले आप पर घर परिवार और आॅफिस की दोहरी जिम्मेदारी थी लेकिन अब बच्चा होने के बाद यह जिम्मेदारी तिहरी हो गई है। इसे एक चुनौती के रूप में लें। धैर्य से काम लें तो सभी मुश्किलें आसान हो जाएंगी।
कमकाजी महिलाओं के समक्ष एक खास समस्या यह आती है कि वे अपने छोटे बच्चेए खासतौर पर स्तनपान करने वाले बच्चों की देखरेख कैसे करें। मातृत्व अवकाश की भी एक सीमा होती है। उसके बाद शिशु की देखभाल करने हेतु उन्हें घर पर आया रखनी होती है या फिर उन्हें किसी क्रेच में छोड़कर आना पड़ता है और आॅफिस से छूटने के बाद ही वे अपने बच्चे से मिल पाती है। लेकिन अब कामकाजी महिलाएं अपने बच्चे को आॅफिस ला सकेंगी। और जितने समय वे आॅफिस में काम करेंगी उतने समय बच्चा वहां स्थित क्रेच में रहेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इस दौरान न केवल वे अपने शिशु को फीड करा सकेंगी अपितु उसे देख भी सकेंगी।
