‘‘मेरा होम प्रेगनेंसी टेस्ट पाॅजिस्टिव आया है। मुझे डाॅक्टर से पहली मुलाकात कब करनी चाहिए।

किसी भी स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए आवश्यक है कि प्रसव से पहले डाॅक्टर की देखभाल और राय मिलती रहे। होम प्रेगनेंसी टेस्ट के पाॅजिटिव आते ही डाॅक्टर के पास जाने में देर न करें। हालांकि कई चिकित्सालय ऐसे हैं, जहां आपको जाते ही जांच के बाद सावधानियां बता दी जाती हैं, लेकिन कई डाक्टर चाहते हैं कि गर्भावस्था आरंभ होने के 7-8 सप्ताह बाद ही जांच शुरू करें। कई जगह गर्भावस्था की जांच के लिए पहली भेंट की उम्मीद की जाती है। यदि आपके डाक्टर ने अभी मुलाकात का समय नहीं दिया है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी व शिशु को देखभाल का काम शुरू नहीं करेंगी। अपनी पाॅजिटिव जांच का पता लगते ही, अपने आपको एक गर्भवती मानना शुरू कर दें। शायद आप जानती ही हैं कि आपको शराब व सिगरेट छोड़ना ही होगा। प्रोटीन का आहार लेना होगा-वगैरह-वगैरह यदि पे्रगनेंसी बनाना चाहती है तो डाॅक्टर को फोन करने में संकोच न करें। वहां आपसे एक प्रश्नोत्तरी भरवाने के बाद पोषक आहार व सुरक्षित दवाओं की सूची बना दी जाती है व आपसे उसी प्रेगनेंसी कार्यक्रम के हिसाब से चलने को कहा जाता है।

यदि आपको मुलाकात का समय नहीं मिल रहा था आप पिछले गर्भपात या मेडिकल हिस्ट््री की वजह से डरने के कारण खतरा महसूस कर रही हैं, तो उनसे पूछकर देखें कि क्या आप पहले जांच करवाने जा सकती हैं।

आपकी प्रसव की तिथि
‘‘मेरे डाॅक्टर ने प्रसव की तिथि बता दी हैं लेकिन यह कितनी सही है?”
अगर हम यह निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि आपका शिशु, डाॅक्टर की बताई तारीख पर ही होगा तो यह दुनिया कितनी आसान होती लेकिन ऐसा है नहीं। अधिकतर अध्ययनों से यही पता चला है कि 20 में से 1 शिशु ही डाॅक्टर द्वारा दी गई ‘डयू डेट’ पर जन्म लेता है। पूरा वास्तविक गर्भकाल 38 से 42 सप्ताह का हो सकता है। अधिकतर शिशु उस तारीख के दो सप्ताह के आसपास शिशु उस तारीख के दो सप्ताह के आसपास ही जन्म लेते हैं इसलिए माता-पिता के पास अनुमान के सिवा कोई चारा नहीं बचता।

इसे ई. डी.डी. (प्रसव की अनुमानित तिथि) कहते हैं। आपको जो तिथि दी जाती है, वह सिर्फ एक अंदाजा है। इसे इस तरह निकालते हैं-अपने पिछले मासिक चक्र के पहले दिन में से तीन महीने घटा दें और उसमें 7 दिन जोड़ दें। मिसाल के लिए – आपके पिछले पीरियड 11 अप्रैल को शुरू हुए थे। पिछले तीन महीने गिनेंगी तो आप जनवरी तक आ जाएंगी। इसमें 7 दिन जोड़ दें, आपकी प्रसव की तिथि होगी 18 जनवरी’।

यह तरीका वहां काम आता है जहां महिलाओं का मासिक चक्र नियमित होता है लेकिन अगर आपका चक्र अनियमित है, तो यह तरीका काम नहीं आएगा। मान लें कि हर 6 से 7 सप्ताह में आपके पीरियड नहीं हुए। तीन महीनों में आपको एक बार पीरियड नहीं हुए। जांच से पता चलता है कि आपको गर्भ ठहर गया है। फिर आपने गर्भधारण कब किया। एक विश्वसनीय ई.डी.डी का होना जरूरी है इसलिए आप व आपके डा0 इसका पता लगाना चाहेंगे। हालांकि बिल्कुल सही तारीख तो नहीं पता लगेगी, लेकिन कुछ सूत्रों व संकेतों से मदद ली जा सकती है।
पहला संकेत है, आपके गर्भाशय का आकार, आपकी भीतरी जांच के दौरान इसे भी जांचा जाएगा। इससे आपकी गर्भावस्था का कुछ अंदाजा हो जाना चाहिए। एक अल्ट््रासाउंड जो तिथि का काफी सही अनुमान दे देगा। वैसे सब महिलाओं का इतनी जल्दी अल्ट््रासाउंड नही ंहोता। कुछ डाॅक्टर नियमित रूप से इसे करते हैं तो कुछ डाॅक्टर तभी करना पसंद करते हैं जब आपके पीरियड अनियमित हों गर्भपात का इतिहास रहा हो या आपकी संभावित प्रसव तिथि का पता न चल पा रहा हो। इसके अलावा और भी कई बातों से तारीख का पता लगा सकते हैं। 9 से 12 सप्ताह में एक डाॅक्टर की मदद से दिल की धड़कन सुन सकते हैं। 16 से 22 सप्ताह में जीवन की पहली आहट को महसूस कर सकते हैं या भ्रूण की लंबाई या स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। यह करीब 20 वे ंसप्ताह में नाभि तक पहुंच जाएगी। ये सूत्र सहायक होेने के बावजूद पक्के नहीं माने जा सकते । सिर्फ शिशु ही जानता है कि वह कब जन्म लेगा और वह आपको बताने नहीं आ रहा।

डाॅक्टर का चुनाव
हालांकि हम सब जानते हैं कि मम्मी-पापा एक शिशु को इस धरती पर लाते हैं लेकिन शायद एक व्यक्ति और भी है, जिसके बिना यह काम काफी मुश्किल हो सकता है। वही तो नन्हे शिशु को सकुशल धरती पर लाता है। जी हां! हम डॅाक्टर की बात कर रहे हैं। वैसे तो आप व आपका साथी गर्भधारण करने के बाद वाली सावधानियों का पालन कर ही रहे हैं, लेकिन अब आपको अपने लिए डाॅक्टर का चुनाव काफी सोच-समझ कर करना होगा क्योंकि अपने उसी डाॅक्टर मदद से अपना प्रसव काल बिताना है।