आज की जेनरेशन काफी तेज है। स्मार्ट है। पलक झपकते ही अपने स्मार्टफोन पर कुछ भी सर्च कर लेते हैं। सॄचग इंजन सही है, तो गलत भी। बच्चे क्या देखें, क्या नहीं? किशोर मन यह तय नहीं कर पाता है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है कि उनके बच्चे जो देख सुन रहे हैं, वह सही है? उनके विकास में बाधक तो नहीं है? इंटरनेट की दुनिया असीमित है। ऐसे में लिमिट तो आपको तय करनी है।
अपने बच्चों की खातिर। साइबर बुलिंग, इंटरनेट गेम्स को लेकर चौकन्ना रहना होगा। साइबर बुलिंग तो थोड़ा पुराना है, लेकिन इंटरनेट पर जिस तरह से ब्लू व्हेल गेम्स ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है, उससे हर माता-पिता को पहले से अधिक सजग रहना होगा।
 
साइबर बुलिंग
जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रचार प्रसार तेजी से होता जा रहा है, साइबर बुलिंग की समस्या बढ़ती जा रही है। ‘साइबर बुलिंग, यानी गंदी भाषा, तस्वीरों या धमकियों से इंटरनेट पर तंग करना। खासकर लड़कियों को अक्सर इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। इसलिए पैरेंटस के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों को साइबर बुलिंग से बचाएं। साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि ऐसे कमेंट्स के आने पर पुलिस को जानकारी दी जानी चाहिए। ऐसे कई मामले हैं जहां लोग पुलिस के पास गए हैं और शिकायत दर्ज की गई है। फेसबुक पर ‘रिपोर्ट एब्यूज पर रिपोर्ट किया जा सकता है, लेकिन मामला अत्यंत गंभीर हो तो पुलिस के पास जाना चाहिए। उनका कहना है कि साइबर बुलिंग से  आज की जेनरेशन काफी तेज है। स्मार्ट है। पलक झपकते ही अपने स्मार्टफोन पर कुछ भी सर्च कर लेते हैं। सर्चिंग इंजन सही है, तो गलत भी। बच्चे क्या देखें, क्या नहीं? किशोर मन यह तय नहीं कर पाता है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है कि उनके बच्चे जो देख सुन रहे हैं, वह सही है? उनके विकास में बाधक तो नहीं है? इंटरनेट की दुनिया असीमित है। ऐसे में लिमिट तो आपको तय करनी है। अपने बच्चों की खातिर। साइबर बुलिंग, इंटरनेट गेम्स को लेकर चौकन्ना रहना होगा। साइबर बुलिंग तो थोड़ा पुराना है, लेकिन इंटरनेट पर जिस तरह से ब्लू व्हेल गेम्स ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है, उससे हर माता-पिता को पहले से अधिक सजग रहना होगा।

 
 

 

 
साइबर बुलिंग
जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रचार प्रसार तेजी से होता जा रहा है, साइबर बुलिंग की समस्या बढ़ती जा रही है। ‘साइबर बुलिंग, यानी गंदी भाषा, तस्वीरों या धमकियों से इंटरनेट पर तंग करना। खासकर लड़कियों को अक्सर इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। इसलिए पैरेंटस के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों को साइबर बुलिंग से बचाएं। साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि ऐसे कमेंट्स के आने पर पुलिस को जानकारी दी जानी चाहिए। ऐसे कई मामले हैं जहां लोग पुलिस के पास गए हैं और शिकायत दर्ज की गई है। फेसबुक पर ‘रिपोर्ट एब्यूज पर रिपोर्ट किया जा सकता है, लेकिन मामला अत्यंत गंभीर हो तो पुलिस के पास जाना चाहिए। उनका कहना है कि साइबर बुलिंग से निपटने के दो विकल्प हैं। कानून की मदद से और निजी स्तर पर। पहला, अगर किसी फोरम पर कोई आपको तंग कर रहा है, तो उस फोरम से निकल जाइए। दूसरा, अगर फिर भी आपको तंग किया जाए तो फेसबुक को रिपोर्ट करें। हालांकि फेसबुक इस पर कोई खास एक्शन नहीं लेता। अगर धमकी मिले जैसा कि कविता कृष्णन और मीना कंडासामी को मिली, तो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए। अगर पुलिस एक्शन न ले तो सीधे वकील के जरिए केस दायर किया जा सकता है।
 
सोशल मीडिया
वर्तमान में सोशल मीडिया का बोलबाला है, लेकिन इसके इस्तेमाल के कुछ नुकसान भी होते हैं। कई बार आप सोशल मीडिया पर लोगों के तानों और उपहास (बुलिंग) का शिकार हो जाते हैं। हालांकि कुछ सावधानियों, जैसे सोशल साइट्स का सही इस्तेमाल और दोस्ती के लिए सही लोगों का चयन आदि को अपनाकर साइबर बुलिंग से बचा जा सकता है। बच्चों को समझाएं कि ऐसे लोगों के संपर्क में आने से परहेज करें, जो लोगों का उपहास करने की आदत रखते हों। आपको बच्चों को बताना होगा कि यदि सोशल साइटस पर पुराना परिचित भी ऑनलाइन मिले तो उससे संपर्क साधने से बचने की ही कोशिश करें। इस तरह के लोगों की गोसिप में भी न फसें। यदि आपके दोस्त किसी सोशल साइट पर किसी के बारे में गोसिप कर रहे हों, तो उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने से बचें। सोशल साइट्स, जैसे फेसबुक आदि पर अपने विश्वासपात्र लोगों जैसे, परिवार, दोस्त व रिश्तेदारों के ग्रुप में ही रहें, जिन पर आप पूरी तरह विश्वास कर सकते हों। इस तरह से आप अनजान और बुली करने वाले लोगों से बच पाएंगे।
 
इंटरनेट गेम्स
बदलते परिवेश में बच्चों के दोस्त, खेल का मैदान, पार्क, सबकुछ इंटरनेट के एक एप्लीकेशन के अंदर सिमट गया है। आउटडोर गेम्स से ज्यादा तवज्जो अब इनडोर गेम्स को नहीं बल्कि इंटरनेट गेम्स को मिलने लगी है। बीते दिनों एक 16 साल का स्कूली बच्चा इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन का शिकार हो गया। इलाज के लिए उसे नई दिल्ली के बीएलके अस्पताल लाया गया।
बीएलके हॉस्पिटल के साईकोलॉजिस्ट डॉ. मनीष जैन ने पाया कि बच्चा रोजाना 8-8 घंटे इंटरनेट पर ऑनलाइन गेम्स खेलता है। जिसकी वजह से उसने खाना-पीना लगभग छोड़ दिया। उसका वजन भी 10 किलो कम हो गया। गेमिंग एडिक्शन की वजह से बच्चे ने स्कूल जाना तक छोड़ दिया। दोस्तों के साथ बाहर खेलना-कूदना बंद कर दिया। अपने माता-पिता से बुरा बर्ताव करने लगा। हालात तब बुरे हो गए, जब इंटरनेट नहीं चलने की वजह से वो चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो गया। डॉक्टर के मुताबिक, इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन का यह मामला बेहद गंभीर था। इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन की गिरफ्त में जाना आसान है लेकिन उससे बाहर निकलना काफी मुश्किल है। एक्सपर्ट के मुताबिक इंटरनेट पर गेम खेलने की लत बच्चों को ना सिर्फ शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार करती है, बल्कि यह बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए एक बड़ा खतरा है।
 
मॉनिटरिंग करनी होगी
इस मुद्दे पर जब दूरदर्शन की महानिदेशक सुप्रिया साहू से बात की, तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि हर माता-पिता को यह ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे किताबी ज्ञान के साथ नैतिक शिक्षा भी लें। बच्चों टीवी पर क्या देख रहे हैं और क्या नहीं, इसकी मॉनिटरिंग करनी होगी। आज हर हाथ में स्मार्टफोन है, इसलिए माता-पिता को यह भी मॉनिटर करना होगा कि उनके टीनएजर बच्चे क्या सर्च कर रहे हैं और क्या नहीं? कितना देर वे इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं? इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं? उसके बाद बच्चों को कूल होकर हैंडल करना होगा। आज के तकनीकी युग में हम उन्हें तकनीक से तो अलग नहीं कर सकते हैं। हां, उनके लिए क्या सही है और क्या नहीं, इस पर ध्यान देते हुए उन्हें सिखाने- समझाने की जरूरत है। 
 
पैरेंट्स के लिए 9 टिप्स
  •  गोलू के साथ इंटरनेट की दुनिया में सैर करें। इसमें मजा और ताकाझांकी, दोनों रहेगी साथ-साथ।
  • आप होम मिनिस्टर हैं, तो घर में इंटरनेट इस्तेमाल के कायदे बनाएं, जैसे- इंटरनेट की अवधि, पर्सनल इंर्फोमेशन किसे शेयर करनी है, गेमिंग, चैटिंग, मेल में कैसे बिहेव करना है, कौन-सी साइटस देखनी हैं और कौन-सी नहीं आदि।
  • बच्चों को समझाएं खासतौर से वर्चुअल वल्र्ड में पर्सनल इंर्फोर्मेशन किसी से शेयर नहीं करें। याद रहे बच्चे कोमल होते हैं, उनसे मीठी-मीठी बातों के जरिए सब कुछ जाना जा सकता हैैै।
  • बच्चों को बताएं कि वर्चुअल वल्र्ड में अनजान लोगों से दोस्ती नहीं करें। यह दोस्ती आपके परिवार के लिए घातक हो सकती है।
  • स्कूल व कॉलेज के प्रोजेक्टस के लिए बच्चा इंटरनेट सर्च करता है, तो उसे बताएं कि सिर्फ एक सर्च पर भरोसा नहीं करें। उसे बताएं कि कई सर्च को खंगालने के बाद ही कुछ तय करें। याद रहे इंटरनेट पर सब सच हो, यह जरूरी नहीं।
  •  ना चाहते हुए भी ऐसा होता है कि बच्चे अडल्ट साइट को एक्सेस कर लेते हैं। कारण ऐसी सामग्री ज्यादातर साइट्स पर उपलब्ध होती है। यह आपको भी समझना होगा। हर बार बच्चे ही गलत नहीं होते।
  • आपको पोर्नोग्राफी जैसा आपत्तिजनक कंटेंट दिखे तो तुरंत सर्विस प्रोवाइडर को कम्पलेंट करें।
  • बच्चों को बताएं कि इंटरनेट की दुनिया में भी रिस्पेक्ट का साथ नहीं छोड़े। सबसे आदर से बोलें, आखिर तमीज भी कुछ चीज है।
  • बच्चों को इंटरनेट के पॉजिटिव व नेगेटिव फायदों से रूबरू कराएं। याद रहे कि आपका कुछ छिपाना बच्चों को बेचैन कर सकता है। यानी जितना छिपाएंगे, उतना वे जानने के लिए यहां-वहां भटकेंगे।

ये भी पढ़ें-

‘ध्यान रखें आपका व्यवहार बच्चे देख रहे है ”

इन 6 टिप्स से बच्चों का आलस्य करें दूर

बच्चों को बताएं बचत के फायदे, अपनाएं ये टिप्स