बच्चों की मनोविज्ञान समझें, हर बात में ना न कहें

कभी-कभी पेरेंट्स बच्चों की बातों और उनकी मांगों पर तेज आवाज में प्रतिक्रिया देते हैं। उनकी किसी भी मांग को सुनकर बिना सोचे-समझे तुरंत जोर लगाकर ‘नहीं’ कह देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आपको किसी बात पर नहीं कहना भी है तो कहने या बताने का अंदाज अलग होना चाहिए।

Parenting Tips: बच्‍चे बहुत डिमांडिंग होते हैं, हर दिन कुछ ना कुछ नई डिमांड आ जाती हैं। हालांकि, हर डिमांड को पूरा कर पाना ना ही पेरेंट्स के लिए संभव होता है और ना ही यह बच्चों के लिए सही है, लेकिन क्या हर बात पर नहीं कहना ठीक है? कभी-कभी पेरेंट्स बच्चों की बातों और उनकी मांगों पर तेज आवाज में प्रतिक्रिया देते हैं। उनकी किसी भी मांग को सुनकर बिना सोचे-समझे तुरंत जोर लगाकर ‘नहीं’ कह देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आपको किसी बात पर नहीं कहना भी है तो कहने या बताने का अंदाज अलग होना चाहिए। यह बच्चों के मन पर यह ज्यादा असरकारक होता है। जानते हैं क्यों सही नहीं है हर बात पर ना कहना-

बच्चे जिद्दी हो सकते हैं

अक्सर देखते हैं कि बच्चा कोई भी मांग करता है तो पेरेंट्स सीधे ना कह देते हैं वो फिर भी जिद करता है और रोता है या कोई और तरीका अपनाता है। कई बार माँ के ना कहने पर वो पिता से मांग पूरी करवा लेता है ऐसे में उसको लगता है में इन दूसरे तरीकों से अपनी मांग पूरी करवा सकता हूँ और वो जिद्दी बन जाता है। इसलिए पहले की छोटी चीजों को ना नहीं कहें। बच्‍चों की छोटी डिमांड जैसे कि एक बार और चॉकलेट खाना, अपना फेवरेट खिलौना लेना आदि। ऐसी छोटी-छोटी चीजों जिनसे कोई नुकसान नहीं हो सकता है, उनके लिए आप बच्‍चे को हां कह सकते हैं।

बच्चों में कुंठा हो सकती है

अगर आप हर छोटी-छोटी बातों के लिए ना कहते रहेंगे, तो ऐसे में जब दूसरे बच्चों के पेरेंट्स उन कामों के लिए हां कह देते हैं, तो बच्चों में कुंठा और हीन भावना जन्म लेने लगती है।

डर बैठ सकता है

जब आप हर बात या हर काम करने से बच्चे को रोकते हैं, तो इससे बच्चे के मन में डर बैठ सकता है और वो खुद से कुछ इनिशिएटिव लेने की कोशिश नहीं करता। इससे बच्चे की पर्सनालिटी पर विपरीत असर हो सकता है क्योंकि उनकी क्रिएटिविटी ख़त्म हो जाती है।

अगर एक बार ना कहा है तो बदलें नहीं

कभी-कभी बच्‍चा कुछ ऐसी डिमांड भी कर सकता है, जो आपको पूरा करना सही नहीं लगें। ऐसे में सोच-समझकर ना कहें और फिर ये याद रखें की किसी भी हालत में अपना फैसला बदलें नहीं।

लिमिट तय करें

अगर आपको बच्चे का कोई काम पसंद नहीं है, तो आप उसको एकदम से रोकने की जगह सीमा तय कर सकती हैं। अगर बच्‍चे को गेम खेलना है तो पहले ही बता दें कि वो कितनी देर तक खेल सकता है।

आप भी अगर बच्चों की हर बात पर ना करती हैं, तो आज ही बदल डालें अपनी ये आदत क्योंकि बच्चों को ‘हां’ कहने के कई फायदे हैं। यह माता-पिता और बच्चे के बीच विश्वास और सम्मान की नींव रखता है। यह माता-पिता के रिश्‍ते को बच्‍चे के साथ मजबूत करता है और घर के माहौल को भी सकारात्मक रखता है। इसके अलावा, बच्चे अधिक आत्मविश्वासी होते हैं, आत्म-सम्मान से भरे होते हैं।

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