पान, जिसकी सत्ता हमेशा कायम रहेगी: Paan Culture in India
Paan Culture in India

Paan Culture in India: कहते हैं हर चीज़ का कोई इतिहास होता है। जब इतिहास उस चीज़ का हो जो आपको एक बेहतरीन स्वाद देती हो तो आप जानने के लिए उत्सुक होंगे ही। ये चीज़ है पान ! जी हां पान को खाते तो सब हैं लेकिन इसके बारे में कुछ अद्भुत बातें शायद ही कोई जानता हो। पान का जादू इस तरह सिर चढ़कर बोलता है कि इसने अपने आप को सीमित नहीं रखा। जहां गया अपने दीवाने पैदा कर लिए। पान अपने आप में एक जज़्बात है।

पुराने ज़माने में पान के लिए किसी को पूछना यानी अच्छे संस्कार होना था। अब दौर नया है और इस दौर में भी पान की लोकप्रियता में ज़रा भी कमी नहीं हुई है। फिर बनारसी पान का जलवा है। वो भोजपुरी गीत ही सुन लीजिए “चलके गोदौलिया के पनवा खियायदा , ए राजा हमके बनारस घुमाए दा”। आपके मन में भी सवाल होगा ही कि आखिर पान का इतिहास है क्या, इसे भारत कौन लाया ,किन मौकों पर इसका उपयोग किया जाता था और इसकी मान्यता क्या है। 

क्या है पान का इतिहास 

Paan Culture in India
Paan history

पान की जन्म भूमि की बात करें तो ये मलाया द्वीप से संबंधित है इस क्षेत्र में म्यानमार,थाईलैंड , मलेशिया और सिंगापुर देश हैं। भारत में इसके शौक़ीन अच्छी मात्रा में हैं। यहां पान के कई नाम है जैसे संस्कृत में ताम्बूल , तेलुगु में पक्कु , मलयालम में वेटिलाई और मराठी में नागवेल। देश में पान की कई बिरादरी पाई जाती हैं जो अपना अलग महत्त्व रखती है। जैसे बंगाली , मगहि, सोफ़िया , जगन्नाथी , कपूरी और साँची आदि। हर क़िस्म की अपनी लोकप्रियता है जो अपने मोह में हमको क़ैद कर लेती है। पान के शौक़ीन हर दौर में थे फिर चाहे वो मुगलों का दौर हो या फिर अंग्रेज़ों का, भारत में पान की सत्ता आज तक बरक़रार है। ये सत्ता बरक़रार रहे भी क्यों न पान सिर्फ़ खुशबू ही नहीं बल्कि चेहरे की रंगत भी बढ़ाता है। 

प्रेम को बढ़ाता पान 

Paan Love
Paan Love

कहा जाता है कि गणिकाओं को पान खाने की सलाह दी जाती थी। कामसूत्र के अनुसार संभोग से पहले और इसके बाद में पान खाना चाहिए। नव दंपत्ति एक दूसरे को पान खिलाकर अपने प्यार का इज़हार करते थे। पहले पान इज़हार और इंकार का ज़रिया भी हुआ करता था।  सीमा आनंद द्वारा लिखी गयी किताब पान एंड द आर्ट ऑफ़ सिडक्शन में पान और सम्भोग के बारे में विस्तार से दिया गया है। इसमें उस दौर के प्रेमी और प्रेमिका के संवाद का उल्लेख है जब सन्देश का कोई माध्यम मजूद नहीं था। उस दौर में माध्यम था पान यानी अगर प्यार के इज़हार के लिए एक पान होता था, इसी तरह अगर प्रेमी और प्रेमिका मिलना चाहते हैं तो उसके लिए भी एक पान होता था। प्रेमी और प्रेमिका के बीच हर बात के लिए एक खास पान होता था। सोचिए वो दौर कैसा रहा होगा जब पान के ज़रिये अपने दिल की बात कही जाती रही होगी। 

सौंदर्य में पान 

Paan in Beauty
Paan in Beauty

पान यानी सौन्दर्य। आप इसे सौंदर्य मानें या न मानें लेकिन पान एक दौर में सौंदर्य का आधार होता था। ऐसा मानना था कि पान खाने से औरत हों या मर्द बेहद सुन्दर दिखते थे। पान से रंगे हुए सुन्दर लाल होंठ चेहरे की चमक बढ़ा देते हैं, इसमें तो कोई संदेह नहीं। पुराने ज़माने की औरतें सिंगार के बाद पान का बीड़ा चबाती थीं जिससे उनका चेहरा और निखर जाता था। आयुर्वेद की माने तो इसके पत्तों को उबाल कर इसके पानी से चेहरा धोने पर मुहांसे नहीं होते। पान के पत्तों को पीसकर इसके पेस्ट को बालों में लगाने से बाल नहीं झड़ते। मुग़ल काल में औरतें पान को अपने होठों की लाली बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती थीं। तब से पान सुंदरता की ज़रूरत बन गया।    

सिनेमा में पान 

Paan Lovers

पान की लोकप्रियता भला किससे छूटी है। फिर सिनेमा भी कैसे पीछे छूट जाए पान की प्रसिद्धि दिखाने में। पान खाने वाले किरदार एकदम मस्त आपने किसी न किसी फिल्म में ज़रूर देखे होंगे। फिल्मों में चाहे गाने हो या किरदार पान से कोई अछूता नहीं। पान को सुनकर ज़हन में गीत आता है “पान खाय सइयां हमारो, सांवली सूरतिया होठ लाल लाल”….. ये गाना तो शायद ही किसी को न याद हो। इसी तरह ज़रा डॉन फिल्म का गाना याद कीजिये “खइके पान बनारस वाला” ये दो गाने तो बहुत ही प्रसिद्ध हुए थे। न सिर्फ गाने बल्कि फिल्म के कुछ खूबसूरत दृश्य भी हैं जो पान की खूबसूरती दिखाते हैं। बंगाली शादियों में दुल्हन अपने चेहरे को पान के पत्ते से छुपा कर मंडप में आती है। 1976 की फिल्म ‘बालिका वधु’ का वो दृश्य याद कीजिये जिसमें दुल्हन पान के पत्तों से अपना मुंह छुपाती है फिर अपने पति पर शुभ दृष्टि डालती है। फिर जब वो नव दंपत्ति अपने कमरे में जाते हैं तो दुल्हन पान खाती है और पान से बहने वाला लाल रंग टपकने लगता है जिससे दुल्हन बेहद प्यारी दिखने लगती है और दोनों पान के इस टपकते रंग को देखकर खूब हँसते हैं। ऐसे ही फिल्म पड़ोसन की याद आती है जिसमें किशोर कुमार एक संगीत मास्टर बने हैं वो जिस तरह पान खाते हुए ‘एक चतुर नार बड़ी होशियार गाते हैं’ उस दृश्य का अपना मज़ा है। इसलिए कहते हैं कि पान हर क्षेत्र में निपुण है उससे सब संभव है। इस बात को पान के दीवाने ही स्वीकारेंगे क्योंकि असल में पान है क्या ये वही जानते हैं।  

पान के दीवाने 

Paan Lovers

पान के आशिक़ों की कमी नहीं है इस देश में। पान के दीवानों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। इसने बड़ी बड़ी हस्तियों को अपना कायल किया है। अब शारदा सिन्हा जी को ही याद कीजिए पान खाते हुए जब वो गाती हैं तो लगता है जैसे कान में मिश्री घुल गयी हो। इसी तरह पाकिस्तानी क़व्वाली गायक फरीद अयाज़ साहब भी पान खाते हुए कबीर और रूमी का कलाम पेश करते तो क्या ही नज़ारा होता है। सिर्फ़ गायक ही नहीं बल्कि नेता , अभिनेता तक को पान ने अपने दीवानों की फेहरिस्त में जगह दी। अमिताभ बच्चन हों या शाहरुख़ खान अपनी शूटिंग के दौरान बनारसी पान का स्वाद चख चुके हैं। और फिर सच ही है बनारस आये और पान नहीं खाया तो फिर क्या ख़ाक बनारस आये।  

समय बदलता है बदलेगा लेकिन जो सत्ता में हमेशा रहेगा वो है अपना पान और इसकी मोहब्बत में चार चाँद लगते रहेंगे क्योंकि इसके आशिक़ कभी कम न होंगे।