Ahoi Ashtami 2025 Bhog
Ahoi Ashtami 2025 Bhog

Overview:अहोई माता को प्रिय ये भोग, संतानों के जीवन में लाएंगे सुख और दीर्घायु

अहोई अष्टमी पर माता को भोग लगाना सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि संतान के लिए शुभ आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है। जो माताएं पूरे श्रद्धा और विश्वास से अहोई माता की पूजा करती हैं, उनकी संतान को हर संकट से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

Ahoi Ashtami 2025: हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन माता अहोई की पूजा विशेष विधि से की जाती है और उन्हें अलग-अलग प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सही नियम से और सच्ची श्रद्धा से भोग लगाने पर माता प्रसन्न होती हैं और संतान को निरोगी, दीर्घायु और सफल जीवन का वरदान देती हैं। पहली बार अहोई माता का व्रत करने वाली माताओं के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किन वस्तुओं का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है।

दूध और दूध से बनी मिठाइयां

Milk and milk-based sweets
Milk and milk-based sweets

अहोई माता को दूध का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। दूध से बनी मिठाइयां जैसे रसगुल्ला, खीर, या रस मलाई माता को अर्पित करने से संतान की सेहत और जीवन में मिठास बनी रहती है। यह भोग पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है।

गेहूं और सूजी से बने व्यंजन

 semolina halwa
 semolina halwa

माता को गेहूं और सूजी से बनी चीजें जैसे हलवा या पूरी चढ़ाना शुभ फलदायी होता है। मान्यता है कि यह भोग संतान को जीवन में उन्नति और स्थिरता प्रदान करता है। यह समृद्धि और मेहनत से सफलता पाने का प्रतीक भी माना जाता है।

सात प्रकार के अनाज

अहोई माता की पूजा में सात अनाज चढ़ाने की परंपरा है। इसमें गेहूं, चावल, मूंग, मसूर, जौ, चना और तिल शामिल होते हैं। सात अनाजों का यह भोग संतान के सर्वांगीण विकास और जीवन में संतुलन बनाए रखने का प्रतीक है।

फलों का भोग

फलों का भोग अहोई माता को अत्यंत प्रिय है। खासकर अनार का भोग संतान की लंबी उम्र और निरोगी जीवन के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा केला, सेब और मौसमी फल भी माता को अर्पित किए जाते हैं।

सिंघाड़े और अन्य उपवास के फल

अहोई माता के दिन सिंघाड़े का विशेष महत्व होता है। सिंघाड़े का भोग चढ़ाने से संतान की उम्र लंबी होती है और जीवन में कोई बड़ी बाधा नहीं आती। साथ ही उपवास में खाए जाने वाले अन्य फल जैसे अमरूद या नारियल भी अर्पित किए जाते हैं।

कढ़ी-चावल और नम्र भोजन

अहोई माता की पूजा में सादा और सात्विक भोजन चढ़ाना भी बेहद महत्वपूर्ण है। कढ़ी-चावल का भोग संतान के जीवन में सादगी और शांति बनाए रखने का प्रतीक माना जाता है। यह भोग माता को प्रसन्न करता है और संतान को संतुलित जीवन जीने का आशीर्वाद देता है।

मीठे पानी और जल से भरा कलश

पूजा स्थल पर माता के सामने रखा गया जल से भरा कलश और मीठा पानी भी भोग का हिस्सा होता है। यह जीवन में पवित्रता, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। संतान के लिए यह वरदान है कि उसका जीवन मधुर और सुखमय हो।

मेरा नाम वंदना है, पिछले छह वर्षों से हिंदी कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हूं। डिजिटल मीडिया में महिला स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, बच्चों की परवरिश और सामाजिक मुद्दों पर लेखन का अनुभव है। वर्तमान में गृहलक्ष्मी टीम का हिस्सा हूं और नियमित...