असुरों का संहार करने के लिए हुई थी मां दुर्गा की उत्पत्ति
मां ने सबसे पहले जो रूप धारण किया वो है दुर्गा का। माँ दुर्गा की उत्पत्ति ही इस संसार महिषासुर नामक असुर के संहार के लिए हुई थी।
Maa Durga Katha: मां दुर्गा को पाप निवारणी और दुःख तारणी कहा जाता है। जब भी संसार में पाप बढ़ा किसी ना किसी रूप में अवतार लेकर माँ ने इस धरती को तारने का काम किया। देवी भगवती को इसी क्रम में असुरों का संहार करने के लिए कई रूप लेना पड़े। मां ने सबसे पहले जो रूप धारण किया वो है दुर्गा का। मां दुर्गा की उत्पत्ति इस संसार महिषासुर नामक असुर के संहार के लिए हुई थी। इस काम में सभी देवताओं ने मां देवी को अस्त्र-शस्त्र भेंट किए और माँ ने उसका संहार करके सभी को उसके अत्याचार से पापमुक्त किया।
पौराणिक कथा
महिषासुर एक बहुत शक्तिशाली था और जैसे जैसे उसकी शक्तियाँ बढ़ती गई वह उनका दुरुपयोग करने लगा और अधर्मी होता गया। वह सभी देवी-देवताओं का वध करना चाहता था ताकि वह संसार पर विजय प्राप्त कर सके। उसकी मंसा और बढ़ते अत्याचार को देखकर सभी देवगण परेशान हो उठे। सभी को धर्म के नाश और बढ़ते अधर्म से चिंता होने लगी।
महिषासुर असुरों के राजा बन गया और अपने पराक्रम से देवताओं से स्वर्ग को छीन लिया। जिससे उनकी चिंता और भी ज़्यादा बढ़ गई और सभी देवता भगवान शंकर और विष्णु के पास सहायता लेने के लिए पहुंचे। भगवान शिव और विष्णु ने जब उसके अत्याचार और इस तरह की हरकत के बारे में सुना तो उन्हें बहुत क्रोध आया और इसी क्रोध के कारण उनके और अन्य देवताओं के मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो अंतत् नारी स्वरूप में परिवर्तित हो गया।
महाशक्ति का अवतार और महिषासुर बध
पुराणों में इस बात का ज़िक्र मिलता है कि शंकर भगवान के तेज ने देवी को मुख, यमराज जी के तेज ने माता के केश, विष्णु जी के तेज ने माता की भुजाएं, चंद्रमा के तेज ने माँ के वक्षस्थल, सूर्य भगवान के तेज ने उनके पैरों की अंगुलियां, कुबेर भगवान के तेज ने माँ की नाक, प्रजापति के तेज ने माता के दांत, अग्नि के तेज ने माँ के तीनों नेत्र, संध्या के तेज ने माँ की भृकुटि और वायु के तेज ने माँ के कान दिए।
देवी को तमाम तरह के शस्त्रों से सुशोभित किया गया। इस प्रकार से महादुर्गा ने देवताओं से शक्तियां प्राप्त कर महिषासुर का वध किया और स्वर्ग को पुनः देवताओं को स्वर्ग सौंप दिया। देवताओं ने शक्ति को प्रसन्न करने के लिए अपने प्रिय अस्त्र-शस्त्र ही नहीं कई शक्तियां भी उन्हें प्रदान की। इन सभी शक्तियों को प्राप्त कर देवी मां ने महाशक्ति का रूप ले लिया और मानव जगत का कल्याण किया। जिसकी वजह से हम सब आज भी उनकी महादुर्गा के रूप में पूजा करते हैं।
देवी को देवताओं से अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति
आइए जानते हैं कि किस देवता ने दिया देवी को कौन सा शस्त्र प्रदान किया भगवान शिव ने मां शक्ति को त्रिशूल भेंट किया, विष्णु जी ने अपना सुदर्शन चक्र, वरुण देव ने माता को शंख भेंट किया, अग्निदेव ने अपनी शक्ति दी, पवनदेव ने माता को अपना धनुष और बाण भेंट किया, इंद्रदेव से माता को वज्र और घंटा प्राप्त हुआ।
यमराज ने माँ को कालदंड भेंट किया, प्रजापति दक्ष ने उन्हें स्फटिक की माला दी, ब्रह्मा जी ने कमंडल भेंट दिया। सूर्य देव से माता को तेज मिला, समुद्र ने मां को अपना उज्जवल हार दिया। इसी क्रम में माता को दिव्य वस्त्र, दिव्य चूड़ामणि, कुंडल, कड़े, सुंदर हंसली और रत्नों की अंगूठियां मिली। सरोवरों ने माँ को कभी न मुरझाने वाली कमल की माला अर्पित की। हिमालय ने मां दुर्गा को सवारी करने के लिए सिंह भेंट किया। कुबेर देव ने माँ को मधु से भरा पात्र दिया।