Maa Durga : शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है, जब देवी पूजन कर लोग शक्ति की आराधना करते हैं। 9 दिन तक चलने वाले इस महापर्व में देवी पूजन के साथ कई सारी प्राचीन मान्यताएं और लोक परम्पराएं भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक परम्परा है वेश्यालय की मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति बनाए जाने की। जी हां, आपने शायद इसके बारे में सुना भी होगा, पर क्या इसके पीछे की मान्यताओं के बारे में आप जानते हैं। अगर नहीं तो चलिए आपको इसके पीछे की असल मान्यता के बारे में बताते हैं।
इन चार चीजों से बनती हैं मां दुर्गा की मूर्ति

दरअसल, हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की पूजा के लिए जो मूर्ति बनती है वो चार चीजों से निर्मित होती है… पहली गंगा तट की मिट्टी, दूसरी गौमूत्र, तीसरा गोबर और चौथी वेश्यालय की मिट्टी। ये परम्परा दशकों से चला आ रही है। मान्यता है कि पहले मंदिर के पुजारी वेश्यालय के बाहर जाकर वेश्याओं से अपने आंगन की मिट्टी मांगते थें और उसी मिट्टी से मंदिर के लिए मूर्ति बनाई जाती रही है। बाद में नवरात्रि पूजने के लिए बनाई जाने वाली मूर्तियों के लिए वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाने लगा।
ये है इसके पीछे की मान्यता

दरअसल इसके पीछे कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें से पहली मान्यता के अनुसार जब कोई व्यक्ति वेश्यालय में पहुंचता है तो जब तक वो किसी कक्ष में प्रवेश नहीं करता तब तक वो शुद्ध रहता है। पर ज्यों ही घर के अंदर प्रवेश करता है, उसकी पवित्रता द्वार पर ही छूट जाती है। ऐसे में वेश्यालय के घर-आंगन की मिट्टी सबसे पवित्र मानी जाती है, क्योंकि इसमें दूसरी लोगों की शुद्धियां मिली होती हैं। माना जाता है कि इसी के चलते इस मिट्टी का प्रयोग मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए किया जाता है।
दूसरी मान्यता

इसके पीछे एक दूसरी मान्यता ये भी है कि ऐसा वेश्याओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किया जाता है। वेश्याओं को बुरे कर्मों से मुक्ति दिलवाने के लिए उनके घर-आंगन की मिट्टी उपयोग में लाई जाती है, जिसे मंत्रोच्चारण के जरिए शुद्ध करने का प्रयास किया जाता है।