Knitting Benefits: आमतौर पर महिलाएं अपने खाली वक्त में बुनाई करना पसंद करती हैं, बल्कि कुछ लोग इसे घरेलू काम से जोड़कर देखते हैं जबकि चिकित्सक इसे सेहत से जोड़कर देखते हैं। हाल ही नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस सोसाइटी में हुए एक शोध के अनुसार बुनाई करने से महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम रहता है।
आज जोड़ों में दर्द, जकड़न, रक्तचाप, धीमी पड़ती याददाश्त, घबराहट, धीमा हार्ट रेट, मोटापा, मधुमेह, डिमेंशिया, डिप्रेशन, एकाग्रता में कमी आदि से हर व्यक्ति परेशान है, खासकर महिलाएं। डॉक्टरों का मानना है कि बीमारियां बदलती जीवनशैली की देन हैं। अब शहर वालों की तरह गांव वालों में शारीरिक परिश्रम वाले काम कम होते हैं। काफी हद तक इसकी वजह आधुनिकरण और तकनीक है। इनसे बचने के दवाइयों के साथ-साथ नियमित बुनाई करें, तो कुछ ही समय में जीवनशैली की यह बीमारियां काफूर हो सकती हैं।
Knitting Benefits: धीमा हार्ट रेट और रक्तचाप
आप बुनाई सिलाई से करें या क्रोशिया से। दोनों से ही आराम महसूस होता है। अच्छा महसूस करने से ज्यादा सेहतमंद होता आराम महसूस करना। इससे तनाव वाला हार्मोन कॉटिसोल का स्तर घटता है। यदि इस हार्मोन की अधिकता हो जाए तो यह हृदय और संचार प्रणाली के लिए हानिकारक है। साथ ही तनाव सभी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
उंगलियों में फुर्तीलापन

बुनाई और क्रोशिया में उंगलियों का अधिक इस्तेमाल होता है। बुनाई में कई फंदों की सीधी बुनाई, बेल-बूटे की बुनाई, घट व जोड़ करनी होती है। यह सब काम सरपट होना चाहिए, तभी बुनाई एकसार दिखती है। ऑस्टियोपोरोसिस सोसायटी का मानना है कि बुनाई करने से उंगलियों व हाथ में लचीलापन कायम रहता है और हाथों की मांसपेशियां टोंड रहती हैं। यह गठिया पीड़ितों के लिए उम्दा व्यायाम है। इससे हाथों, उंगलियों व अन्य जोड़ों में गतिशीलता बनी रहती है। इसका मतलब यह नहीं कि लगातार बुनाई करें। बुनाई ना बहुत तेज करें और ना बहुत धीमी करें। बुनाई करते समय बीच-बीच में ब्रेक लें।
स्मरण शक्ति

जैसे गणित में महारथ हासिल करने के लिए विभिन्न नियम व सिद्धांत को याद रखना पड़ता है। वैसे ही बुनाई में फंदे, बुनाई का पैटर्न, कई घट व जोड़ याद रखने पड़ते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि बुनाई से मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है, जिससे स्मृति मजबूत होती है। जितना अधिक आप इसका उपयोग करते हैं, उतना ही मजबूत आपकी स्मृति बन जाती है। क्यों है न बुनाई करना फायदेमंद।
बेहतर मोटर क्षमता
बुनाई एक ही समय में पूरे मस्तिष्क को उत्तेजित करती है। यानी फ्रंट लोब (जो प्रसंस्करण, ध्यान और योजना को पुरस्कृत करता है), पार्शियल लोब (जो संवेदी सूचना और स्थानिक नेविगेशन को संभालता है), ऑकिपिटल लोब (जो दृश्य जानकारी देता है), टेम्प्रोबल लोब (जो स्मृतियों को संग्रहित करने और भाषा और अर्थ की व्याख्या करने में मददगार है) और सेरिबैलम (जो सटीकता और गति के समय का समन्वय करता है)। इसका उपयोग पाॄकसन से पीड़ित लोगों के लिए भी फायदेमंद है। बुनाई उनमें मोटर क्षमता सुधारती है और अन्य दर्दनाक जैसे रोगों के साथ लोगों को उनके मोटर कार्यों में सुधार करने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। यह दोनों अपने ठीक मोटर कौशल में सुधार करने और अन्य दर्दनाक लक्षणों से ध्यान भंग करने में मदद करती है।
दर्द को प्रबंधित
बुनाई के लिए ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है। जितना बेहतर एकाग्रता होगी, उतनी बेहतर बुनाई होगी। शारीरिक पीड़ा में बुनाई करना काफी फायदेमंद है। दर्द में बुनाई करने से ध्यान दर्द से विलग हो जाता है। यह राहत भरा भी होता है क्योंकि बुनाई, दर्द, पीड़ा व असुविधा को कुछ सोचने व महसूस करने की अनुमति नहीं देता है। कम से कम कुछ देर के लिए दर्द, पीड़ा व असुविधा से ध्यान भटकाता है। जहां बुनाई से शारीरिक पीड़ा कम महसूस होती है, वहीं जिन्हें तनाव और अपच की शिकायत हैं उन्हें भी बुनाई करने से बेहतर महसूस होता है।
कम करता है माइंडलेस ईटिंग
यदि हर समय आप चटर-पटर खाने में मशगूल रहते हो या बार-बार मन करता है चिप्स, मठरी, कोल्ड ड्रिंक, चाय, कॉफी आदि खाता-पीता रहूं तो बुनाई करें। यह आपके लिए अच्छी रहेगी। कारण जब हाथ व्यस्त रहेंगे तो माइंडलेस ईटिंग की गुंजाइश शून्य होगी। हर समय कुछ भी खाने के कितने नुकसान हैं, इससे तो आप वाकिफ हैं। यदि टीवी देखते हुए आपमें कुछ ना कुछ खाने की आदत है, तब भी हाथों और दिमाग को बुनाई में व्यस्त रखें।
तेज मस्तिष्क
अध्ययनों से पता चला है कि सिलाई या क्रोशिया की बुनाई करते हैं उनमें उम्र से संबंधित संज्ञानात्मक हानि या स्मृति हानि की संभावना कम होती है। 70 से 89 वर्ष की आयु के बुनकर (सिलाई व क्रोशिया) पर किए गए अध्ययन से मालूम चला है कि उनका दिमाग पूर्ण रूप से स्वस्थ होता है और असंख्य यादें उनके मस्तिष्क में कैद रहती हैं। साथ ही यह गणित में मजबूती देती है। यदि बचपन में ही बच्चे इससे जुड़ जाएं, तो उनका गणित विषय में रूझान बनेगा और गणित मजबूत होगा। नतीजतन कह सकते हैं कि मस्तिष्क को तेज बनाए रखने वाले तंत्रिका मार्गों में मददगार होती है बुनाई।
संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा
बुनाई मोटर फंक्शन, मस्तिष्क को स्वस्थ और मनोदशा को बेहतर बनाने में मदद करती है। जितना अधिक आप अपने मस्तिष्क का उपयोग करते हैं, उतना ही यह लंबे समय तक स्वस्थ हो जाता है। और यह लंबे समय तक रहता है। मेयो क्लिनिक के अनुसार, जो लोग शिल्प को अपनाते हैं (बुनाई सहित) उनमें 30 से 50 प्रतिशत माइल्ड कॉगगिटिव इम्पेयरमेंट की संभावना कम होती है।
बुनाई के मानसिक फायदे
जहां बुनाई शारीरिक रूप से सेहतमंद है, वहीं दिमाग के लिए टॉनिक है, जो आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। रोजाना की गई कुछ घंटों या मिनटों की नियमित बुनाई करने से आप हमेशा हैप्पी-हैप्पी महसूस करते हैं। यानी ताजगी भरा दिमाग जो बेहतर से बेहतर सोचने, समझने और तर्क-वितर्क की क्षमता को बलिष्ठ करता है। इसके कुछ बेहतरीन मानसिक फायदे हैं, जैसे- आत्मविश्वास में वृद्धि आत्मसम्मान में इजाफा, गर्व की अनुभूति, नए कार्यों से जुड़ने का जोश व जज्बा, आगे बढ़ने की ललक, अकेलेपन से लड़ने में कारगर आदि। ठ्ठ
बुनाई से सामाजिक संबंध
आप बुनाई करते समय कहीं उलझ गए तो ऑनलाइन या ऑफ लाइन लोगों से जुड़ते हो। उनसे बुनाई संबंधित बहुत सी बातें पूछते व बताते हो। इससे एक सामाजिक संबंध स्थापित होता है। याद करिए कुछ वर्षों पूर्व महिलाओं में खाट पर एक साथ बैठकर धूप सेंकना और बुनाई करना कितना कुछ देता था। सबसे पहले मुफ्त में विटामिन डी मिलता था, यानी जोड़ों में दर्द नहीं होती थी। बुनाई के साथ-साथ आपसी संबंध बनते थे। शायद ही कोई महिला अकेला महसूस करती थी। बुनाई के साथ हंसी, ठहाके, यहां-वहां की बातें और रोचक जानकारियां, अनमोल खजाने का पिटारा थी। कईयों को तो जिगरी दोस्त भी मिली बुनाई के चक्कर में। भले ही वह दौर अब खत्म हो गया है, लेकिन सेहत के लिए कम-से-कम एक साथ बैठकर यह प्रयास फिर से कर सकते हैं। अब तो लोगों से जुड़ने के कई माध्यम तकनीक ने दिए हैं। देर नहीं करते। सेहत और संबंधों को तरोताजा करने के लिए छोटे-छोटे निटिंग क्लब बनाते हैं।